आलोक तोमर को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते. उनके वारे में वहुत सारे किस्से कहे जाते हैं, ज्यादातर सच और मामूली और कुछ कल्पित और खतरनाक. दो बार तिहाड़ जेल और कई बार विदेश हो आए आलोक तोमर ने भारत में काश्मीर से ले कर कालाहांडी के सच बता कर लोगों को स्तब्ध भी किया है तो दिल्ली के एक पुलिस अफसर से पंजा भिडा कर जेल भी गए हैं. वे दाऊद इब्राहीम से भी मिले हैं और रजनीश से भी. वे टी वी, अखबार, और इंटरनेट की पत्रकारिता करते हैं.
Monday, March 10, 2008
नेहरू जी को भूल गए अर्जुन सिंह?
नेहरू जी को भूल गए अर्जुन सिंह?
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 10 मार्च-कांग्रेस नेता और मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह सबको गर्व से बताते हैं कि उनकी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण क्षण वह था, जब वे जवाहर लाल नेहरू से मिले थे। लेकिन आरक्षण के मामले में लगता है कि उन्होंने जवाहर लाल नेहरू के विचारों को एकदम छोड़ दिया है या उम्र के कारण उन्हें भूल गए हैं।
जवाहर लाल नेहरू ने 1961 में पूरे देश के मुख्यमंत्रियाें को एक पत्र लिख कर कहा था कि वे किसी भी किस्म के आरक्षण के खिलाफ हैं और पिछड़ी जातियों या दलितों को आरक्षण देने के नाम पर प्रतिभा का गला नहीं घोंटा जाना चाहिए। जवाहर लाल नेहरू का यह पत्र कांग्रेस कार्यालय के अभिलेखागार में सुरक्षित है और इसमें जो कहा गया है, उसे पढ़ने के बाद दो ही निष्कर्ष निकलते हैं। एक-कांग्रेस के लिए नेहरू अप्रासंगिक हो गए हैं या फिर दूसरा यह कि अर्जुन सिंह अपने आप को जवाहर लाल नेहरू से बड़ा विचारक मानते हैं।
27 जून, 1961 को लिखे अपने पत्र में देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू ने लिखा था कि मैं आरक्षण देने की हमारी पुरानी परंपरा के बिल्कुल खिलाफ हूं और मुख्यमंत्रियों के साथ हुई आखिरी बैठक में हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे है कि अनुसूचित जाति और आदिवासी लोग बेशक सहायता के पात्र हैं, मगर यह सहायता आरक्षण तो कतई नहीं होनी चाहिए। नेहरू ने जी ने कहा था कि हमारे देश का दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश बनाने के लिए जरूरी है कि हम सबसे पहले आरक्षण की बीमारी से उबरे।
अर्जुन सिंह नेहरू जी की इस बात से सबक भी ले सकते हैं। नेहरू जी ने कहा था कि पिछड़े हुए लोगों को आगे बढ़ाने का सबसे अच्छा रास्ता यह है कि उन्हें शिक्षा पाने में ज्यादा अवसर दिए जाए, जिससे वे दूसरों की बराबरी कर सके। उन्होंने यह भी कहा था कि हम आरक्षण दे कर लोगों के बीच की दूरियां बढ़ाएंगे और इससे बेहतर तो यह है कि हम गरीब छात्रों को लोन दे कर और स्कॉलरशिप के जरिए उनकी आर्थिक मदद दे कर उन्हें पढ़ाई में आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करें।
नेहरू जी के इस पत्र से यह भी साबित हो जाता है कि वे संविधान सभा के मुखिया और दलितों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करने वाले डॉ भीमराव अंबेडकर के आरक्षण के फॉर्मूले के भी खिलाफ थे।
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