आलोक तोमर को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते. उनके वारे में वहुत सारे किस्से कहे जाते हैं, ज्यादातर सच और मामूली और कुछ कल्पित और खतरनाक. दो बार तिहाड़ जेल और कई बार विदेश हो आए आलोक तोमर ने भारत में काश्मीर से ले कर कालाहांडी के सच बता कर लोगों को स्तब्ध भी किया है तो दिल्ली के एक पुलिस अफसर से पंजा भिडा कर जेल भी गए हैं. वे दाऊद इब्राहीम से भी मिले हैं और रजनीश से भी. वे टी वी, अखबार, और इंटरनेट की पत्रकारिता करते हैं.

Tuesday, June 3, 2008

हत्या, मंत्री, पत्रकार और रिश्वत





डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 3 जून - असम के शिक्षा मंत्री रिपुन बोरा आज जब दिल्ली में सीबीआई के एक अधिकारी को रिश्वत देते पकड़े गए तो पत्रकारों और दिल्ली के व्यापारियों के बीच एक बहुत विवादास्पद गठजोड़ का भी खुलासा हो गया। रिपुन बोरा असम में हत्या के आरोप में गिरफ्तार हो चुके हैं और कुख्यात सांसद मणिकुमार सुब्बा के सहयोगी माने जाने वाले रिपुन बोरा को मंत्रिमंडल से फिर भी नही हटाया गया था।

रिपुन बोरा पर छात्र नेता डेनियल टोपो की हत्या का आरोप है। टोपो चाय बगान मजदूरों के छात्र बेटों का संगठन चलाते थे और 1996 विधानसभा चुनाव में रिपुन बोरा चुनाव हार गए थे। और इसके लिए वे टोपो को जिम्मेदार मानते थे। 2001 में हुए विधानसभा चुनाव में उसी गोहपुर सीट से रिपुन बोरा लड़े और जीते लेकिन इसके पहले 27 सितंबर 2000 को डेनियल टोपो की हत्या कर दी गई थी। रिपुन बोरा मंत्री थे इसलिए असम पुलिस ने जांच खत्म कर दी और कहा कि हत्याकांड का पता नही चल रहा है। इसके बाद जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ली और रिपुन बोरा के खिलाफ लगातार सबूत मिलते चले गए।

रिपुन बोरा आतंकित थे और उन्होंने दिल्ली में असम के एक अखबार के संवाददाता मुकुल पाठक के जरिए सीबीआई के जांच अधिकारी से संपर्क किया। बगैर मांगे इस अधिकारी को दस लाख रुपए की रिश्वत का प्रस्ताव दिया गया ताकि वह मामला खत्म कर सके। सीबीआई ने जाल बिछा लिया था और रिपुन बोरा ने असम में कारोबार करने वाले दिल्ली के एक व्यापारी रमेश महेश्वरी को दस लाख रुपए का इंतजाम करने के लिए कहा। यह खुलेआम रिश्वत का मामला था। पैसे का इंतजाम हुआ।

असम भवन की कार में बिठा कर अधिकारी को मथुरा रोड़ पर एक मकान में लाया गया और रिपुन बोरा ने खुद एक हजार के नोटों की शक्ल में दस लाख रुपए अधिकारी को सौंपे। वे नही जानते थे कि जाल बिछा हुआ है और वे बुरी तरह फंसने वाले हैं। बोरा ने जैसे ही पैसे दिए, अधिकारी ने मोबाइल पर पहले से निर्धारित और तैयार एसएमएस भेज दिया। सीबीआई की पूरी टीम अंदर घुसी और मामला बिगड़ता देख कर मंत्री जी ने पिछले दरवाजे से भागने की कोशिश की। लेकिन उन्हें वहां भी सीबीआई के अधिकारी इंतजार करते मिले। पत्रकार पाठक भागा हुआ है लेकिन दस लाख देने वाले व्यापारी रमेश महेश्वरी को कैद कर लिया गया। बोरा को यह खबर मिलते ही मंत्रिमंडल से निकाल दिया गया है और उन्हें सीबीआई मुख्यालय में ले जा कर पूछताछ जारी है।

सीबीआई की जांच के पहले दिन खुले रहस्य
हरियाणा के बड़े नामों पर नजर


डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 3 जून- सीबीआई ने दिल्ली पुलिस के सहायक आयुक्त राजबीर सिंह की हत्या का मामला आज औपचारिक रूप से अपने हाथ में लिया और फिलहाल गुड़गांव पुलिस की एफआईआर के अनुसार हत्यारे विजय भारध्दाज के खिलाफ ही जांच शुरू नही की। अब सीबीआई राजबीर सिंह के पूरे परिवार और उसके परिचित लोगों और उनके निवेशों के बारे में पड़ताल कर रही है और सिर्फ आज की तारीख में एजेंसी ने आठ बैंको में बीस खाते जांच के दायरे में ले लिए हैं।


चौबीस मार्च को दिल्ली पुलिस के एनकांउटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह को गुड़गांव में गोली से उड़ा दिया गया था और प्रोपट्री डीलर विजय भारध्दाज ने ही खुद स्वीकार किया था कि उसने राजबीर सिंह को पैसे अदा ना कर पाने के कारण मारा था। सीबीआई ने बहुत हिम्मत कर के एक पत्र केबिनेट सचिवालय को भी भेज दिया है जिसके अनुसार जेड प्लस सुरक्षा वाले राजबीर सिंह के सुरक्षा कर्मियों की लापरवाही के बारे में हुई जांच की रिपोर्ट मांगी गई है। इसके अलावा हरियाणा की राजनीति और कारोबार के कई बड़े नाम सीबीआई की सूची में हैं जिनसे एक एक कर के पूछताछ की जाएगी।


