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नई दिल्ली, 7 अप्रैल-लालकृष्ण आडवाणी की तथाकथित आत्मकथा में कांधार का वर्णन मीडिया के दिमाग पर इस कदर छाया हुआ है कि मुद्दे की कई बातें लोगों ने याद ही नहीं रखी। उन्होने अपनी पुस्तक में विभाजन के लिए महात्मा गांधी को माफ करते हुए जवाहर लाल नेहरू की जल्दबाजी को जिम्मेदार ठहराया है। आडवाणी ने यह भी लिखा है कि नेहरू की ही एक चिठ्ठी के आधार पर गांधी की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
गिरफ्तार आडवाणी भी हुए थे और तीन महीने अलवर जेल में रहे थे। यह पाकिस्तान से भाग कर आने के बाद भारत में उनकी पहली गिरफ्तारी थी। पाकिस्तान में तो आज तक जिन्ना की हत्या के षड़यंत्र में उनके शामिल होने के बारे में फाइल खुली ही हुई है। आडवाणी ने लिखा है कि नेहरू ने गांधी जी की हत्या के बाद सरदार बल्लभ भाई पटेल को पत्र लिखा था कि गांधी जी की हत्या में पाकिस्तान से आए लोग शामिल हो सकते हैं जो मेरी जानकारी के अनुसार राजस्थान के अलवर और भरतपुर में मौजूद थे। सरदार पटेल ने फौरन इस संबंध में कार्यवाही के आदेश दे दिए। आडवाणी के अनुसार कांग्रेस के कई नेताओं ने तो उस समय नेहरू मंत्रिमंडल में शामिल डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के हिन्दू महासभा में शामिल होने की वजह से उन्होने भी गांधी हत्या का दोषी ठहराया था और मंत्रिमंडल से निकालने की मांग की थी। यहां यह याद किया जा सकता है कि गांधी पर गोली चलाने वाला नाथुराम गोड्से हिन्दू महासभा का ही सदस्य था।
आडवाणी ने अपनी आज की राजनीति को ध्यान में रखते हुए नेहरू को भी संदेह का लाभ दिया है। उन्होने कहा है कि लार्ड माऊंट बेटन ने नेहरू सहित सभी कांग्रेसी नेताओं को यह समझाया था कि विभाजन हिन्दू-मुस्लिम विवाद का एक मात्र हल है और इससे कोई हिंसा पैदा नहीं होगी। आडवाणी पर उनकी बहु गौरी ने हिन्दू धर्म के कर्म कांड नहीं मानने का आरोप अदालत में लगाया है और आजवाणी ने भी अपनी आत्मकथा में इसकी पुष्टि की है। उन्होने कहा है कि महाशिवरात्रि का व्रत अलवर जेल में जेलर के आग्रह के बावजूद उन्होने नहीं रखा था। लेकिन व्रत तोड़ने के लिए जेल अधिकारियों ने जो हलवा-पूड़ी का इंतजाम किया था उसमें हिस्सा जरूर लिया था।
आडवाणी ने अपनी आत्मकथा में गांधी हत्या में संघ परिवार के लिप्त होने के बारे में भी लंबा अध्याय लिखा है और याद दिलाया है कि तत्कालीन संघ प्रमुख गोपाल कृष्ण गोलवलकर ने नेहरू को पत्र लिख कर इस कांड की निंदा की थी और बाद में इस हत्या की जांच के लिए बिठाये गए कपूर आयोग ने संघ और इसके स्वंय सेवकों को दोष मुक्त कर दिया था। आडवाणी याद दिलाते हैं कि सात अक्टूबर 1949 को कांग्रेस कार्यसमिति में संघ के स्वंय सेवकों को कांग्रेस में शामिल हो कर देश के लिए काम करने का निमंत्रण दिया था।
कांधार पर कुछ और अर्धसत्य
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नई दिल्ली, 7 अप्रैल-आडवाणी की किताब में कंधार मसले को लेकर जो हंगामा मच रहा है वह उनकी किताब को बगैर पढ़े ही मचाया जा रहा लगता है। किसी ने यह नहीं लिखा कि इस आफत से निजात पाने के लिए एनडीए सरकार ने राजवी गांधी भवन में एक नियंत्रण कक्ष बनाया था और उसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलहकार ब्रजेश मिश्र के अलावा गुप्तचर ब्यूरो के अजीत डोभाल, रा के सी.डी सहाय और विदेश मंत्रालय के विवेक काडजू भी मौजूद थे। बाद में इन्हीं तीनों अधिकारियों को आतंकवादियों से बातचीत करने के लिए कांधार भेजा गया।
आडवाणी लिखते हैं कि शुरू में वे आतंकवादियों द्वारा भारत में बंद अपने साथियों की रिहाई की मांग से कतई असहमत थे। इसके अलावा आतंकवादियों ने बीस करोड़ डालर की नकद फिरौती देने की मांग की थी। आडवाणी ने लिखा है कि उस समय अफगानिस्तान पर तालिबान का शासन था और तालिबान और आईएसआई के जो रिश्ते हैं उन्हें देखते हुए इस पूरे कांड पर पाकिस्तान का ही नियंत्रण था। आडवाणी को पता नहीं कहां से यह जानकारी मिली थी कि तालिबान भारतीय उड़ान आईसी 184 को टैंकों से उड़ाने वाले थे। इस बात की धमकियां टीवी चैनलों पर आ चुकी थी।
आडवाणी ने जसवंत की भी तारिफ की है और उनके अधिकारियों की भी। उन्होने यह भी लिखा है कि आतंकवादी कांधार से निकलने के बाद कराची में प्रकट हुए थे। इसी से जाहिर है कि पाकिस्तान कितने भीतर तक इस षडयंत्र से जुड़ा है। यह सिर्फ संयोग की बात है कि कराची लालकृष्ण आडवाणी की जन्मभूमि है। अभी तक श्री आडवाणी ने यह नहीं कहा कि इस अपहरण कांड का पाकिस्तान में असली सूत्रधार कौन था। उन्होने अपनी किताब में कहीं यह नहीं लिखा है कि उनकी जानकारी में नकद फिरौती अदा नहीं की गई। बाद के साक्षात्कारों और बयानों में उन्होने जरूर इस तरह के आरोप लगाये हैं।
लालकृष्ण आडवाणी ने यह किताब अपने चुनावी भविष्य को ध्यान में रख कर लिखी है और यह इसी बात से जाहिर है कि वे इसका हर मंच और हर फोरम से प्रचार करवाना चाहते हैं। अब तो एक नहीं दो-दो वेबसाइट इस किताब को लेकर भाजपा की ओर से बनवाई गई है और पुस्तक के प्रकाशक इनसे होने वाले प्रचार से अपना नुकसान होना तय मान रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी ने पुस्तक की भूमिका में लिखा है कि उन्हे इस पुस्तक के पठनीय और लोकप्रिय होने की उम्मीद है। अटल जी नहीं जानते रहे होंगे कि पुस्तक में उनकी भूमिका पर भी कई गंभीर सवाल खड़े किए जाएंगे।
बिग बी मराठी में बोले और ठाकरे बचाव में
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्रमुंबई, 7 अप्रैल-अमिताभ बच्चन और बाल ठाकरे ने अपने-अपने दांव खेल दिए हैं। बाल ठाकरे ने आज अपने अखबार सामना के संपादकीय में अपने ही अखबार में छपे एक लेख की आलोचना करते हुए श्री बच्चन को पूरे देश का नायक बताया और कहा कि उन पर क्षेत्रीयता के बंधन नहीं लादे जाने चाहिए।
उधर अमिताभ बच्चन ने दस मिनट तक धारा प्रवाह मराठी बोलकर महाराष्ट्र को अपने लिए सबसे बड़ी ताकत बताया और कहा कि मुंबई ने मुझे घर दिया, पत्नी दी, प्रसिध्दि दी और आजीविका दी। लोकमत और सीएनएन के मराठी समाचार चैनल के उद्धाटन के मौके पर दिए गए संदेश में श्री बच्चन ने मराठी बोल कर सबको चकित कर दिया। उन्होने यह भी कहा कि मेरे पिता की कविताओं का अनुवाद मराठी में हो चुका है। लेकिन अमिताभ बच्चन ने घुमा फिरा कर मराठियों की सर्वोच्चता और उत्तर भारतीयों की हीन्नता को लेकर चलाए जा रहे अभियान की भी खबर ली और कहा कि अगर हमें पूरे संसार में स्वीकार योग्य बनना है तो एक-दूसरे की संस्कृति और भाषाओं का सम्मान करना चाहिए।
उधर सामना के पहले पन्ने के अपने विशेष संपादकीय में बाल ठाकरे भी अमिताभ बच्चन के सुर में बोल रहे थे। उन्होंने लिखा की अमिताभ बच्चन की ख्याति और परिचय को किसी क्षेत्रीयता के बंधन में नहीं बांधा जा सकता और इस तरह के विवाद खड़े करना उचित नहीं है। ठाकरे ने लिखा कि अमिताभ बच्चन हमारे परिवार के हिस्से हैं और मैंने खुद कभी उनके बारे में कोई अनुचित टिप्पणी नहीं की। फिर भी उन्हें अपने अखबार को बचाना था इसलिए उन्होने लिखा कि हमारे बच्चन परिवार से रिश्ते इतने कमजोर नहीं हैं कि कुछ टीवी चैनल उन्हें तोड़ देंगे। पिछले शनिवार को सामना ने अमिताभ बच्चन को सलाह दी थी कि अमिताभ बच्चन को रजनीकांत की तरह होना चाहिए जो तमिल हितों के बारे में खुल कर बोल रहे हैं। प्रसंग वश रजनीकांत ने भी अब कर्नाटक के खिलाफ अपना बयान वापस ले लिया है।
चोरी के अभियुक्त है मुंबई पुलिस
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मुंबई, 7 अप्रैल-मुंबई पुलिस अपराधियों को पकड़ने के साथ खुद भी चोरी का काम शुरू कर चुकी है। पुलिस बिजली के चोरी का आरोप है। यह नायाब तरीका मुंबई में करीब 88 पुलिस चौकियों में वर्षों से आजमाया जा रहा है। एक चौकी तो ऐसी है कि 2001 से अब तक सिर्फ सात यूनिट ही खर्च कर पाई है।
मुंबई पुलिस के मरीन ड्राइव ट्रैफिक पुलिस चौकी पर एक विज्ञापन बोर्ड 2001 से लगा है। इसमें 2001 से इलेक्ट्रिक सप्लाई दी जा रही है लेकिन तब से अब तक यह मीटर मात्र सात यूनिट ही बता रहा है। आई के चौगानी ने इस विज्ञापन बोर्ड को लेकर एक अपील बंबई हाईकोर्ट में डाली है। अपील में उन्होने कहा है कि करीब तीन-चार सप्ताह से मैं मरीन ड्राईव चौकी के मीटर को देख रहा हूं वह सात यूनिट ही है। जबकि यहां पर विज्ञापन बोर्ड दिन-रात रौशन रहता है। इसलिए मुझे शक है कि बिजली की यहां चोरी की जा रही है। चौगानी ने मुंबई के अन्य पुलिस चौकियों पर भी आरोप लगाया है कि शहर में कई पुलिस चौकियां अवैध रूप से स्ट्रीट लाइट और ट्रैफिक सिग्नल से बिजली की चोरी कर इस्तेमाल कर रही है।
