आलोक तोमर को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते. उनके वारे में वहुत सारे किस्से कहे जाते हैं, ज्यादातर सच और मामूली और कुछ कल्पित और खतरनाक. दो बार तिहाड़ जेल और कई बार विदेश हो आए आलोक तोमर ने भारत में काश्मीर से ले कर कालाहांडी के सच बता कर लोगों को स्तब्ध भी किया है तो दिल्ली के एक पुलिस अफसर से पंजा भिडा कर जेल भी गए हैं. वे दाऊद इब्राहीम से भी मिले हैं और रजनीश से भी. वे टी वी, अखबार, और इंटरनेट की पत्रकारिता करते हैं.

Sunday, May 4, 2008

सांसद सुब्बा की जेल यात्रा तय





सांसद सुब्बा की जेल यात्रा तय


डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 4 मई-कांग्रेस सांसद मणि कुमार सुब्बा का जालसाजी और देशद्रोह के आरोप में जेल जाना तय है। देखना यह है कि असम, बंगाल, दिल्ली और अन्य प्रदेशों के कितने बड़े नेता और बहुत बड़े और वर्तमान और भूतपूर्व अधिकारी इस जाल में फंसते हैं।

मणि कुमार सुब्बा को सीबीआई की खोज रपट का जवाब अगले एक महीने में देना है लेकिन वे मीडिया के जरिए सीबीआई को गालियां देने पर तुल गए है। एक एनआरआई द्वारा चलाई जा रही न्यूज एजेंसी का इस्तेमाल करके सुब्बा ने कहा कि उन पर नेपाल के जिस अपराधी मणि कुमार लिंबो होने का आरोप लगाया जा रहा है वह आदमी 1982 तक नेपाल की जेल में था और आज भी जिंदा है। सीबीआई के अधिकारी कांग्रेस सांसद सुब्बा के इस विचित्र बयान पर दुखी हैं और चकित भी। उनका सवाल है कि अगर सुब्बा को इतने वर्षो से यह जानकारी थी तो वे अपने बचाव में अब जा कर क्यों बोल रहे हैं। सीबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक उन्हें कोई आश्चर्य नहीं होगा कि सुब्बा अपने पैसे के दम पर नेपाल का कोई भूतपूर्व अपराधी मणि कुमार लिंबो बना कर खड़ा कर दें और अगर उन्होंने ऐसा किया तो उन पर जालसाजी का मुकदमा और गंभीर हो जाएगा। इस बीच सुब्बा की कई पत्नियों में एक ने भी उनके खिलाफ बयान दे दिया है और सर्वोच्च न्यायालय ने सुब्बा के चुनाव क्षेत्र असम के तेजपुर से एक और याचिका जामिनी कुमार वैश्य ने डाली है जिसके अनुसार सुब्बा का व्यक्तित्व शुरू से आखिर तक फर्जी है। उनके जन्म प्रमाण पत्र, तथाकथित शिक्षा रिकॉर्ड और बार बार बदलते रहे इसका सुबूत है। वैश्य की याचिका में कहा गया है कि मतदाता सूची में सुब्बा का नाम भी जाली है। तेजपुर के जिस मतदान केंद्र नंबर 21 पर सुब्बा का नाम सूची में होना बताया गया है वह चुनाव आयोग के रिकॉर्ड के अनुसार 537 नंबर पर खत्म हो जाती है लेकिन सुब्बा का मतदाता नंबर 630 है। याचिका के अनुसार 28 अगस्त 1971 को अपनी चचेरी बहन काली माई की हत्या के आरोप में केस नंबर 201 में उम्रकैद की सजा दी गई थी। तेपलेजुम जिला अदालत द्वारा दी गई सजा की पुष्टि 29 नवंबर 1972 को नेपाल के सर्वोच्च न्यायाल ने कर दी थी और बाद में नेपाल नरेश के पास अपील की गई थी जो नामंजूर हो गई थी।

सीबीआई के अनुसार सुब्बा और लिंबो नेपाल की ईलाम जेल से ईलाम अस्पताल ले जाते वक्त फरार हो कर भारत आ गया इस बात की पुष्टि सुब्बा की दूसरी पत्नी कर्मा कनु ने भी की है। सुब्बा के भाई संजय राज सुब्बा ने माफी की अपील नेपाल नरेश के पास की थी और यही यह बताने के लिए काफी है कि मणि कुमार लिंबो एक ही व्यक्ति हैं। इसके अलावा सुब्बा पर नागालैंड, असम और मेघालय लॉटरियों के कुल मिला कर 25 हजार करोड़ रुपए और उत्तर प्रदेश में 35 सौ करोड़ रुपए व्यापार के टैक्स के तौर पर हजम कर जाने का आरोप है।
सुब्बा ने लोकसभा का नामंकन करते समय अपनी हैसियत सिर्फ 20 करोड़ रुपए की बताई है, जबकि सिर्फ उसका दिल्ली का फार्महाउस दो सौ करोड़ का है। कांग्रेस में सुब्बा के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो गई है। असम के गृह मंत्री ने उनका इस्तीफा मांगा है और आज उनके इलाके तेजपुर में उनके पुतले जलाए गए। सुब्बा बहुत बड़ी आफत में हैं और देखना यह है कि वे अपने साथ कितने अधिकारियों और राजनेताओं को ले कर डूबते हैं।

