आलोक तोमर को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते. उनके वारे में वहुत सारे किस्से कहे जाते हैं, ज्यादातर सच और मामूली और कुछ कल्पित और खतरनाक. दो बार तिहाड़ जेल और कई बार विदेश हो आए आलोक तोमर ने भारत में काश्मीर से ले कर कालाहांडी के सच बता कर लोगों को स्तब्ध भी किया है तो दिल्ली के एक पुलिस अफसर से पंजा भिडा कर जेल भी गए हैं. वे दाऊद इब्राहीम से भी मिले हैं और रजनीश से भी. वे टी वी, अखबार, और इंटरनेट की पत्रकारिता करते हैं.

Tuesday, June 10, 2008

चंदन मित्र का नया पता





राजेन्द्र जोशी
डेटलाइन इंडिया
देहरादून, 8 जून-उत्तराखंड में भाजपा की सरकार आने का सबसे बडा लाभ तो खैर मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने वाले भुवन चंद्र खंडूडी को हुआ है लेकिन वामपंथी से भाजपा के सांसद बने पत्रकार और फिल्माें तथा वास्तविक जीवन की हीरोइनों के प्रेमी चंदन मित्र भी कम फायदे मे नहीं रहे।

इन्हीं पन्नो पर आप पढ़ चुके है कि चंदन मित्र को भाजपा ने उत्तराखंड के मामले में रिपोर्ट तैयार करने और वहां के कामकाज की जानकारी हाई कमान को देने के लिए अधिकृत किया था। इस सिलसिले में देहरादून गए चंदन मित्र अपने अखबार के लिए भी मोटे विज्ञापन वसूल लाए। यह कहानी का सिर्फ एक पहलू है। नई कहानी यह है कि नैनीताल जिले के खूबसूरत हिल स्टेशन रामगढ के पास चंदन मित्र अचानक पचास लाख रुपये की जमीन के मालिक हो गए है और अब वहां एक करोड़ रुपये की अनुमानीत लागत से उनका बागान और रमणीय रिसॉर्ट बन रहा है। चंदन मित्र को जिस अखबार पायनियर का मालिक बनवाने और अखबार चलाने में लालकृष्ण आड़वाणी ने एक बडी बैंक से एनडीए सरकार के दौरान दिल खोल कर मदद दिलवाई थी, उसका दिल्ली संस्करण अब भी घाटे में चल रहा बताया जाता है और कर्मचारियों को समय पर वेतन भी नहीं मिलता। और तो और, अंग्रेजो द्वारा स्थापित इस अखबार में विश्व प्रसिध्द जंगल बुक के लेखक रूडयार्ड किपलिंग के काम करने का प्रचार बहुत जोर शोर से पायनियर के विज्ञापनों में किया जाता है, उनका इलाहाबाद स्थित मकान जर्जर हालत में है और कभी भी गिर सकता है।

एक तरफ अखबार के संपादक करोडों का आसियाना बनवा रहे है तो दूसरी ओर इस अखबार से जूडे रहे एक बडे नाम की विरासत को सहेजने के लिए भी यह अखबार पैसा नहीं खर्च करना चाहता। भाजपा की जैसे जैसे राज्य सरकारो में स्थापना होती जा रही है, जाहिर है कि चंदन मित्र का अखबार और निजी तौर पर खुद श्री मित्र भी अच्छी-खासी तरक्की करेंगे। दिल्ली में भी चंदन मित्र की अच्छी खासी कोठी है और उसका दाम चार करोड़ रुपये से कम नहीं आंका जा सकता। इसके पहले वे इंडियन एयरलाइंस की सहयोगी संस्था अलायंस एयर के यात्रियों के लिए एक पत्रिका दर्पण निकाला करते थे और इस पत्रिका मेंं भी भाजपा शासित राज्यों के , खासतौर पर पर्यटन विभागों के विज्ञापन बहुत धडल्ले से छपा करते थे। इन विज्ञापनों की आमदनी की साझेदारी को लेकर इंडियन एयरलाइंस से उनका विवाद हुआ और एयरलाइंस ने ये पत्रिका चंदन मित्र से छीन ली। वियाग्रह के चलते फिरते विज्ञापन चंदन मित्रा से बहुत लोगों को इर्श्या हो सकती ह।ै लेकिन सब भगवा झंडा ओढ़ने के लिए वामपंथी दोस्तो को दगा नहीं दे पाते।

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