इस अपील के जवाब में बेस्ट के सहायक जेनरल मैनेजर अशोक वासुदेव ने कहा कि वह मीटर एक आउटडोर कंपनी के नाम पर लगाया गया था लेकिन इस अपील के बाद हमने मीटर बदल दिया है और पुराने मीटर को जांच के लिए भेज दिया गया है। यहीं नहींइसमें 88 पुलिस चौकियों की लंबी फेहरिस्त है जो कि बिजली की चोरी करते हैं। इनमें से 42 चौकियों के खिलाफ कदम उठाये गए हैं, इन चौकियों में अवैध रूप से बिजली का उपयोग किया जा रहा था और 16 चौकियां ऐसी थी जो कि बिना मीटर के बिजली का उपयोग रहीं थीं।
कुवैत के अदालती फैसले पर टिकी जिन्दगी
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अलाप्पाजहा(केरल), 7 अप्रैल- केरल के एक गांव से दो साल पहले 26 वर्षीय सीमील कुवैत के लिए रवाना हुआ था ताकि वह अपने परिवार के माली हालत को सुधारने में मदद कर सके। जब वह गया तो घरवालों को भी रोटी की एक नई उम्मीद दिखी पर अब रोटी तो दूर सीमील अपने ही साथी के मौत के आरोप में कुवैत में जेल के सलाखों के पीछे अपने रिहाई की बाट जो रहा है।
21 नवंबर 2007 को क्रिकेट मैच के बाद हार-जीत को लेकर सीमील और उसके 31 वर्षीय दोस्त सुरेश से धक्का-मुक्की हो गई और इतने में चाकू सुरेश के गले के पार हो गया और मौके पर उसकी मौत हो गई। सुरेश आंध्र पदेश के कुद्दापाह जिले का रहने वाला है। सुरेश के मरने के बाद सीमील तुरंत नजदीक के पुलिस स्टेशन गया और घटना के बारे में बताया। अब सीमील कुवैत में सलाखों के पीछे है और उसके परिवार वाले कुवैत कोर्ट से उसकी रिहाई की अपील कर रहे हैं। लेकिन कुवैत के कानून के अनुसार सीमील को तभी छोड़ा जा सकता है जब मृतक के परिवार वाले उसे माफ कर दें।
सुरेश की पत्नी ने सीमील को माफी देने के लिए कागजात पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और उसे कुवैत स्थित भारतीय दूतावास में भेज दिया गया है। अब इस आधार पर कुवैत के कोर्ट में मामले की सुनवाई होगी। इस मामले में केरल के विपक्ष के कांग्रेसी नेता ओमान चांडी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उन्होने सुरेश की पत्नी को माफी देने के बदले में 10 लाख रुपये देने का इंतजाम किया। इसके बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी ने भी सुरेश की पत्नी को 5 लाख रुपये दिए। अब कुवैत के वकील की महंगी फीस को चुकाने के लिए कुवैत में रह रहे बहुत सारे केरलवासियों ने मिलकर रकम की व्यवस्था की है ताकि सीमील की रिहाई हो सके।
फेरबदल कर फंसे मनमोहन
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नई दिल्ली, 7 अप्रैल -शिबू सोरेन ने बगावत कर दी है और इसके नतीजे कांग्रेस को भुगतने पडेंगे। वैसे भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केन्दीय मंत्रिमंडल में फेरबदल में क्षेत्रीय संतुलन ठीक से न होने पर उनको कोई खास फायदा नहीं मिलने वाला है। गुर्जरों के नेता सचिन पायलट को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पाने से गुर्जरों में कांग्रेस आलाकमान के प्रति गहरी नाराजगी फैल गई है। राजस्थान में कांग्रेस को इसकी कीमत चुकानी पडेगी। वहीं यह फेरबदल क्षेत्रीय और जातीय संतुलन नहीं बन पाया। उत्तराखंड और छत्तीसग़ढ को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया। उडीसा को भी निराशा ही हाथ लगी। सचिन पायलट जगह मंत्रिमंडल में शामिल किए गए संतोष बगरोडिया गांधी परिवार के पुराने वफादार हैं।
दो दिनों तक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के यहां मंत्रिमंडल को लेकर हुई माथापच्ची के बावजूद संतुलन को लेकर कई नेताओं में नाराजगी है। आंध्रप्रदेश के हनुमंत राव का पत्ता ऐन मौके पर कटा। शिबू सोरेन अदालत से राहत पाने के बाद से ही दबाव बनाए हुए थे, लेकिन वह भी कामयाब नही हो पाए। दागदार छवि की वजह से उन्हें प्रधानमंत्री खुद नहीं चाहते थे। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की खूब चल रही है। उन्होंने कोटे से बाहर जाकर अपनी पार्टी के रघुनाथ झा को तो मंत्री बनवाया ही, साथ ही आईपीएस अधिकारी रहे डॉ. रामेश्वर ओरांव के लिए भी पैरवी की। यह बात अलग है कि वह कांग्रेस कोटे से हैं। फेरबदल के बाद बनी टीम को चुनावी टीम के रूप में देखा जा रहा है।
केंद्रीय राज्यमंत्री जितिन प्रसाद ने पार्टी की नेता सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रति बेहद विनम्र लहजे में कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि दोनों नेताओं ने उन पर विश्वास करके जो जिम्मेदारी सौंपी है, उसे पूरा करने का हरसंभव प्रयास करते रहेंगे। फोन पर हुई बातचीत में प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस युवाओं को आगे बढाने का प्रयास कर रही है और मंत्रिमंडल विस्तार पार्टी की इसी सोच का प्रमाण है। जहां तक उन्हें मिली जिम्मेदारी का सवाल है, पार्टी नेतृत्व और प्रधानमंत्री के विश्वास की कसौटी पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा।
माओवादियों के नक्शे में पंजाब भी
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चंडीग़ढ, 7 अप्रैल -नक्सलियों का अगला निशाना पंजाब होगा। पंजाब में नक्सली आंदोलन को योजना वद्भ तरीके से चलाने के लिए नक्सली नेताओं ने तैयारी कर दी है। इसका खुलासा खुफिया एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में किया है। पंजाब में नक्सली आंदोलन को तेज करने के लिए बिहार के नक्सली नेताओं को तैनात किया गया है। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में कहा गया है कि सीपीआई माओ के केंद्रीय कमेटी के सदस्य प्रमोद मिश्र को पंजाब की कमान दी गई है। शुरूआती दौर में राज्य के शहरी इलाकों में रहने वाले प्रवासी मजदूरों को लक्ष्य कर संगठन को मजबूत करने की कोशिश है।
झारखंड में सीपीआई माओ के केंद्रीय समिति के सदस्य मिसिर बेसरा उर्फ भास्कर उर्फ सुनीरमल की गिरफ्तारी और उससे पूछताछ के बाद कई खुलासे सामने आए हैं। इस खुलासे में अब देश के उतरी राज्यों को नक्सलवादी आंदोलन का लक्ष्य बताया गया है। इसमें पंजाब और हरियाणा भी शामिल है।
खुफिया एजेंसियों के अनुसार बेसरा से पूछताछ में पता चला है कि पंजाब की कमान बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले प्रमोद कुमार मिश्र को दी गई है। प्रमोद कुमार मिश्र औरंगाबाद जिले के रफीगंज का रहने वाला है और यह भी सीपीआई माओ के केंद्रीय कमेटी का सदस्य है।
पंजाब इंटेलिजेंस ने भी पिछले माह अपने डीएसपी और एआईजी की बैठक बुलाकर नक्सलवादी आंदोलन के खतरे के संबंध में चेतावनी दी और पूरी रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया। राज्य में छोटे किसान और मजदूर यूनियन नक्सलियों के लक्ष्य हैं और पंजाब इंटेलिजेंस के आला अधिकारी भी इस तथ्य को स्वीकार कर रहे हैं। मालवा इलाके में किसानों की बढती खुदकुशी और किसानी को फायदा नहीं होना भी चिंता का विषय है, यह भी नक्सलियों के लक्ष्य होंगे। इंटेलिजेंस के अधिकारियों के अनुसार रिलायंस फ्रेश और शुभिच्छा जैसे रिटेल स्टोर के खुलने से बेरोजगार होने वाले रेहडी फडी वाले भी नक्सलियों के लक्ष्य हैं।
गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद हाल ही में राज्यों को भेजी जानकारी में आईबी ने बिहार के कई जेलों पर नक्सलियों के हमले का अंदेशा जताया है। बिहार पुलिस को इस संबंध में सतर्क किया गया है। खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक नक्सली दरभंगा, बेगूसराय, भागलपुर, गया, जहानाबाद, सासाराम, सीतामढी, पटना (बेउर), बेतिया, खगड़िया, बगहा, मोतिहारी, जमुई, बक्सर और औरंगाबाद जेल पर हमले की योजना बना रहे हैं ताकि इन जेलों में बंद कैडरों को छुड़ाया जा सके।
महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में अपना प्रभाव जमाने के बाद सीपीआई माओवादी के नक्सलियों के टारगेट में पुणे-अहमदाबाद इंडस्ट्रियल कॉरीडोर भी है। इस इंडस्ट्रियल कॉरीडोर में अहमदनगर, पुणे, मुंबई, ठाणे, नासिक, धुले आदि जिले शामिल हैं, जहां पर अब नक्सली अपने प्रभाव को बढाने की कोशिश में है। इस इलाके में कैडर रिूटमेंट की योजना नक्सली संगठनों ने बनाई है।
पंजाब में नक्सलियों की गतिविधियों पर पुलिस की पूरी नजर है। जो भी जानकारी अलग-अलग एजेंसियों से मिल रही है, उस हिसाब से पुलिस अपने काम के अंजाम दे रही है। राज्य के कुछ जिलों में जिसमें संगरूर, मानसा, बठिंडा आदि इलाके शामिल हैं जो पहले भी नक्सली प्रभाव वाले इलाके रहे हैं।