गुड़गांव पुलिस दिल्ली पुलिस की मदद ले कर भी अब तक राजबीर सिंह की लेन देन वाली डायरी बरामद नही कर सकी है और सीबीआई अधिकारियों के अनुसार राजबीर सिंह के हत्या के उद्देश्य को ले कर उसकी पहली प्राथमिकता इस डायरी की बरामदगी है। इसीलिए राजबीर सिंह के परिवार और खासतौर पर उसकी बहन और पत्नी से पूछताछ की जाएगी। सीबीआई निदेशक विजय शंकर ने अपनी एजेंसी को इस मामले में चार्ज शीट दाखिल करने के लिए तीन महीने का समय दिया है। यह बात अलग है कि अगले ही महीने विजय शंकर रिटायर हो रहे हैं। राजबीर सिंह अपनी हिम्मत और मुठभेड़ो में सफलताओं के कारण सब इंस्पेक्टर से एसीपी के पद पर पहुंचे थे लेकिन संपत्तिा विवादों को ले कर उन पर कई बार गंभीर आरोप भी लग चुके थे।

सीबीआई की जांच के दायरे में दिल्ली पुलिस के कई वर्तमान और भूतपूर्व अधिकारी भी हैं और सीबीआई अधिकारियों के अनुसार राजबीर सिंह के अंडर वर्ल्ड से भी संबंध थे। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि पहली नजर में विजय भारध्दाज कातिल तो है लेकिन इस पूरे मामले में वह अकेला नही है। जिस पिस्तौल से राजबीर की हत्या की गई वह सरकारी थी और हरियाणा पुलिस के अधिकारी अशोक शरण को आबंटित की गई थी। अशोक शरण का कहना है कि एक छापे के दौरान हिसार जिले के दादरी इलाके में 21 जुलाई 2007 को यह पिस्तौल खो गई थी। सीबीआई इस गुत्थी को सुलझाने के लिए अशोक शरण से भी नए सिरे से पूछताछ करेगी।

सीबीआई को बहुत लोगों पर शक

डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 3 जून - आरूषि-हेमराज हत्याकांड में सीबीआई चौबीस घंटे की रिमांड में भी आरूषि के पिता डॉक्टर राजेश तलवार से कुछ निकलवा नही पाई।

वैसे भी सीबीआई अब एक एक कर के इस जांच से जुड़े नोएडा पुलिस के अधिकारियों को बुलाने वाली है और उन्हें बताने वाली है कि इस जांच में उन्होंने कितनी बड़ी मूर्खताएं की हैं। सीबीआई अधिकारियों को राजेश तलवार को दो दिन की रिमांड और मिल गई है और नॉर्को टेस्ट के बारे में अभी उसे अनुमति नही मिली है।

खुद सीबीआई अधिकारी मानते हैं कि इस मामलें में राजेश तलवार एक तो मुख्य अभियुक्त नही हैं क्योंकि खुद एफआईआर उन्होंने लिखवाई थी और इसमें हेमराज को कातिल बताया गया था। तब तक हेमराज की लाश नही मिली थी। इसके अलावा आज अदालत में सीबीआई के वकील ने यह भी कहा कि राजेश तलवार से नोएडा पुलिस द्वारा की गई पूछताछ समय की बर्बादी थी और अगर घर सील कर के जांच की जाती तो पहले ही दिन मामला सुलझ जाता। नतीजा साफ था।

नोएडा के एसएसपी और तलवार को कातिल घोषित करने वाले आई जी गुरदर्शन सिंह से भी सीबीआई अब पूछताछ कर सकती है। पहले दिन की जांच में सीबीआई ने इतना पता लगा लिया है कि आरूषि से बलात्कार की कोशिश या बलात्कार नही हुआ था, उस रात घर में कम से कम तीन बाहरी लोग आए थे, हेमराज की हत्या अचानक नही बल्कि काफी गुत्थमगुत्था होने के बाद हुई थी, हेमराज नेपाली होने के बावजूद खुखरी नही रखता था इसलिए उसे हत्या का हथियार नही माना जा सकता, और आखिर में यह भी जब तक हत्या का हथियार बरामद नही हो जाता तब तक राजेश तलवार की इस कांड में भूमिका के बारे में निश्चित तौर पर कुछ नही कहा जा सकता।

सीबीआई की छह सदस्यों वाली टीम हरिद्वार भी हो आई है और वहां आरूषि के अस्थि विसर्जन करने वाले पंडो को पूरे छह घंटे तक एक स्थानीय होटल में पूछताछ के लिए बंदं रखा। मुख्य पंडे के मोबाइल रिकॉर्ड उसके बयानों को झूठ साबित करते हैं। यह झूठ इस पंडे ने खुद बोला या इसकी कीमत वसूल की, सीबीआई को यह भी पता लगाना है। पंडे ने तलवार परिवार का आने और जाने का जो समय बताया है वह गलत पाया गया है और यह भी पाया गया है कि जो समय वह अस्थि विसर्जन का बता रहा है उस समय वह अपना बिजली का बिल भरने गया हुआ था।


इस दौरान तलवार से उसकी तीन बार बात हुई और तलवार परिवार उस समय घाट पर ही मौजूद था। राजेश तलवार धीरे धीरे हत्या के आरोप के दायरे से तो दूर होता जा रहा है लेकिन उसके अटपटे बयान सीबीआई की समझ में नही आ रहे। सच जानने का तरीका सिर्फ नॉर्को टेस्ट बचता है।

No comments: