आलोक तोमर को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते. उनके वारे में वहुत सारे किस्से कहे जाते हैं, ज्यादातर सच और मामूली और कुछ कल्पित और खतरनाक. दो बार तिहाड़ जेल और कई बार विदेश हो आए आलोक तोमर ने भारत में काश्मीर से ले कर कालाहांडी के सच बता कर लोगों को स्तब्ध भी किया है तो दिल्ली के एक पुलिस अफसर से पंजा भिडा कर जेल भी गए हैं. वे दाऊद इब्राहीम से भी मिले हैं और रजनीश से भी. वे टी वी, अखबार, और इंटरनेट की पत्रकारिता करते हैं.
Monday, March 10, 2008
सांसद गोविंदा को गिनती आती है?
सांसद गोविंदा को गिनती आती है?
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 10 मार्च-उत्तर मुंबई के सांसद महोदय गोविंदा का गणित अगर थोड़ा सा भी ठीक-ठाक होगा, तो उन्हें पता होगा कि एक साल में 5 लाख 25 हजार 600 और चार साल में 21 लाख, 2 हजार और 400 मिनट होते हैं। 21 लाख, 2 हजार और 400 मिनटों में से सिर्फ दो ही मिनट ऐसे थे, जब लोगों ने गोविंदा को संसद में बोलते हुए देखा।
संसद से गायब होने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकाड्र्स में जाने के सबसे बड़े दावेदार गोविंदा से कांग्रेस को भी बहुत निराशा हुई है और ज्यादातर नेता पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सलाह दे चुके हैं कि अगर गोविंदा को पार्टी ने दोबार टिकट दे दी, तो पार्टी को पूरी मुंबई और खास तौर पर उत्तर मुंबई में लोगों के गुस्से का शिकार बनना पड़ेगा।
बोलने में बड़े-बड़ों के छक्के छुड़ाने का दावा करने वाले गोविंदा आखिरी बार संसद में 11 मई, 2005 को बोलते हुए सुने गए थे। इससे एक दिन पहले भी वे संसद में बोले थे और दोनों दिन वे शून्य काल में एक-एक मिनट बोले थे। इसके बाद तो सांसद भी गोविंदा की संसद में आवाज सुनने के लिए तरस गए। संसद में ईद का चांद तो गोविंदा तभी से हैं, जब से उत्तर मुंबई से सांसद चुने गए थे, मगर इस साल तो संसद में उनके एक बार भी दर्शन नहीं हुए। और तो और जब रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अपने-अपने ड्रीम बजट पेश कर रहे हैं, तब भी गोविंदा मेज ठोंकते के लिए भी संसद में हाजिर नहीं हुए।
संसद का एक मिनट अनुमानों के मुताबिक लगभग 7 हजार 400 रुपए का होता है और एक संसद पर आम आदमी की जेब से लगभग सवा लाख रुपए महीना खर्च किया जाता है। इस हिसाब से गोविंदा ने न सिर्फ अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को धोखा दिया है, बल्कि आम जनता की जेब भी काटी है। खास बात यह है कि कांग्रेस गोविंदा के इस रवैये पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। पार्टी के एक नेता बताते हैं कि पार्टी की तरफ से गोविंदा को कई बार यह संदेश भेजा गया है कि वे अपने इलाके का दौरा करें और संसद में भी अपनी हाजिरी बढ़ाएं, मगर गोविंदा पर किसी का कोई असर नहीं होता।
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