अब मणिपुर में भी सल्वा जोडुम

डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 4 मई-सर्वोच्च न्यायालय कुछ भी कहता रहे मगर सुदूर उत्तर पूर्व में मणिपुर की सरकार ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह से प्रेरणा लेने का फैसला किया है। छत्तीसगढ़ में माओवादियों से निपटने के लिए सल्वा जोडुम अभियान की तरह ही मणिपुर में भी राज्य सरकार आतंकवाद प्रभावित इलाके के लोगों को हथियार देगी और आतंकवादियों से जूझने में मदद करेगी।हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका के आधार पर स सल्वा जोडुम के मामले में टिप्पणी की थी कि किसी भी राज्य सरकार को निजी सेनाएं बनाने यह उन्हें प्रोत्साहन देने का कोई अधिकार नहीं है। एक तरह से यह फैसला तो नहीं था लेकिन इस बात का संदेश अवश्य था कि सर्वोच्च न्यायालय सल्वा जोडुम को भी एक तरह का सरकारी आतंकवाद मान कर चल रही है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री ओ इडोबी सिंह ने कल मंत्रिमंडल की बैठक में खुद छत्तीसगढ़ का उदाहरण देते हुए यह प्रस्ताव रखा और मंत्रिमंडल में आम सहमति से इसकी पुष्टि कर दी। ठीक सल्वा जोडुम की तर्ज पर ही मणिपुर सरकार भी अपने नागरिकों को हथियार उपलब्ध कराएगी और इन हथियारों के लिए थाने के गोदामों में रखे गए उस खजाने का सहारा लिया जाएगा जिसमें आतंकवादियों से जब्त हथियार रखे हुए है।

मणिपुर सरकार के सूत्रों के अनुसार राज्य की पुलिस ग्रामीणों को प्रशिक्षण देगी और उन्हें आतंकवाद से जूझने तरीके सिखाएगी। इतना ही नहीं जहां आतंकवादियों का सबसे ज्यादा खतरा होगा वहां सल्वा जोडुम जैसे नेक प्रयासों में कोई गैर कानूनी बात नहीं है। खुद केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने सल्वा जोडुम की उपलब्धियों को महत्वपूर्ण बताया है और यह भी कहा है कि जनता की लड़ाई लड़ने में सरकार को हर संभव मदद देनी चाहिए। अगर मणिपुर में छत्तीसगढ़ के सल्वा जोडुम का अनुसरण हो सकता है तो आतंकवाद से प्रभावित दूसरे राज्य भी छत्तीसगढ़ को अपनी प्रेरणा मान कर चलेंगे। इससे एक नए अभियान का सूत्रपात्र हो सकता है। सिर्फ सरकार या सरकारी बलों द्वारा संगठित माओवादियों का मुकाबला नहीं किया जा सकता।

सुनीता देवी का शिकार एक सिपाही



डेटलाइन इंडिया
पटना, 4 मई-बिहार की विधायक सुनीता देवी पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाले सिपाही बालेश्वर शर्मा को सिर्फ इसलिए निलंबित कर दिया गया क्योंकि उसने कांग्रेस की एक विधायक सुनीता देवी पर अपने साथ बलात्कार करने का विचित्र आरोप लगाया था पुलिस का कहना है कि बालेश्वर शर्मा को निलंबित करने का कारण यह है कि उसने अपने अधिकारियों को सूचना दिए बगैर पुलिस में रपट लिखा दी।41 वर्षीय इस कांग्रेसी विधायक को बचाने के लिए राज्य सरकार तो हरकत में आ गई है लेकिन पता नही वह बालेश्वर शर्मा के पास मौजूद उन पत्रों और चित्रों का क्या करेग जो बालेश्वर शर्मा के पास मौजूद हैं और इस जबरन किए गए प्रेम की कहानी खुद कहते हैं। अब तो वे टेप भी निकल आए हैं जिनमें विधायिका सुनीता देवी अपने अंगरक्षक से एक नेहाल प्रेमिका के अंदाज बात कर रही हैं और उन्हें राजा और छैला जैसे संबोधन दे रही हैं। एक तस्वीर है जिसमें सुनीता देवी और बालेश्वर शर्मा बहुत अंतरंग मुद्रा में एक साथ दिखाई पड़ते हैं लेकिन सुनीता देवी का कहना है कि यह तस्वीर राखी के दिन ली गई थी। कहने को वे कुछ भी कहती रहें लेकिन सच यही है कि यह भाई बहन की तस्वीर नजर नहीं आती। कांग्रेस खुद भी अपनी विधायिका की इस टुच्ची हरकत से आहत है और उसने भी पार्टी स्तर पर इस पूरे मामले की जांच करने के लिए कमेटी बिठा दी है। यह पता नहीं कि कमेटी की रिपोर्ट पहले आएगी या पुलिस की, लेकिन इस पूरे अभियान में बिहार पुलिस का एक आम सिपाही जरूर बलि चढ़ गया है जहां तक सुनीता देवी की बात है तो वे बहुत समय से अपने पति से अलग रहतीं हैं और बालेश्वर शर्मा के अलावा उनके अन्य राजनैति और गैर राजनैतिक लोगों से संबंधों जानकारी भी पुलिस को मिल चुकी है।

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