हॉकर का बेटा मेजर, पकडा गया
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लखनऊ, 7 अप्रैल -मेजर की वर्दी पहन कर पुलिस के कई अधिकारियों को काफी समय तक झांसे रखने वाले का खेल अधिक देर तक नहीं सका और संदेह होने पर पुलिस ने जब उसे पकडा तो वह एक बहुत बडा जालसाज निकला। पुलिस ने उसके पास से सेना की वर्दी, बैज-बेल्ट के साथ अखबार और पत्रिका के दो फर्जी परिचय पत्र भी जब्त किए हैं। वह ठगी के इरादे से सेना और पुलिस में घुसपैठ कर रहा था।
एएसपी सिटी पूर्वी हरीश कुमार ने बताया कि इंस्पेक्टर कैंट पीआर वर्मा ने अपनी टीम की मदद से बुलंदशहर के नवलपुरा खुर्जा निवासी कपिल शर्मा उर्फ कपिल अवस्थी उर्फ कपिल अर्जुन को गिरफ्तार करके उसके कब्जे से सेना के बैज, कैप, बैग, इनलाइमेंट न्यूज व ाइम नेशनल के फर्जी परिचय पत्र और तीन मोबाइल बरामद किए हैं। वह खुद को सेना का मेजर बताकर अधिकारियों पर रौब गांठकर ठगी का प्रयास कर रहा था। उसने खुद को इंटरपोल का सदस्य और अपना मुख्यालय ज्वाइंट इंटेलीजेंस कमीशन आरके पुरम दिल्ली बताया।
पूछताछ में खुलासा हुआ कि चार दिन से हुसैनगंज क्षेत्र के एक होटल में ठहरे कपिल शर्मा ने पुलिस के कई अधिकारियों को फोन करके हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट संचालन और ड्रग्स का कारोबार करने वालों के बारे में सटीक सूचना देने का झांसा देकर घुसपैठ बनानी शुरू की। पुलिस के अधिकारी काफी समय तक उसके रौब में रहे। बाद में संदेह होने पर मिलिट्री इंटेलीजेंस के मेजर डबास से कपिल का सामना कराया गया। थोड़ी देर की बातचीत में सच्चाई उजागर होने लगी। पुलिस ने उसे कस्टडी में ले लिया।
हरीश कुमार ने बताया कि कपिल के पिता जेपी शर्मा बुलंदशहर में न्यूज पेपर एजेंट हैं। कपिल बचपन से ही सेना का बडा अफसर बनने का ख्वाब देख रहा था। किन्हीं कारणों से ख्वाब पूरा न होने पर उसने सेना और पुलिस के बारे में तमाम जानकारी हासिल की और खुद को मेजर बताने लगा। इस पर किसी ने आपत्ति नहीं की तो उसने फर्जी मेजर बनकर ठगी का इरादा बनाया। पुलिस अफसरों के फोन नंबर संकलित किए। उनसे फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करके प्रभावित किया। छोटी मोटी ठगी कर चुका कपिल मोटा हाथ मारने के इरादे से लखनऊ आया था लेकिन पुलिस की गिरफ्त में फंस गया।
छोटे लालच से फंस गए मेजर साहब
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लखनऊ, 7 अप्रैल - कहते हैं कि अपराध करने वाली एक चूक ही उसे सलाखों के पीछे पहुंचा देती है। ऐसी ही एक गलती फर्जी मेजर साहब से भी हो गई थी। जब कोई मेजर एसएसपी से सिर्फ पांच सौल का मोबाइल रिचार्ज करने की बात कहेगा तो उस पर शक होना लाजिमी ही हो जाता है।
कई आला अधिकारियों को अपने झांसे में लेने के बाद खुद को सेना का मेजर बता रहे मास्टर माइंड कपिल से गलती ये हुई कि उसने एएसपी सिटी से मोबाइल रीचार्ज कूपन मांग लिया था। हैलो..एसएसपी लखनऊ...मैं मेजर कपिल शर्मा बोल रहा हूं। संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था ज्वाइंट इन्वेस्टीगेशन कमीशन से जुड़ा हूं। अपराध के बदलते तौर-तरीकों की इन्वेस्टीगेशन कर रहा हूं। लखनऊ में हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट और ड्रग्स सप्लायर के बारे में सटीक जानकारी है। उनकी धरपकड कराना चाहता हूं। अंग्रेजी मिक्स हिंदी में बातचीत करके एसएसपी अखिल कुमार पर विश्वास जमाने की कोशिश की। इस पर एसएसपी ने एएसपी सिटी पूर्वी हरीश कुमार को कार्रवाई के निर्देश दिए।
कप्तान का निर्देश मिलते ही हरीश कुमार ने मेजर कपिल का नंबर डायल किया। फोन पर बातचीत करके वह भी प्रभावित हो गए, लेकिन कपिल ने उनसे मोबाइल 500 रुपये का रीचार्ज कराने की मांग कर दी। इस पर एएसपी का माथा ठनका। मेजर से उन्हें ऐसी उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कपिल को कैंट कोतवाली बुलाया। वहां बातचीत शुरू की तो संदेह गहराने लगा। एएसपी ने मिलिट्री इंटेलीजेंस के मेजर डबास को बुला लिया। इसके बाद दोनों अधिकारियों ने कपिल से वार्ता शुरू की। उसने खुद को 96 बैच का मेजर बताया।
खास बात ये थी कि उसी मेजर डबास भी उसी बैच के हैं। उन्होंने कई सवाल किए। कपिल बडी सफाई से जवाब देता रहा। उसने यह भी बता डाला कि सेना के अधिकारी भी इंटरपोल में होते हैं। सवालों की बौछार होने पर कपिल का भांडा फूट गया। उसने खुलासा किया कि वह पुलिस अधिकारियों पर रौब गांठने के लिए नकली मेजर बना और लोगों को ठगी का शिकार बनाने लगा। राजधानी में मोटा हाथ मारने का इरादा था।
रेल से कट मरा एक चैम्पियन
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लखनऊ, 7 अप्रैल -स्कूल में ऐसा क्या कह दिया गया कि ताइक्वांडो चैम्पियन ने खुदकुशी कर ली। बताया जा रहा है कि ताइक्वांडो चैम्पियन छात्र गौरव सिंह 11 वीं की परीक्षा में फेल हो गया था और स्कूल प्रशासन ने उसे स्कूल से निकालने की धमकी दे दी। उसी आहत होकर उसने ट्रेन कटकर जान दे दी। लखनऊ में छात्रों की खुदकुशी करने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में तीन छात्रों ने भी आत्महत्या कर ली थी।
ताइक्वांडो की राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में तीन बार गोल्ड मेडल जीतने वाले गौरव परिजनों का आरोप है कि स्कूल में शिक्षक उस पर टयूशन पढने के लिए भी दबाव बनाते थे। स्कूल प्रबंधक राजीव तुली और प्रधानाध्यापिका शम्सा बेगम के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया है।गोमतीनगर के खरगापुर के सरस्वतीपुरम निवासी आशा सिंह का बेटा गौरव (17) विराम खंड-5 के मार्डन एकेडमी इंटर कालेज में 11वीं कक्षा का छात्र था। शनिवार की शाम करीब 7.30 बजे वह घर से किसी को कुछ बताए बिना चला गया। तलाश करने के बाद परिजनों ने रात करीब 12 बजे गोमतीनगर थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज करा दी।
रविवार की सुबह 8 बजे परिजनों को सूचना मिली कि खरगापुर रेलवे ासिंग के पास एक किशोर का शव मिला है। घटनास्थल पर पहुंचे परिजनों ने मृतक की शिनाख्त गौरव के रूप में की। स्थिति यह थी कि काफी देर बाद तक कोई उसकी मां को सूचना देने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।
गौरव के मामा सुनील कुमार सिंह ने बताया कि वह कामर्स का छात्र था। 11वीं की परीक्षा में वह चार विषयों में फेल हो गया था। इस बात पर स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने उसे बुलाकर खूब डांटा और स्कूल से निकालने की धमकी भी दी। उसके बाद जब स्कूल से घर लौटा तो काफी गुमसुम था। वह किसी से बात नहीं कर रहा था। फेल होने और स्कूल में अपमानित किए जाने के सदमे को वह बर्दाश्त नहीं कर सका और उसने अपनी जान दे दी। 2 अप्रैल को उसका रिजल्ट निकला था।
घटना के बाद जब परिजनों ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका शम्सा बेगम को गौरव के खुदकुशी करने की सूचना दी तो उन्होंने उसे पागल लडका बताकर फोन काट दिया। जब शम्सा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि गौरव सारे विषयों में फेल था। दो से ज्यादा विषयों में फेल होने वाले छात्रों की दोबारा परीक्षा नहीं होती है। विद्यालय प्रबंधन ने स्कूल से निकालने के लिए नहीं बल्कि 11वीं कक्षा में ही पढाई जारी रखने का प्रस्ताव दिया था। कहा कि उस पर ट्यूशन पढने के लिए भी कोई दबाव नहीं था। मार्डन एकेडमी इंटर कालेज ने खेल में अव्वल होने के कारण ही गौरव को अपने स्कूल में एडमिशन लेने के लिए बुलाया था।
प्रबंधतंत्र बिना फीस लिए गौरव को एडमिशन देने के लिए तैयार था, क्योंकि गौरव की प्रसिध्दि से स्कूल का 'गौरव' जुड़ रहा था। पर परीक्षा के बोझ ने गौरव के राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल जीतने का सपना पूरा नहीं होने दिया। बचपन से ताइक्वांडो के प्रति रुचि ने गौरव को इस खेल का माहिर खिलाडी बना दिया। 14 वर्ष की उम्र तक आते-आते उसके पास शील्ड, मेडल और सर्टीफिकेटों का ढेर लग गया। उसने तीन बार राज्यस्तरीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीते। कई समाचार पत्रों में उसके इंटरव्यू छपे। उसकी बढती प्रसिध्दि देख मार्डन एकेडमी इंटर कालेज के प्रबंधक ने उसके परिजनों से बात की। उन्होंने गौरव का एडमिशन उनके स्कूल में कराने का प्रस्ताव रखा। वे सत्र शुरू होने के बावजूद उसे बिना फीस लिए एडमीशन देने को तैयार थे। 8वीं कक्षा से परिजनों ने गौरव का एडमीशन मार्डन एकेडमी में करा दिया। अखबारों में जब भी गौरव का नाम छपता तो स्कूल को भी वाहवाही मिलती थी।
