आलोक तोमर को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते. उनके वारे में वहुत सारे किस्से कहे जाते हैं, ज्यादातर सच और मामूली और कुछ कल्पित और खतरनाक. दो बार तिहाड़ जेल और कई बार विदेश हो आए आलोक तोमर ने भारत में काश्मीर से ले कर कालाहांडी के सच बता कर लोगों को स्तब्ध भी किया है तो दिल्ली के एक पुलिस अफसर से पंजा भिडा कर जेल भी गए हैं. वे दाऊद इब्राहीम से भी मिले हैं और रजनीश से भी. वे टी वी, अखबार, और इंटरनेट की पत्रकारिता करते हैं.

Thursday, April 10, 2008

अर्जुन सिंह की सबसे बडी जीत





आलोक तोमर

नई दिल्ली, 10 अप्रैल - आज अर्जुन सिंह को बहुत दिनों बाद एक ऐसी जीत मिली जिससे वे सिर्फ कांग्रेस के नहीं बल्कि पूरी भारतीय राजनीति के हीरो बन गए हैं। भाजपा सहित कोई दल ऐसा नही था जिसने इस फेसले की मजबूरी में ही सही सराहना नहीं की हो।

सर्वोच्च न्यायालय के फेसले का एक राजनैतिक अर्थ यह भी है कि आने वाले बहुत सारे दिनों तक कांग्रेस की राजनीति अब उनके आस पास घूमने वाली है। अर्जुन सिंह ने कांग्रेस के लिए ओबीसी वोट बैंक का मुख्यद्वार खोल दिया है। यह जरूर है कि युवा मतदाता उनके पक्ष में गए इस फेसले से नाराज हाेंगे लेकिन चुनावी गणित को देखते हुए यह नाराजगी झेली जा सकती है। एक संयोग यह भी है कि ओबीसी आरक्षण के खिलाफ इस कानूनी अभियान का नेतृत्व मशहूर वकील विवके तन्खा कर रहे थे जो हाल ही में अर्जुन सिंह के गृह राज्य मध्यप्रदेश से कांग्रेस समर्थित राज्यसभा उम्मीदवार थे।

आरक्षण व्यवस्था को बढावा देते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज आईआईटी, आईआईएम और अन्य केन्द्रीय शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन कानून को बरकरार रखा लेकिन ीमी लेयर को इस लाभ से बाहर कर दिया। न्यायालय की पांच सदस्यों की संविधान पीठ ने एक सर्वसम्मत फैसले में आरक्षण प्रदान करने वाले केन्द्रीय शैक्षणिक संस्थान (दाखिले में आरक्षण) कानून 2006 को मंजूरी दे दी। मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ ने ओबीसी की ीमी लेयर को आरक्षण के लाभ से अलग कर दिया।

न्यायालय ने व्यवस्था दी कि यह कानून संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता। न्यायालय ने यह फैसला आरक्षण विरोधी कार्यकर्ताओं की याचिकाओं पर सुनाया है। इन याचिकाओं में कानून को चुनौती दी गई थी। इन याचिकाओं में सरकारी कदम का जबरदस्त विरोध करते हुए कहा गया था कि पिछडे वर्गों की पहचान के लिए जाति को शुरुआती बिंदु नहीं माना जा सकता। आरक्षण विरोधी याचिकाओं में ीमी लेयर को आरक्षण नीति में शामिल किए जाने का भी विरोध किया गया था। इस फैसले से न्यायालय के 29 मार्च 2007 के अंतरिम आदेश में कानून के कार्यान्वयन पर लगाई गई रोक समाप्त हो जाएगी। फैसले के बाद अब आरक्षण नीति को 2008-09 शैक्षणिक सत्र में लागू किया जा सकेगा।

न्यायालय ने कहा कि संविधान संशोधन (93वां संशोधन) कानून जिसके तहत सरकार ने सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों में 27 प्रतिशत आरक्षण देने वाला कानून तैयार किया था संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता। पीठ के सभी न्यायाधीशों ने 27 प्रतिशत आरक्षण के कार्यान्वयन का समय-समय पर समीक्षा करने का समर्थन किया।

न्यायालय ने व्यवस्था दी कि ओबीसी निर्धारण का अधिकार केन्द्र को देना कानून सम्मत है। न्यायालय ने कहा कि आठ सितंबर 1993 के सरकारी ज्ञापन के अनुरूप नौकरियों के लिए ओबीसी में ीमी लेयर की पहचान के लिए निर्धारित मापदंड सामाजिक और शैक्षणिक पिछडे वर्गों की पहचान के लिए लागू होंगे। पीठ ने कानून के तहत अल्पसंख्यक संस्थाओं को आरक्षण की हद से बाहर रखने को सही ठहराया। मुख्य न्यायाधीश के अलावा पीठ में न्यायमूर्ति अरिजित पसायत, सीके ठक्कर, आरवी रवीन्द्रन और दलवीर भंडारी शामिल थे।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह ने आज आईआईटी, आईआईएम और अन्य उच्च शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और कहा कि आने वाले शैक्षणिक सत्र से इसे लागू करने के प्रयास किए जायेंगे।

सिंह ने उच्चतम न्यायालय द्वारा इस बारे में बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाए जाने के बाद संवाददाताओं से कहा- यह ऐतिहासिक फैसला है। ओबीसी श्रेणी से संबंधित सैंकडों छात्रों को इससे फायदा होगा। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का यह फैसला सामाजिक न्याय के प्रति संप्रग सरकार की प्रतिबध्दताओं को सिध्द करता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने वाले संविधान संशोधन कानून को शैक्षणिक सत्र से यिान्वित करने के काम को सुनिश्चित करेगी।

मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा- मुझे पूरा विश्वास है कि ऐसे सभी लोग इस फैसले का समर्थन करेंगे जो यह चाहते हैं कि उच्च शिक्षा तक सभी की समान रूप से पहुंच हो। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी को भी इस प्रयिा से अलग नहीं रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि ओबीसी को आरक्षण दिए जाने से दूसरे वर्ग के छात्र प्रभावित नहीं होंगे और न ही हितों का कोई टकराव होगा।

सिंह ने इस मामले से निपटने में दिशा-निर्देश और समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का आभार जताया। ओबीसी के ीमी लेयर को आरक्षण के दायरे से बाहर रखने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बारे में पूछे जाने पर अर्जुन सिंह ने कहा कि इसमें कुछ दिक्कतें होंगी लेकिन साथ ही कहा कि मसले का समाधान कर लिया जायेगा।
सिंह ने कहा कि वह न्यायालय के इस फैसले से व्यक्तिगत रूप से काफी प्रसन्न हैं और अब इसे लागू करने की दिशा में आगे बढने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा एक दो दिन में मैं आपको विभिन्न संस्थानों में ढांचागत गतिविधियों में प्रगति के बारे में बताऊंगा। इस कानून को लेकर उठे विवाद की चर्चा करते हुए कहा कि समस्या इसलिए थी क्योंकि लोग इस मसले को सही तरीके से समझते नहीं हैं।

उच्च शिक्षण संस्थानों में अन्य पिछडे वर्गों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को संविधान सम्मत बताने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का भाजपा ने आज स्वागत किया। पार्टी ने कहा कि शीर्ष अदालत की यह व्यवस्था आ जाने के बाद सरकार को चाहिए वह तुरंत प्रभाव से इसे लागू कर दे। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा- देश की शीर्ष अदालत के इस महत्वपूर्ण और दूरगामी फैसले का हम तहे दिल से स्वागत करते हैं। इससे सभी को सामाजिक न्याय दिए जाने के हमारे विचार के सही होने की पुष्टि होती है। उन्होंने कहा- उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से हम अत्यधिक खुश हैं क्योंकि विकास को अधिक अर्थपूर्ण और सभी के लिए उपलब्ध कराने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की जरूरत थी। इसीलिए संसद में हमने संबंधित विधेयक का पूर्ण समर्थन किया था।

जावडेकर ने कहा कि इस कानून को लागू करते समय सरकार को सभी दलों के बीच बनी उस सर्वानुमति को ध्यान में रखना चाहिए जिसमें राय बनी थी कि उच्च शिक्षण संस्थाओं में अन्य पिछडे वर्गों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के साथ वहां 27 प्रतिशत सीटों में भी बढोत्तरी की जाए। उन्होंने इन दोनों बातों को समयबध्द तरीके से लागू करने की मांग की।
उच्चतम न्यायालय ने आज महत्वपूर्ण फैसले में आरक्षण व्यवस्था को बढावा देते हुए आईआईटी, आईआईएम और अन्य केन्द्रीय उच्च शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन कानून को बरकरार रखा लेकिन ीमी लेयर को इस लाभ से बाहर कर दिया।
माकपा ने केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में अन्य पिछडा वर्ग को दाखिलों में 27 फीसदी आरक्षण देने के मुद्दे पर आज आए उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और सरकार से इसे शैक्षणिक सत्र से कार्यान्वित करने को कहा।
पार्टी द्वारा जारी एक बयान में यहां कहा गया- माकपा पोलित ब्यूरो अन्य पिछडा वर्ग को केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने की सरकारी पहल को न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने के फैसले का स्वागत करता है। बयान में अन्य पिछडा वर्ग से ीमी लेयर को बाहर किए जाने का भी स्वागत किया गया।

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