DATELINE INDIA NEWS 19 MARCH
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 19 मार्च - परवेज मुशर्रफ से भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की जान तीस अप्रैल तक के लिए बख्श दी है और इस वक्त का इस्तेमाल वे भारत के साथ कई सौदे करने में करना चाहते हैं। ये सौदे कई कुख्यात आतंकवादियों को रिहा करवाने के लिए होना तय हैं मगर अभी यह पता नहीं है कि भारत सरकार परवेज मुशर्रफ की मांगों के सामने कितना झुकेंगी?
कल देर रात पाक अंतरिम सरकार के मंत्री और कश्मीर सिंह की रिहाई में मुख्य भूमिका निभाने वाले अजीत बर्नी का फोन भारत के विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी के पास आया था और उन्होने जो बताया वह चकित कर देने वाला था। श्री मुखर्जी ने संसद में बहुत संक्षिप्त घोषणा की लेकिन असल मे श्री बर्नी ने जो बताया वह आंखे खोल देने वाला है। श्री बर्नी ने कहा कि थोड़ी देर पहले परवेज मुशर्रफ का फोन उनके पास आया था और उन्हाेंने कहा था कि वे सरबजीत की जान कुछ दिन के लिए बख्श रहे हैं और इस दौरान भारत सरकार पर अपने लोगों को छुड़ाने के लिए जितना दबाव डाला जा सकता है उतना डालना चाहिए। इसके अलावा अजीज बर्नी ने यह भी कहा कि वे सरबजीत की सजा को उम्र कैद में बदलवाने की पूरी कोशिश करेंगे और जो सत्रह साल उसने जेल में काटे हैं उन्हें ही उम्र कैद मानने के लिए कोशिश भी करेंगे।
बर्नी ने श्री मुखर्जी को सुझाव दिया कि अगर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह खुद परवेज मुशर्रफ से बात करें तो यह मामला और आसान हो सकता है। प्रधानमंत्री ने आत सुरक्षा मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक बुलायी और उसमें सारे विकल्पो पर विचार किया गया। आम रही यही थी कि सरबजीत को बचा लेना चाहिए मगर उसके बदले संसद पर हमला करने का अभियुक्त अफजल गुरू को वापस करने की बात कतई नहीं माननी चाहिए। अधिक से अधिक अफजल गुरू की फांसी को भी उम्रकैद मे तब्दील किया जा सकता है। आखिर अफजल गुरू ने अभी जेल सिर्फ पांच साल बिजाए हैं और 14 साल की उम्र कैद पूरी करने के लिए उसे कम से कम नौ साल और जेल में रहना पड़ेगा।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार परवेज मुशर्रफ अपनी खाल बचाने के लिए लोक प्रियता वादी कई कदम उठाना चाहते हैं और इसके लिए वे सरबजीत को मोहरे के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इन सूत्रों ने याद दिलाया कि परवेज मुशर्रफ जब भारत आए थे तब भी सरबजीत का मुद्दा उठाया गया था और उन्हाेंने इस संबंध में कोई भी वचन देने से साफ इनकार कर दिया था। विदेश मंत्रालय अधिकारियो को पक्का भरोसा है कि सरबीजीत की रिहाई के बदले परवेज मुशर्रफ उस सूची को भी खारिज करने की बात कहेंगे जिसमें दाउद इब्राहिम सहित 20 लोगों को भारत को सौंपने का आग्रह किया गया है। एक मानवीय धर्मसंकट से निपटने के लिए भारत कितने समझौते करता है यह अगले एक महीने में पता चलेगा और यह एक महीना सरबजीत और उसके परिवार के लिए ही नहीं पूरे भारत देश के लिए महत्वपूर्ण होगा।
गरीबों से भी गरीब हो गए नेपाल नरेश
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कांठमांडू, 19 मार्च - नेपाल के महाराजा ज्ञानेन्द्र की हालत पर किसी को भी तरस आ सकता है। जिस नेपाल में हाल तक राजपरिवार के सदस्याें की वाकायदा पूजा की जाती थी मगर नेपाल में जल्दी ही होने वाले आम चुनाव में नेपाल नरेश ज्ञानेन्द्र और उनके पुत्र राजकुमार पारस वोट भी नहीं डाल पाएंगे। उनके नाम मतदाता सूची से निकाल दिए गए हैं।
इसके पहले सारे सरकारी कार्यालयों में से महाराजा ज्ञानेन्द्र की तस्वीरे हटाने का आदेश दे दिया गया था और पूरे नेपाल से जो तस्वीरे कबाड़ के तौर पर जमा हुई वे कुल 12 लाख रूपए में बिकी। यह पैसा भी राजकोष में जमा कर दिया गया। नेपाल के राजमहल के लिए जो सरकारी कोष नियत था और राजा राजकोष से अपार खर्चा कर सकते थे उस पर भी अंकुश लगा दिया गया और उनके लिए जितनी वार्षिक राशि तय की गई वह किसी मल्टीनेशनल में काम करने वाले किसी बड़े अधिकारी से भी कम है। जिन राजकुमार पारस को जेब खर्च के लिए राजकोष से साल के 28 लाख रूपए मिलते थे और ज्यादातर होटलों और क्लबों में उन्हें बिल भी नहीं दिया जाता था। उनका जेब खर्च एकदम बंद कर दिया गया है और जिस राजमहल में 25 सौ वर्ग फीट का एक आधुनिक वार था वहां एक समय में दस से ज्यादा बोतले रखने की इजाजत अब नहीं है।
महाराजा ज्ञानेंद्र से कारों का उनका काफिला छीन लिया गया है और आठ लोगों के परिवार के पास अब केवल पांच कारें बची हैं। इन कारो का खर्चा भी पूरे साल में 3 लाख नेपाली रूपए तक सीमित कर दिया गया है। रॉयल नेपाल एयरलाइंस ने महाराजा को उतने ही टिकट मिलेंगे जितने किसी भी कैबिनेट मंत्री को दिए जाते हैं। विदेश यात्राओ के लिए महाराज को अपने मंत्रिमंडल की अनुमति लेनी पड़ेगी। नेपाल के सम्राट से ज्यादा मशहूर और रहीस तो नेपाल के कई सेठ परिवार होंगे।
मध्यप्रदेश कांग्रेस का विभीषण कौन?