करीब तीन वर्ष पहले एक दैनिक समाचार पत्र को दिए गए इंटरव्यू में हम उम्र साथियों को हिम्मत न हारने की सीख देने वाला गौरव आखिर क्यों हिम्मत हार गया, यह सवाल उसके परिजनों और साथियों को परेशान कर रहा है। जून 2005 में पिता जगदीश सिंह की मौत के बाद वह अपनी मां का एकमात्र सहारा बचा था। उसके पिता ग्राम्य विकास विभाग से सहायक विकास अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। ऐसा नहीं है कि गौरव की योग्यता सिर्फ खेलने तक ही सीमित रही हो, हाईस्कूल तक की परीक्षाएं उसने अच्छे नंबरों से पास की थीं। ऐसा क्या दबाव या वजह रही कि दूसरों को हिम्मत रखने की सीख देने वाले गौरव की हिम्मत खुद जवाब दे गई।
वैष्णो देवी से उदास लौटे लालू
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जम्मू, 7 अप्रैल -माता वैष्णो देवी के दरबार में भी केंदीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव
ने अपनी चलानी चाही लेकिन माता के दरबार में उनकी एक नहीं चली और उन्हें मायूस होकर लौटना पडा। पुजारियों ने उनका मां की पिंडियों के सामने बने प्लेटफार्म पर बैठकर पूजा करने का अनुरोध ठुकरा दिया। इससे नाराज लालू ने सरकारी भोज भी नहीं किया और सिर्फ चाय पीकर ही लौट आए।
यात्रा के दौरान उनकी पत्नी राबडी देवी और बच्चे भी थे। इससे पहले रेलमंत्री ने जम्मू से काठगोदाम के लिए गरीब रथ को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया। उन्होंने जम्मू-सुच्ची पिंड रेलवे लाइन विद्युतीकरण परियोजना का भी शिलान्यास किया।बोर्ड सूत्रों के मुताबिक पवित्र गुफा में पुजारियों के समक्ष उस समय अजीबोगरीब स्थित पैदा हो गई, जब लालू ने पिंडियों के समक्ष बैठ कर पूजा की इच्छा जताई। तब लालू को बताया गया कि अगर वह पिंडियों के समक्ष बैठते हैं तो उनके पैर पिंडियों के चबूतरे पर होंगे, जो वर्जित है।
इसके बाद लालू सामान्य दर्शन कर बाहर आ गए। इस संबंध में श्राइन बोर्ड प्रबंधन ने कहा कि रेल मंत्री की सुविधा के मद््देनजर आम भक्तों के लिए कुछ देर तक दर्शन रोके गए। एक आला अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि पिंडियों के सामने बैठकर पूजा का प्रावधान नहीं है। कोई भी इसकी इजाजत नहीं दे सकता। अलबत्ता आरती में शामिल होने की व्यवस्था है, जो बुकिंग पर निर्भर करता है।
कश्मीर में किशोरों की गिरोहों में भर्ती
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श्रीनगर, 7 अप्रैल -कलम पकडने वाले हाथों में बंदूके थमा कर अब घाटी में आतंकवादियों की संख्या को बढाया जा रहा है। आतंकी संगठन ऐसा घाटी में कम हो रहे आतंकवादियों की संख्या बढाने के लिए कर रहे हैं। आतंकी संगठनों ने कम उम्र बच्चों को लालच देकर उनके हाथ में बंदूक थमाकर अपने नापाक इरादों में कामयाब होना चाहते हैं। हालांकि ऐसी जानकारी मिलते ही सुरक्षा बलों ने उनके एक नापाक इरादे को चकनाचूर कर दिया।
आतंकी ट्रेनिंग लेने जा रहे अवंतीपोरा के तीन किशोरों को पुलिस ने दबोच लिया है।सुरक्षा बलों को दिन ब दिन मिलती कामयाबी और आतंकियों की घटती संख्या से घबरा कर संगठनों ने किशोरों को फंसाना शुरू कर दिया है। जानकारी के अनुसार कम उम्र युवक आतंकी ट्रेनिंग के लिए जाते समय पहली बार नहीं पकडे गए हैं। इतना जरूर है कि सालों बाद इस तरह की कोई घटना समाने आई है।
अवंतीपोरा के एसएचओ निसार अहमद ने बताया कि पुलिस ने सतूरा के ऊपर वस्तरवस जंगल से तीन किशोरों को गिरफ्तार किया। इनकी पहचान सीराज अहमद खान पुत्र बशीर अहमद खान, फिरदौस अहमद पंडित पुत्र मोहम्मद सुल्तान पंडित और तनवीर अहमद शेख पुत्र शाबान शेख सभी निवासी बडू अवंतीपोरा के रूप में हुई है। तीनों की उम्र 14 साल से कम है। इन लोगों ने पूछताछ में बताया कि अनंतनाग के नादिम ने बंदूक उठाने के लिए प्रेरित किया था। युवकों ने पूछताछ में बताया कि कुछ कारणों से पैसों की जरूरत थी और ऐसे भी बंदूक चलाना अच्छा लगता है।
नादिम को ही पता था कि इन लोगों को कहां जाना है और किससे मिलना है। उसी ने जंगल तक पहुंचाया था। हालांकि नादिम अभी पुलिस की पकड में नहीं आ सका है। एसएचओ ने बताया कि नादिम ने ही लडकों को बहला कर आतंकियों से मिलने के लिए राजी किया था। इन लोगों की उम्र ऐसी नहीं है जो सही और गलत का फैसला कर सकें। यही वजह थी कि नादिम लडकों को रजामंद करने में कामयाब रहा। पूछताछ के बाद तीनों लडकों को घर वालों के हवाले कर दिया गया है।
सुरक्षा बलों को बेशुमार कामयाबी मिली है। तीन दिन पहले पुलिस ने घाटी के सबसे बडे आतंकी संगठन हिज्ब की कमर तोड़ दी। पुलिस ने हिज्ब को वैचारिक मजबूती देने वाले और संगठन के प्रवक्ता जुनैदुल इस्लाम को दबोच लिया। इससे दो दिन पहले संगठन के टॉप आतंकी भी पुलिस के हत्थे चढ थे। उससे ठीक पहले हिज्ब का आईईडी मास्टर रईस काचरू भी सीआरपीफ के हत्थे चढ गया। पुलिस के अनुसार सिर्फ नार्थ कश्मीर में अभी हाल में हुए मुठभेड़ में करीब 12 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया है। इसके अलावा दूसरे आतंकी संगठनों को भी इस साल जबरदस्त झटका दिया गया है।
कश्मीर मे फिर बनने लगी फिल्में
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श्रीनगर, 7 अप्रैल -हिन्दुस्तान में स्वर्ग है तो वह कश्मीर मे है, कश्मीर में है। जीं हां हमारे ख़डी बोली के जन्मदाता और कवि आमिर खुसरो ने अपनी रचना मे लिखा है। ऐसा मुगल बादशाह शाहजहां ने कहा था। लेकिन समय बदला और यह स्वर्ग से सुन्दर शहर को आतंकवादियाें की नजर लगी। यहां आए दिन खून की होली खेली जाती थी। पूरी घाटी में दर्जनों की संख्या में लाशों को दफनाया जाता था। अंग्रेजो से जब देश आजाद हुआ तो कश्मीर में अमन चैन था। तब उस समय बॉलीबुड में कश्मीर सुंदरता का सुदर चित्रण किया जाता । लेकिन जैसे जैसे आतंकवादी गतिविधियों ने जोर पकडा तो यहां के नजारे कैमरे से दूर होते चले गए । लेकिन अब धीरे धीरे फिर वह समय लौट रहा है।
बॉलीवुड की गोल्डन जुबली फिल्मों की लिस्ट तैयार की जाए तो दर्जनों ऐसी फिल्में सामने आएंगी, जिसकी शूटिंग धरती के स्वर्ग कश्मीर में हुई है। चाहे जुबली स्टार राजेंद्र कुमार की आरजू हो, शम्मी कपूर का जंगली, शशि कपूर का जब जब फूल खिले या फिर शम्मी कपूर की ही कश्मीर की कली हो। घाटी में कुछ साल पहले हर समय लाइट... कैमरा... एक्शन गूंजता रहता था। अचानक गरजी बंदूक के सामने ये आवाजें दब सी गई।
अब माहौल बदल रहा है। इन दिनों शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे लव सिन्हा को अवंतीपोरा के खेतों में नाचते देखा जा रहा है ये बात कल्पना से बाहर हो गई थी कि आतंकियों का ग़ढ समझे जाने वाले अवंतीपोरा में किसी फिल्म की शूटिंग भी हो सकती है। उस समय सैकडों लोग राजमार्ग पर जमा हो गए, जिसे हटाने के लिए पुलिस को बल का प्रयोग करना पडा। इलाके के लोग अपने खेत खलिहान में सितारों को देख हैरत में पड गए थे। नई पीढ़ी के सितारे एक बार फिर धरती के स्वर्ग की तरफ रुख करने लगे हैं।
अमिताभ बच्चन और राखी की फिल्म बेमिसाल की शूटिंग पहलगाम में हुई थी। यहीं पर राजेश खन्ना की रोटी बनी थी। 1984 में पहलगाम से कुछ दूर स्थित घाटी में सनी देओल की पहली फिल्म बेताब बनी थी। तभी उस घाटी को बेताब वैली के नाम से पुकारा जाता है। 1989 के बाद कश्मीर में कहीं भी फिल्म की शूटिंग नहीं हुई। इस खाई को मशहूर कैमरा मैन संतोष सिवन ने पाटा और 22 नवंबर 2007 को एक मराठी फिल्म दास्तान की शूटिंग शुरू की, जो करीब 15 दिनों तक चली।
इस दौरान पहलगाम की वादियों ने सालों बाद अपने चहेतों के दर्शन किए। इस फिल्म की शूटिंग के लिए अनुपम खेर, राहुल खन्ना, टाम अल्टर और विक्टर बनर्जी पहलगाम आए थे।
पर्यटन विभाग के निदेशक फारूक अहमद शाह ने बताया कि कश्मीर हर लिहाज से फिल्म की शूटिंग के लिए बेहतर है। मुंबई के लोग स्विटजरलैंड जाते हैं। वहां पैसा पानी की तरह बहाया जाता है। जबकि कश्मीर में कम बजट में उनको वैसा ही लोकेशन मिल जाएगा। एक बार मशहूर निर्माता निर्देशक महेश भट््ट ने अफरवट से गंडोला की सवारी करते हुए कहा कि था कि हम लोग बेकार स्विटजरलैंड जाते हैं। यहां का लोकेशन उससे बेहतर है। शाह ने कहा कि यहां आने वाले फिल्मकारों को सारी सुविधा दी जाएगी।
हिमाचल में ही टिके रहेंगे वीरभद्र
