आलोक तोमर को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते. उनके वारे में वहुत सारे किस्से कहे जाते हैं, ज्यादातर सच और मामूली और कुछ कल्पित और खतरनाक. दो बार तिहाड़ जेल और कई बार विदेश हो आए आलोक तोमर ने भारत में काश्मीर से ले कर कालाहांडी के सच बता कर लोगों को स्तब्ध भी किया है तो दिल्ली के एक पुलिस अफसर से पंजा भिडा कर जेल भी गए हैं. वे दाऊद इब्राहीम से भी मिले हैं और रजनीश से भी. वे टी वी, अखबार, और इंटरनेट की पत्रकारिता करते हैं.

Wednesday, April 9, 2008

दंगाइयों का मददगार जज करेगा उनका फैसला?





आलोक तोमर
नई दिल्ली, 9 अप्रैल -गुजरात दंगे के एक कुख्यात अभियुक्त ने तहलका के टेप पर खुलासा किया था कि राज्य उच्च न्यायालय के एक जज ने हिंदू होने के नाते और पैसा लेकर भी, दंगे के बहुत सारे अभियुक्तों को जमानत दी थी। ये टेप गुजरात दंगे की जांच कर रहे नानावती आयोग के पास है और इनकी पडताल अब आयोग के जिस नए न्यायमूर्ति को करनी है वह यही कलंकित जज है।
आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति के जे शाह के पिछले महीने हुए निधन के बाद इस विवादास्पद जज अक्षय मेहता को कल नानावती आयोग का सदस्य नियुक्त कर दिया गया । तहलका के टेप मे नरौदा पटिया नरसंहार के मुख्य अभियुक्त बाबू बजंरंगी ने खुल शब्दों में कहा था कि अक्षय मेहता ने उसे और उसके साथियो को उच्च न्यायालय से जमानत दिलवाने में पूरी मदद की।बजरंगी के बयान के अनुसार मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हे एक संदेश भेज कर कहा था कि वे परेशान नहीं हो उनके लिए अदालती सुरक्षा का इंतजाम कर दिया जाएगा। इसके बाद ही श्री मोदी की ही पहल पर अक्षय मेहता को उच्च न्यायालय में जज नियुक्त किया गया। बजरंगी के अनुसार अदालत में जब भी दंगे के अभियुक्तों की जमानत का मामला पहुंचता है तो श्री मेहता न फाइल देखते और न दलील सुनते, वे सीधे एक लाइन में आदेश देते थे कि जमानत दी जाती है। इस तरह उनकी अदालत में दंगाइयों के जितने मामले गए उन सब में अभियुक्त जमानत पर छूट गए और उनमें से ज्यादातर अब लापता हो गए हैं। जो आदमी हाईकोर्ट का जज बनने के लिए बिक सकता है उससे न्याय की उम्मीद करना मुर्दे से फ्री स्टाइल कुश्ती लडने की उम्मीद करने जैसा होगा।

1 comment:

दिनेशराय द्विवेदी said...

साहसी खबरनवीस की खबर है। इस सचाई को उजागर करने के लिए ढेर बधाइयाँ।