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शिमला, 7 अप्रैल -हिमाचल के राजा और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र ने अपने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि वह हिमाचल छोड़ कर केंद्र की राजनीति में नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग उनकी पार्टी के ही उन्हें हिमाचल की राजनीति से बाहर देखना चाहते हैं उनकी ये मंशा कभी पूरी नहीं हो पाएगी। श्री वीर भद्र ने कहा कि लोकसभा चुनाव लडने का उनका कोई विचार नहीं है और न ही पार्टी की ओर से ऐसे कोई निर्देश या संकेत हैं।
वीरभद्र ने कहा कि जैसा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कहेंगी। कुछ नेताओं की ख्वाहिश या सुविधा के लिए वह दिल्ली जाने वाले नहीं। विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत को सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने पूरा जोर लगाया, लेकिन भाजपा की 'फौज' के सामने वह अकेले पड गए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकसभा चुनाव लडने का उनका कोई इरादा नहीं है।
उन्होंने कहा कि उन्हें प्रदेश की राजनीति से बाहर करने को प्रयासरत कांग्रेस के ही कुछ नेता इस तरह की चर्चा कर रहे हैं। कभी मेरे लोकसभा चुनाव लडने का शगूफा छोड़ा जाता है, तो कभी राज्यपाल बनाने का। उन्होंने कहा कि चंद स्थानीय नेताओें की ख्वाहिश और सुविधा के लिए वह प्रदेश छोड़ने वाले नहीं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी आलाकमान की ओर से उन्हें लोकसभा चुनाव को लेकर कोई निर्देश नहीं मिले हैं। पार्टी के कुछ लोगों की ख्वाहिश हो सकती है कि वह प्रदेश की राजनीति में न रहें। महज ऐसे लोगों को खुश करने के लिए वह दिल्ली नहीं जा सकते। उनके अनुसार वह पार्टी हित और सोनिया गांधी के कहने पर ही कोई कदम उठाएंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रदेश के कुछ नेता पहले भी पार्टी आलाकमान के समक्ष प्रदेश की गलत स्थिति पेश करते रहे हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत को सुनिश्चित करने का उन्होंने पूरा प्रयास किया, लेकिन वह भाजपा की फौज के सामने अकेले पड गए। विरोधियों की अपेक्षा केंद्र से उनकी पार्टी के कम नेता प्रचार के लिए हिमाचल आए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी एकजुट है।
नाचते हुए डॉक्टरों में खून खराबा
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चंडीग़ढ, 7 अप्रैल -रेजीडेंट डॉक्टरों ने पीकर जो ड्रामा किया उससे पूरा पीजीआई खासा चर्चा में बना हुआ है। जिस पीजीआई में पूरे देश के काफी गंभीर हालत में मरीज भर्ती होते है। वहीं के डॉक्टरों और स्टॉफ ने मरीजों को अपने हाल पर छोड़कर 'लेट नाइट डीजे पार्टी का आयोजन किया गया जिसमें जमकर हंगामा हुआ। पार्टी में डॉक्टर और टेक्नीशियन आपस में भिड गए। मामला हाथापाई और गाली-गलौज तक पहुंच गया। बाद में पीजीआई प्रशासन को हस्तक्षेप करना पडा तब जाकर हंगामा शांत हुआ और पार्टी दोबारा शुरू हुई।
पीजीआई के स्प्रिंग फेस्ट में हंगामे की एक ही दिन में यह दूसरी घटना थी।स्प्रिंग फेस्ट में रात को कैंपस में ही बने अपर कैफेटेरिया में लेट नाइट डीजे पार्टी का आयोजन होता है। पार्टी में रेजीडेंट डॉक्टर समेत संस्थान के सभी विभागों के विद्यार्थी हिस्सा लेते हैं। शनिवार देर रात करीब सवा एक बजे जब पार्टी चरम पर थी तब रेडियोथेरेपी विभाग के टेक्नीशियन कंचन तथा कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के लैब टेक्नीशियन गोस्वामी यहां पहुंचे। कंचन ने बताया कि जब वे और उनका दोस्त गोस्वामी डीजे फ्लोर पर चढने लगे तो वहां मौजूद डेंटल विभाग के सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर ने उन लोगों को चढने नहीं दिया।
इतना ही नहीं डॉक्टर ने दोनों को कालर पकडकर धक्का दे दिया। मामला बढता देख आयोजकों ने बीच बचाव करना शुरू कर दिया। बात बनती न देख पीजीआई प्रशासन को रात में ही सूचना दी गई। पीजीआई के सुरक्षाकर्मियों समेत तमाम लोग मौके पर पहुंचे। इस बारे में पीजीआई के कल्चरल कमेटी एवं पल्मोनरी विभाग के प्रमुख डॉ. एसके जिंदल ने बताया कि घटना शनिवार देर रात को हुई थी। दोनों पक्षों ने आपस में समझौता कर लिया है। उधर, सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर से जब इस संबंध में बात करने की कोशिश की गई तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
नर्सिंग इंस्टीटयूट की छात्राएं एवं फिजियोथेरेपी विभाग के छात्र भी आपस में भिड गए थे। दोनों पक्षों में जमकर हंगामा हुआ। इस हंगामे की वजह फिजियोथेरेपी विभाग के छात्रों के चरित्र पर कमेंट किया जाना था। छात्राओं ने टि््विस्टेड मूवी के एक दृश्य में दर्शाया कि फिजियोथरेपी विभाग के छात्र पढाई के दौरान प्यार किसी और से करते हैं और शादी किसी और से करते हैं। बस इसी को लेकर बवाल मचा था। मंजू वाडवलकर, प्रवक्ता, पीजीआई ने बताया कि पीजीआई प्रशासन से देर रात होने वाली पार्टी की इजाजत ली जाती है। दो तारीख से शुरू हुए स्प्रिंग फेस्ट में रोज ही कोई न कोई इवेंट होता है। इसमें सुरक्षा व्यवस्था भी पुख्ता होती है।
सुरों के शाहशाह की समाधि अभी नहीं
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वाराणसी, 7 अप्रैल -
फातमान स्थित दरगाह में भारत रत्न बिस्मिल्लाह खां को दफनाए गए स्थान पर मकबरा बनाने का मामला फिर अधर मे अटक गया है। इस बार मकबरा बनाने वाली कंपनी ने ही मकबरा बनाने से मना कर दिया है उसने रकम वापसी के लिए भी मेयर को पत्र लिखा है। आपकों बता दे कि फातमान स्थित दरगाह में भारत रत्न बिस्मिल्लाह खां की मजार बनाने के लिए अभी शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड का आपसी विवाद सुलझा ही नही हैं।
मकबरा अवस्थापना निधि से बनना है। इस निधि में पर्याप्त धन है फिर भी काम शुरू नहीं हो रहा है।आर्टिस्टिक विजन के अरुण सिंह का कहना है कि काम शुरू करने के लिए धरोहर राशि जमा किए छह महीने से अधिक हो गए थे फिर भी काम शुरू नहीं हुआ तो हाथ खींचने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। योजना के मुताबिक 21 फुट ऊंची मजार पर के प्रवेश द्वार पर धातु की शहनाई बनाई जाएगी।
उधर, नगर निगम के मुख्य अभियंता रामकेवल प्रसाद का कहना है कि धरोहर राशि वापस करने का आवेदन मिला है। मुख्य अभियंता का कहना है कि दोनों पक्षों के विवाद को देखते हुए इस संबंध में फाइल महापौर को भेजी गई है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष ने हाल ही में बनारस दौरे के समय कहा था कि आसपास के चीजों को कोई नुकसान न हो तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। इस संबंध में नगर निगम को बोर्ड से अनुरोध करना था, जो अब तक नहीं किया गया। सुन्नी वक्फ बोर्ड के जिलाध्यक्ष शकील अहमद बबलू भी कहते हैं कि नगर निगम की ओर से पहल न करने के कारण ही मामला लटका हुआ है।
शादी की जिद में अश्लीलता का नाटक
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आगरा, 7 अप्रैल -पहले दोस्त बनाया और फिर पेय पदार्थ में नशीला पदार्थ मिलाकर उसकी अश्लील बीडियो बनाकर युवती और उसके परिवार को करने लगा ब्लैकमेल। पीड़िता पुलिस में शिकायत भी की लेकिन पुलिस ने कोई मामला दर्ज नहीं । लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और कोर्ट में गई, जिसके आदेश के बाद पुलिस ने युवक के खिलाफ आईटी एक्ट में मामला दर्ज कर लिया है।
शातिर चाहता है कि युवती से उसका विवाह हो जाए। इसीलिए जहां भी युवती के परिजन रिश्ता तय करते शातिर उसे अश्लील क्लिपिंग दिखा कर तुड़वा देता। इस बार भी उसने ऐसा ही किया, युवती का शादी तय हो गई थी और माह के अंतिम सप्ताह में बारात आनी थी। इसे शातिर ने तुड़वा दिया।न्यू आगरा थाना क्षेत्र निवासी युवती के पिता ने एक माह पहले इस संबंध में थाना छत्ता में शिकायत की थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने से पहले मामले की जांच करना उचित समझा। करीब एक माह बाद भी जब छत्ता पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया तो पीड़िता के पिता ने कोर्ट की शरण ली। कोर्ट के आदेश पर शनिवार को थाना छत्ता ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस की मानें तो आरोपी युवक शातिर है। उसने युवती की अश्लील क्लिपिंग खींची है। छत्ता पुलिस ने युवती के पिता की तहरीर पर आरोपी प्रेम कुमार उर्फ छोटू पुत्र कैलाशी निवासी नाला भैरों चंदा पान वाली गली थाना छत्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
युवती के पिता ने तहरीर में लिखा कि उसके पुत्र बल्केश्वर स्थित कालेज में 11 वीं की छात्रा थी। उसके साथ पढने वाली दो सहेलियों ने आरोपी का परिचय उनकी पुत्री से कराया था। उसी दौरान छोटू ने पुत्री का मोबाइल नंबर ले लिया। इसके बाद उसने पुत्री से मोबाइल पर वार्ता करना शुरू कर दिया। शातिर ने दोस्ती करके उनकी बेटी को सेंट जोंस कालेज के समीप अपने दोस्त एस कुमार के घर बुलाया। जहां उसे कोल्ड ड्रिंक में धोखे से नशीला पदार्थ पिलाकर उसकी अश्लील सीडी बनाई गई।
उन्होंने लिखा कि इसके बाद वह दबाव में उसे कलेक्ट्रेट ले गया, जहां वकील से तैयार कराए कागजों पर उनकी बेटी के हस्ताक्षर भी कराए। इतना ही नहीं पुत्री की सहेलियों के घर भी मोबाइल से अश्लील क्लिपिंग बनाई गई। युवती के पिता ने लिखा कि इसका उनको पता ही नहीं चला। जब उन्होंने बेटी का रिश्ता तय करना शुरू किया तो शातिर आरोपी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। उसने बनाई सीडी को अपने दोस्तों में बांट दिया और रिश्तेदारों को उसे दिखाना शुरू कर दिया।
आरोपी का कहना था कि युवती से उसकी शादी कराई जाए। उन्होंने लिखा कि हाल ही में उन्होंने अपनी बेटी का रिश्ता मथुरा से तय किया था। गोद भराई वाले दिन शातिर ने मंगेतर के भाई से उसका मोबाइल नंबर ले लिया। इसके बाद उसके फोन पर पहले तो धमकी दी, फिर अश्लील सीडी की जानकारी दे दी। इस पर भी जब बात नहीं बनी तो शातिर मथुरा में युवती के मंगेतर के घर चला गया, जहां उसने युवती की अश्लील क्लिपिंग को दिखाकर रिश्ता तुड़वा दिया। युवती के पिता ने लिखा कि उनकी पुत्री की शादी अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में होनी तय हुई थी। युवती के पिता का कहना है कि अब शातिर पूरी तरह ब्लैकमेलिंग पर उतर आया है। पुलिस ने आरोपी की तलाश शुरू कर दी है।
नशे की तस्करी के लिए मशहूर हिमाचल
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कुल्लू, 7 अप्रैल -
कुल्लत प्रदेश में 'काला सोना' का सालाना अरबाें रुपये का कारोबार होता है। इंटरनेशनल मार्केट में उत्तम किस्म की चरस की कीमत 20 लाख रुपये प्रति किलो है। गोरखधंधों के मास्टर माइंड बाहरी राज्यों से धंधों का संचालन कर रहे हैं।
उन्होंने स्थानीय लोगों को रिटेलर बना रखा है। ऊंची पहुंच वाले और विदेशी पर्यटक भी सैर-सपाटे के बहाने यहां ड्रग्स का जाल बिछा रहे हैं। खुफिया सूत्रों की मानें तो चरस तस्करी के केवल दस प्रतिशत मामले ही पुलिस के हत्थे चढते हैं। राज्य से बाहर उजागर हुए चरस के मामले स्पष्ट करते हैं कि ड्रग्स का कारोबार देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों तक चल रहा है। हर साल पुलिस करीब क्विंटल चरस बरामद करती है, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये में है। पुलिस से बच निकलने वाले लोगों की संख्या इससे कहीं अधिक है। गोवा, दिल्ली जैसे शहरों में चरस की अच्छी कीमत है।
कुल्लू पुलिस ने पिछले सत्रह वर्षों में करीब 17 क्विंटल चरस पकडी है। काले सोने के अलावा स्मैक, अफीम, गांजा, ब्राउन शूगर और एलएसडी के सौदागर भी पांव पसारने लगे हैं। खुफिया सूत्रों के मुताबिक चरस के अलावा अन्य ड्रग्स का कारोबार अरबों रुपये में पहुंच रहा है। चरस को स्टिल की शक्ल देकर तो कभी मूर्तियों में डालकर तस्करी के तरीके अपनाए जा रहे हैं। अखरोट और नारियल को काटकर उसके भीतर चरस तस्करी के मामले पुलिस ने उजागर किए हैं। स्मैक और एलएसडी जैसे महंगे और घातक ड्रग्स भी देवभूमि में फैलाए जा रहे हैं। चरस तस्करों में विदेशी, नेपाली और बाहरी राज्यों के लोग शामिल हैं। अब तक सीआईडी और जिला पुलिस ने दो सौ से अधिक विदेशी सैलानियों को ड्रग्स के साथ दबोचा है।
पुलिस अधीक्षक जगत राम के अनुसार चरस तस्करी में विदेशियों और दूसरे राज्यों के लोग ही मास्टर माइंड हैं। उन्होंने कहा कि एक किलो चरस की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 20 लाख रुपये तक है। इस धंधे से जुड़े कुछ प्रतिशत लोग ही पुलिस के हत्थे चढते हैं। पुलिस तस्करों पर कडी नजर रखे हुए है। चरस तस्करी को रोकने में पुलिस की पकड कमजोर पडती नजर आ रही है। पिछले तीन सालों में पुलिस द्वारा बरामद चरस की मात्रा घटती जा रही है। 2004 में 160.790, 2005 में 123. 680, 2006 में 105.652, 2007 में 66. 489 किलोग्राम चरस बरामद हुई। एसपी जगत राम कहते हैं कि 'भांग उखाडो' अभियान की कामयाबी से तस्करी कम होती प्रतीत हो रही है। इस साल ड्रग्स का कारोबार शुरुआती दौर में फलने फूलने लगा है। एक जनवरी 2008 से 30 मार्च तक जिला पुलिस ने 32 किलोग्राम चरस बरामद की है। चरस के 23 मामलों में 26 लोग दबोचे गए। इनमें से 14 हरियाणा के हैं। एक विदेशी को भी दबोचा गया है। आनी क्षेत्र में तीन तस्करों से हाल ही में 17 किलोग्राम चरस बरामद हुई है।
पुलिस ने पिछले 17 सालों में करीब 17 क्विंटल चरस पकडी है तथा दो सौ विदेशियों समेत करीब छह सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया। 1990 में 17.160, 1991 में 12.900, 1992 में 14.622, 1993 में 7.045, 1994 में 15.655, 1995 में 108, 1996 में 67.330, 1997 में 22. 125, 1998 में 39.105, 1999 में 28.185, 2000 में 193.870, 2001 में 106.435, 2002 में 385.200, 2003 में 146.346, 2004 में 160.790, 2005 में 123. 680, 2006 में 105.652, जबकि 2007 में 66.489 किलोग्राम चरस बरामद हुई।
कश्मीर पुलिस का सिपाही क्या डॉन है?
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जम्मू, 7 अप्रैल -शिमला पुलिस ने एक हत्याकांड की गुत्थियां सुलझायी चाही तो पता चला कि कश्मीर पुलिस का एक सिपाही दरअसल अंडरवर्ल्ड का छोटा मोटा डॉन है । इस सिपाही को लेकर हिमाचल और कश्मीर पुलिस के बीच तन गई है।
शिमला हत्याकांड का तीसरा आरोपी अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। उसे पकडने के लिए शिमला पुलिस अब दूसरे आरोपी को जम्मू लेकर आई है। उसकी निशानदेही पर शिमला पुलिस जम्मू में छापामारी करेगी।तीन हत्याओं के बाद परेशानी में पडी शिमला पुलिस इस केस को हल करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। शिमला पुलिस के पास इस समय सिर्फ बंटी है, जिसे लेकर वह जम्मू पहुंच गई है और उसकी निशानदेही पर वह छापामारी करेगी।
बताया जाता है कि तीन हत्याओं के बाद शिमला पुलिस के रोंगटे ख़डे हो गए हैं, क्योंकि हत्याओं को देखते हुए लगता है कि गैंगवार शुरू हो चुका है। शिमला में ऐसी पहली घटना सामने आई है जिसमें गैंगवार के चलते तीन शव बरामद हुए हैं जिनमें से दो युवक जम्मू के हैं और एक युवती जिसके बारे में अभी तक पुलिस असमंजस में है कि वह मोनिका है या कोई और। इस समय शिमला पुलिस के दो सब इंस्पेक्टर, दो एएसआई, दो हवलदार तथा तीन सिपाही बंटी को लेकर जम्मू में डेरा डाले हुए हैं जो इस सारे मामले में जम्मू पुलिस के साथ शालू की गिरफ्तारी के लिए सुराग जुटाने की कोशिश करेंगे।
बताया जाता है कि बंटी के साथ शिमला पुलिस गांधी नगर थाने में है और वहीं पूछताछ की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि छानबीन में सामने आया है कि हत्याकांड में इस्तेमाल हुई एक गाडी जम्मू से बाहर भेज दिया गया है। इस समय हत्याकांड में इस्तेमाल हुई दो गाड़ियों में से एक ही जम्मू पुलिस के पास है और उसमें गोलियों के दो निशान तथा खून से लथपथ सीट कभर मिले हैं। सूत्रों का कहना है कि शिमला पुलिस जम्मू पुलिस से कह रही है कि उन्हें गाडी दी जाए ताकि वह उसमें मिले खून की जांच करवाए और पता लगा सके कि खून किसका है क्योंकि शिमला पुलिस को शक है कि वह खून मोनिका का हो सकता है जिसका शव कांग़डा से मिला था। हालांकि मोनिका के परिजनों को जब पुलिस थाने में लाकर शव का फोटो दिखाया गया था तो उन्होंने उसे मोनिका मानने से इंकार कर दिया था।
सूत्रों का कहना है कि शिमला पुलिस मिंटा को साथ लेने के लिए जम्मू में डेरा डाले हुए है लेकिन जम्मू पुलिस मिंटा पर जम्मू में चल रहे मामलों को सुलझाने में लगी हुई है जिनमें वह पुलिस से फरार बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस शहर में कई स्थानों पर छापे मार सकती है जिनमें दोनों के पुराने साथी भी शामिल हैं। जानकारी के अनुसार इन घटनाओं के होने से शिमला पुलिस सकते में है और शिमला पुलिस पर दबाव है कि वह इन मामलों को जल्द से जल्द सुलझाए। सूत्रों का कहना है कि इस प्रकरण से जुड़े साक्ष्यों को एकत्रित करने के लिए आरोपी को जम्मू लाया गया है। जम्मू के अतिरिक्त कठुआ में भी जांच की जाएगी। आरोपी के जम्मू स्थित घर की भी तलाशी जांच टीम करेगी। बंटी 10 अप्रैल तक पुलिस रिमांड पर है।
शिमला हत्याकांड में शामिल जितेंद्र सिंह उर्फ शालू पुलिस वाला है या गैंगस्टर इसके बारे में उधेड़बुन बनी हुई है क्योंकि उसके खिलाफ कई पुलिस थानों में आपराधिक मामले भी दर्ज हैं। हाल ही में उसने मार्च महीने में विजयपुर थाना अंतर्गत क्षेत्र में एक युवक पर कुछ साथियों के साथ तेजधार हथियारों से जानलेवा हमला किया था। हमले में युवक गम्भीर रूप से घायल हो गया था और पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज किया था। लेकिन बावजूद इसके वह आज भी पुलिस में कर्मचारी है। पहला मामला सिटी थाना जम्मू में एफआईआर नंबर 1698 के तहत 324.34 आरपीसी के तहत। दूसरा मामला पीएस सिटी जम्मू में एफआईआर नंबर 6601 में 353 आरपीसी के तहत। तीसरा मामला पीएस पक्का डंगा में एफआईआर नंबर 13206 के तहत। हत्या के प्रयास का चौथा मामला विजयपुर थाना में दर्ज। पांचवां मामला एफआईआर नंबर 12305 के तहत धारा 452, 427, 425 में विजयपुर में दर्ज। छठा मामला एफआईआर नंबर के तहत 6306 में विजयपुर में दर्ज। जानकारी के अनुसार उस पर कोई भी मामला हत्या का प्रयास करने से कम नहीं है।
बहुत दुर्गति होने वाली है मुशर्रफ की
अक्षय कुमार
आने वाले दिनों में पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ नाम के राष्ट्रपति रह जाएंगे, क्योंकि सत्तारूढ गठबंधन मुशर्रफ की शक्तियों में कटौती करने की योजना बना रहा है। जल्द ही इसके लिए संविधान संशोधन किए जाएंगे। पाकिस्तानी संसद में इन संशोधनों के लिए प्रस्ताव लाया जाएगा। अगर सत्तारूढ गठबंधन ऐसा करने में सफल रहा तो मुशर्रफ से संसद को बर्खास्त करने और देश में इमरजेंसी लगाने जैसी महत्वपूर्ण शक्तियां छिन जाएंगी। इसके अलावा इन संशोधनों के जरिए जजों को नियुक्त करने की प्रयिा में बदलाव किया जाएगा और यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रांतों की स्वायत्तता का दुरुपयोग कोई न कर सके।
डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार सत्तारूढ गठबंधन संविधान के अनुच्छेद 58 (2 बी) के तहत मुशर्रफ की शक्तियां छीनेगा। यह शक्तियां संसद में समाहित कर दी जाएंगी। असेंबली अनुच्छेद 58 (2 बी) के तहत प्रांत में गवर्नर और सेना प्रमुख को नियुक्त कर सकेगी। सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित संशोधन संविधान में 18वां परिवर्तन होगा, जिसके माध्यम से राष्ट्रपति पद में निहित शक्तियां छीनकर इस पद को बिना शक्तियों का (प्रतीक) बना दिया जाएगा। सत्तारूढ गठबंधन में शामिल पाकिस्तान मुसलिम लीग - नवाज के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि अगर मुशर्रफ की शक्तियां छिन जाएंगी तो उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की कोई जरूरत नहीं रह जाएगी।
उन्होंने कहा कि वह मुशर्रफ के साथ काम कर सकते हैं, यदि वह संसद के मामले में हस्तक्षेप न करें। पीएमएल-एन सरकार में शामिल एक प्रमुख गठबंधन है और सरकार पर बर्खास्त जजों की बहाली और मुशर्रफ को हटाने के लिए लगातार दबाव बनाता रहा है। सूत्रों के अनुसार बर्खास्त जजों को संसद में प्रस्ताव लाकर फिर से बहाल किया जा सकता है और अगर जरूरी होगा तो प्रधानमंत्री भी इस मामले में शासकीय आदेश जारी कर सकते हैं। यह सारे संशोधन 2006 में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुसलिम लीग - एन द्वारा हस्ताक्षर किए गए एक चार्टर में उल्लिखित शर्तों के ही तहत किए जाएंगे। बहरहाल सत्तारूढ दलों के गठबंधन द्वारा चलाई गई इस नई मुहिम से आने वाले दिनों में राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की मुश्किलें काफी बढ सकती हैं।
पाकिस्तान की गठबंधन सरकार के मंत्री राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से मिलने से कतरा रहा हैं। इसीके चलते मुशर्रफ और उनके सहयोगियों के पास काफी कम काम रह रहा है। राष्ट्रपति के रूप में कई प्रमुख शक्तियां अपने पास रखने वाले मुशर्रफ इससे पहले की सरकारों के साथ अक्सर काफी मिलजुल कर काम करते रहे हैं। लेकिन गिलानी सरकार के मंत्री मुशर्रफ को भाव नहीं दे कहे हैं। इन मंत्रियों ने शपथ समारोह में भी मुशर्रफ के विरोध में बांह पर काली पट््टी बांध रखी थी, हालांकि उन्हें शपथ राष्ट्रपति मुशर्रफ ने ही दिलाई थी।
प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने प्रधानमंत्री का पद संभालते ही कहा था कि वह राष्ट्रपति मुशर्रफ के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं, फिर भी उनके मंत्री राष्ट्रपति से कतरा रहे हैं। दि न्यूज अखबार ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से लिखा है कि पार्टी के नेताओं और मंत्रियों ने मुशर्रफ से मिलने पर अघोषित प्रतिबंध लगा रखा है। खाली वही मंत्री मुशर्रफ से मिल रहे हैं प्रोटोकॉल के अनुसार जिनकी उपस्थिति जरूरी होती है।
प्रधानमंत्री गिलानी ने भी शपथ लेने के बाद केवल एक बार राष्ट्रपति मुशर्रफ के साथ बैठक की है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सह अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी अभी तक मुशर्रफ से नहीं मिले हैं और न ही उनकी निकट भविष्य में उनसे मिलने की कोई योजना है। सत्तारूढ गठबंधन में शामिल दूसरे महत्वपूर्ण दल पीएमएल-एन के अध्यक्ष नवाज शरीफ मुलाकात तो दूर हाल ही में मुशर्रफ से कह चुके हैं कि वह जल्द ही राष्ट्रपति पद भी छोड़ दें। शरीफ मुशर्रफ के धुर विरोधी माने जाते हैं, उनकी सरकार का 1999 में तख्तापलट करके ही मुशर्रफ ने सत्ता पर कब्जा जमाया था।
पाकिस्तान नेशनल असेंबली की पहली महिला स्पीकर फहमिदा मिर्जा ने पद संभालने के बाद पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि यदि सांसद चाहे तो मौजूदा राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को हटाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी सांसदों को एकजुट होने की जरूरत नहीं है, सदन के दो तिहाई सांसद ही महाभियोग चलाकर मुशर्रफ को हटा सकते हैं। फहमिदा ने पाक के प्रमुख दैनिक 'डेली टाइम्स' को दिए एक इंटरव्यू में ये बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि मैं सभी पहलुओं को संविधान के दायरे में रख कर देखती हूं क्योंकि अब मैं किसी राजनीतिक पार्टी का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही हूं बल्कि संवैधानिक निकाय नेशनल असेंबली का हिस्सा हूं।' देश की संसद सर्वोच्च है या राष्ट्रपति, के जवाब में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को अनुच्छेद 58 (2 बी) के तहत संसद को भंग करने का अधिकार है। लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि इस अनुच्छेद के जरिए पाकिस्तान के लोकतंत्र के साथ बार-बार खिलवाड हुआ है और यह अनुच्छेद विवाद का विषय बना हुआ है।उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में संसद का स्थान सर्वोपरि होना चाहिए। संसद को मजबूत स्थिति में कैसे लाया जाए , इस सवाल का जवाब देते हुए मिर्जा ने कहा कि सभी राष्ट्रीय मुद््दों पर संसद में विचार विमर्श होना चाहिए। इसके लिए किसी दूसरी संस्थाओं की मदद न ली जाए। इस प्रयिा के जरिए संसद की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। उन्होंने बताया अब समय आ चुका है कि संसद को मजबूत बनाया जाए।
उन्होंने नई संसद के सांसदों से उम्मीद जताते हुए कहा कि उन्हें पार्टी से ऊपर उठकर संसद की गरिमा और सर्वोच्चता का ख्याल रखते हुए काम करना चाहिए। गौरतलब है कि आम चुनाव में मुशर्रफ समर्थित पार्टी की हार के बाद उन पर महाभियोग चलाए जाने का दबाव बढता जा रहा है। उन्हें राष्ट्रपति पद से हटाए जाने को लेकर नई गठबंधन सरकार में शामिल देश की दूसरी सबसे बडी पार्टी 'पाकिस्तान मुसलिम लीग-एन' ने मुहिम चला रखी है। पार्टी के गुस्से का आलम यह है कि कुछ सदस्यों ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेते वक्त मुशर्रफ के विरोध में बांह में काली पट््टी बांध रखी थी।
पाकिस्तान में नई सरकार के गठन के बाद राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की मुश्किलें थमने का नाम ही नहीं ले रहीं हैं क्योंकि नई सरकार ने कहा है कि पिछले साल मुशर्रफ द््वारा लगाई गई इमेरजेंसी के दौरान उन्होंने संविधान के खिलाफ जो कडे कदम उठाए थे उन्हें कहीं से भी संवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता है और अब वक्त आ गया है जब उन फैसलों की समीक्षा की जाए।
नए कानून मंत्री फारूक नाइक ने कहा कि किसी भी अकेले इंसान को यह अधिकार नहीं है कि वह संविधान और संसद के किसी भी संशोधन पर अकेले निर्णय ले सके क्योंकि इसके लिए उसके पास दो तिहाई बहुमत होना चाहिए। नाइक ने कहा कि नई सरकार मुशर्रफ द््वारा अपदस्थ जजों को जिनमें पूर्व चीफ जस्टिस इख्तियार मोहम्मद चौधरी शामिल हैं, को 30 दिनों के भीतर उनका पदभार देते हुए उनकी जिम्मेदारी उन्हें सौंप देगा। नाइक ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अपदस्थ जजों की तीस दिनों की यह गिनती 31 मार्च से शुरू हो चुकी है। हो सकता है कि नए जजों की बहाली के संदर्भ में सरकार जल्द ही कोई खुशखबरी सुनाएं।
नया नहीं है तिब्बतियों पर जुल्म
विजय आर्य
मार्च के महीने में तिब्बती, सारी दुनिया में जहां कहीं भी शरणार्थी की जिंदगी बिता रहे हैं, अपने देश पर चीनी आधिपत्य से मुक्ति और आजादी के लिए धरना-प्रदर्शन करते हैं। हाल के दिनों में तिब्बत की राजधानी ल्हासा में तिब्बतियों ने सडकों पर जोरदार प्रदर्शन और प्रतिरोध किए। जो जानकारियां अभी तक मिली हैं, चीनी सेना ने बेरहमी के साथ एक बार फिर इस संघर्ष को दबाने की कोशिश की है। प्रदर्शनकारियों पर गोलियां भी चलाई गईं और काफी संख्या में लोगों के मरने की खबरें भी हैं। चीनी सेना ने कई मुहल्लों में कर्फ्यू लगा दिया है और बिजली-पानी तक काट दिया है। इस संघर्ष और दमन की पूरी जानकारी मिलने में तो समय लगेगा, फिर भी इतना साबित हो गया है कि तिब्बत में स्वतंत्रता की वह आग बुझी नहीं है, जिसका चीनी सरकार दावा करती रही है। बीस साल पहले भी ल्हासा की सडकों पर ऐसा संघर्ष हुआ था।
तब भी चीनी सेना ने दमन का च काफी लंबे समय तक चलाया था। इस बार जो दमन हुआ है, उसकी खबरें और चित्र बहुत समय से मीडिया से प्राप्त हो रहे हैं और उस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतियिाएं भी आने लगी हैं। तिब्बतियों के धर्मगुरु और भारत में निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रमुख दलाई लामा ने चीनी दमन की तीखी निंदा की है। उनके साथ ही यूरोप के कई देशों समेत हमारे देश में जॉर्ज फर्नाडिंस सरीखे कुछ साहसी नेताओं ने भी चीन के इस कदम की आलोचना की है। लेकिन कुछ समय पूर्व जब धर्मशाला से तिब्बतियों ने संप्रभु तिब्बत के लिए जुलूस निकाला, तो उन्हें रोका गया और पुलिस ने उनके साथ निर्ममतापूर्वक व्यवहार किया
तिब्बतियों के साथ हमारी पुलिस का यह व्यवहार भारतीय जनता को भी अच्छा नहीं लगता। ऐसे व्यवहार केबावजूद तिब्बती भारत के विरुध्द कुछ भी नहीं बोलते। ऐसा वे शायद अपनी मजबूरी के कारण ही करते हैं।
इधर हमारे यहां चिंता की बात यह हुई है कि तिब्बतियों के मुक्ति संग्राम को जनता और संसद का जो समर्थन मिलता था, वह अब लगभग समाप्त हो गया है। पहले तिब्बतियों के प्रदर्शनों में भारतीय भी शामिल होते थे, लेकिन अब ऐसा देखने को नहीं मिलता। भारतीय संसद भी तिब्बत की मुक्ति और तिब्बतियों के मुक्ति संग्राम के समर्थन के सवाल पर मौन हो गई है। फिर भी कुछ लोग भारत-तिब्बत मैत्री संघ या एशिया समर्थक तिब्बती मंच चला रहे हैं।
हाल के वर्र्षों में तिब्बतियों की आजादी और मुक्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय अभियान के केंद्रबिंदु दलाई लामा स्वयं रहे हैं। अभी कुछ माह पूर्व ही उन्होंने कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की यात्रा कर वहां के प्रधानमंत्रियों से मुलाकात की थी। हालांकि बीजिंग ने इसे गंभीरता से लिया। दलाई लामा अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से कई बार मिल चुके हैं। उन्हें मिल रही अंतरराष्ट्रीय मान्यता और उनके बढ रहे विदेश दौरों से चीन को परेशानी होती है। दलाई लामा यूरोप के राष्ट्राध्यक्षों से भी मिल चुके हैं। यूरोपीय संघ तथा यूरोप के कई देशों की संसद ने प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से तिब्बत की आजादी का समर्थन किया है। सूचना है कि अगले कुछ महीनों में दलाई लामा एक बार फिर कई देशों के दौरे पर जा रहे हैं। स्वाभाविक है कि इससे चीन की परेशानी बढेगी।
ल्हासा की हाल की घटनाओं को बीजिंग ओलंपिक खेलों से जोड़कर भी देखा जा रहा है, लेकिन यह ठीक नहीं है। जो मुक्ति संघर्ष विगत पचास वर्षों से निरंतर चल रहा है और जिसके चलते रहने की संभावना है, उससे जुड़े लोग यदि किसी अंतरराष्ट्रीय आयोजन पर सवाल उठाते भी हैं, तो इसमें एतराज की बात नहीं हो सकती। तिब्बत की मुक्ति के साथ तिब्बतियों के मानवाधिकारों के हनन का मामला भी अकसर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उछलता रहता है और अब तो मानवाधिकारों का इस कदर अंतरराष्ट्रीयकरण हो चुका है कि दुनिया के किसी भी हिस्से में इसके मसले पर धरने-प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं। तिब्बत की मुक्ति का सवाल और तिब्बतियों के मानवाधिकारों के हनन के मामले फिलहाल अंतरराष्ट्रीय मंच पर तेजी से उछल रहे हैं। बीजिंग ओलंपिक पर भी इसकी छाप दिखाई पडती है, तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। वर्ष 1987 में मॉस्को ओलंपिक खेलों का दुनिया के देशों ने तो इसीलिए बहिष्कार किया था कि तत्कालीन सोवियत संघ की सेना ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था।
भारत ने विगत पचास वर्षों में तिब्बत के मसले पर कई बडी गलतियां की हैं, इसे आम भारतीय जनता भी मानती है। 1948 में कम्युनिस्ट ांति होने के बाद चीन ने अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में जो पहला काम किया, वह तिब्बत में सशस्त्र घुसपैठ का था। तब निहत्थे तिब्बतियों ने कडा प्रतिरोध किया था। उसी वर्ष तिब्बत में चीनी सेना की घुसपैठ का मामला सुरक्षा परिषद में उठा था। भारत ने इस मामले में चीन के साथ बातचीत की बात कही थी।
तब कम्युनिस्ट चीन को संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता नहीं मिली थी और भारत चीन का बडा समर्थक था। यह मामला भारत पर छोड़ दिया गया और भारत ने चीन के साथ समझौता कर 1950 में तिब्बत को चीन का स्वशासी हिस्सा मान लिया। लेकिन चीन ने तिब्बतियों को कभी स्वशासन का अधिकार नहीं दिया। बीजिंग के आधिपत्य अभियान के दबाव के चलते दलाई लामा गुप्त रूप से भारत चले आए। भारत ने सुरक्षा परिषद से तिब्बत का मामला वापस लेकर तथा चीन से समझौता कर भारी कूटनीतिक भूल की थी। बाद में हमारी सरकार को एहसास हुआ कि यह भारी राजनीतिक भूल भी थी। इस भूल के चलते ही भारत पर चीनी हमला हुआ और इसी कारण भारतीय सीमाओं पर चीनी सेना का दबाव बना हुआ है। और चीन इस दबाव का कूटनीतिक लाभ भी उठा रहा है।
वर्ष 1950 में जब भारत सरकार ने चीन के साथ तिब्बत से वह समझौता किया, तो सरदार वल्लभ भाई पटेल व डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे कांग्रेसी इसके विरोध में थे। डॉ. राम मनोहर लोहिया जैसे समाजवादी जिंदगी भर तिब्बत की आजादी के सवाल को जिंदा रखे हुए थे। बीती सदी के पचास और साठ के दशक में संसद में तिब्बत का सवाल गूंजता रहा।
लेकिन संप्रग सरकार शायद 1950 के समझौते और सीमा पर चीनी सेना के दबाव में है, किंतु जनता पर कोई मजबूरी नहीं है। भारत की उत्तरी सीमाओं पर चीनी सेना का दबाव, भारतीय भूमि पर चीन का अवैध कब्जा और तिब्बत की मुक्ति एक-दूसरे से जुड़े सवाल हैं। इन सवालों को हल करने के लिए तिब्बत की आजादी और तिब्बत के मुक्ति संग्राम को भारतीय जनता का खुला समर्थन जरूरी है। जो गलती या चूक हमसे हो गई है, उसे ठीक भी हमें ही करना है। हमारी जनता को देश में और भारत के बाहर तिब्बतियों द्वारा छेड़े गए मुक्ति संग्राम में बडे पैमाने पर भाग लेना चाहिए। यह भारतीयों की जिम्मेदारी है और कर्तव्य भी।
आलोक तोमर को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते. उनके वारे में वहुत सारे किस्से कहे जाते हैं, ज्यादातर सच और मामूली और कुछ कल्पित और खतरनाक. दो बार तिहाड़ जेल और कई बार विदेश हो आए आलोक तोमर ने भारत में काश्मीर से ले कर कालाहांडी के सच बता कर लोगों को स्तब्ध भी किया है तो दिल्ली के एक पुलिस अफसर से पंजा भिडा कर जेल भी गए हैं. वे दाऊद इब्राहीम से भी मिले हैं और रजनीश से भी. वे टी वी, अखबार, और इंटरनेट की पत्रकारिता करते हैं.
Monday, April 7, 2008
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2 comments:
पिछली बार से मैं पूरा पढता जा रहा था.. इस बार नहीं पढूंगा.. इतना लंबा कहीं एक पोस्ट होता है?? :(
बुरा मत मानियेगा.. आपके लेखन से प्यार है और आपको अपना समझता हूं इसिलिये थोड़ा चिढ गया था तो आपपर जाहिर भी कर दिया.. वैसे आप बहुत बढिया लिखते हैं.. बाद में आराम से पढूंगा.. :)
This is a great bblog
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