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नई दिल्ली, 19 मार्च - मध्यप्रदेश में राज्यसभा के निर्दलीय उम्मीदवार विवेक तन्खा पर वोट के बदले नोट देने का आरोप लगाने से पैदा हुआ संकट अब दिल्ली तक पहुंच गया है। अब सबको कांग्रेस के उस वरिष्ठ नेता की तलाश है जिसने विवेक तन्खा को बदनाम करने के लिए दस लाख रूपए खर्च किए और एक समाजवादी विधायक का इस्तेमाल किया।
कल मध्य प्रदेश के बैतूज जिले के लांजी चुनाव क्षेत्र से उपचुनाव में जीतकर आए अपेक्षाकृत नौजवान विधायक कैलाश समिराते ने दस लाख रूपए नकद दिखाकर आरोप लगाया कि यह रकम उन्हें विवेक तन्खा की ओर से पहुंचायी गई थी और वायदा 25 लाख का था मगर यह पहली किस्त थी। उन्होने ने यह भी कहा कि विधानसभा में प्रतिपक्ष की नेता जमुना देवी के कमरे में यह सौदा हुआ था। समिराते का इल्जाम यह भी था कि इस कांड में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी भी शामिल हैं।
सवाल यह उठा है कि इतनी बड़ी रकम कैलाश समिराते को किसने पहुंचायी और क्यों। पहला शक सुरेश पचौरी पर ही जाता है क्योंकि लगातार 24 साल से राज्यसभा सदस्य रहने के बाद इस बार पार्टी ने उन्हें कहीं से टिकट नहीं दिया और उनकी जगह विवेक तन्खा को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर प्रायोजित कर दिया। श्री तन्खा के ससुर कैप्टन अजय नारायण मुश्रान मध्यप्रदेश के कई मंत्रिमंडलों में वरिष्ठ मंत्री रहे हैं और श्री
तन्खा खुद दिग्विजय ंसिंह सरकार के दौरान राज्य के महाधिवक्ता हुआ करते थे। अब वे दिल्ली के नामी वकीलों में से हैं, दस जनपथ तक उनकी सीधी पहुंच है और इसलिए कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने इस पूरे षडयंत्र को बहुत गंभीरता से लिया है।
विवेक तन्खा केंद्रीय उद्योग मंत्री कमलनाथ के मित्र हैं और उन्ही के चुनाव क्षेत्र छिंदवाड़ा के पड़ोस जबलपुर से आते हैं। उनपर आरोप लगाने वाले समाजवादी पार्टी के विधायक कैलाश समिराते पहली वार विधायक बने हैं और इसके पहले अवैध शस्त्र कानून से लेकर गुंडागर्दी के आरोपो में जेल में रह चुके हैं। एक मामले में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में विवेक तन्खा ने सरकार की ओर से समिराते के खिलाफ मामला लड़ा था और इस मामले में समिराते की हालत काफी पतली है। मगर एक निजी दुश्मनी इतनी हिम्मत एक गुमनाम विधायक को नहीं दे सकती जो विवेक तन्खा जैसे कानूनी महारथी पर धावा बोल दे।
मध्यप्रदेश के नेता और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री अर्जुन ंसिंह विवेक तन्खा के प्रशंसकों में से नहीं हैं। हालांकि अपने भूतपूर्व शिष्य सुरेश पचौरी का टिकट कट जाने से वे खुश ही हुए होंगे लेकिन उनका विकल्प श्री तन्खा को चुना गया यह जरूर अटपटी बात है। संयोग से कैलाश समिराते ने भी अर्जुन ंसिंह के पत्नी के भाई राजेंद्र ंसिंह के द्वारा वोट बेचने का प्रस्ताव मिलने की बात कही है। पक्का माना यह जा रहा है कि राज्य सभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस मध्यप्रदेश के अपने विभीषण की तलाश करेगी।
सिंधिया का मुकाबला करेंगे राहुल गांधी?
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नई दिल्ली, 19 मार्च - संसद में राजनीति को विरासत में लेकर आयी नौजवान पीढ़ी के सांसदों में सबसे आगे ग्वालियर राज परिवार के ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। प्रबंधन और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ श्री सिंधिया ने संसद के इस सत्र के अब तक के प्रश्नकाल के दौरान 502 सवाल पूछे हैं। कांग्रेस के युवराज कहे जाने वाले राहुल गांधी अपनी पीढ़ी के सांसदों ने सिर्फ चार सवाल पूछ कर सबसे निकम्मे साबित हुए हैं।
संसद के आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि इनमें से कुछ नौजवान सांसदों के पास जनता से जुड़े मुद््दों के सवालों को उठाने का भारी टोटा है तो कुछ के पास सवाल ही सवाल हैं। प्रश्नकाल में उन्होंने अब तक सबसे ज्यादा 502 सवाल पूछे हैं। दूसरा नंबर है केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा के पुत्र मिलिंद देवड़ा का। जिन्होंने 412 सवाल पूछे हैं। शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले को राज्यसभा में आए अपेक्षाकृत कम समय हुआ है फिर भी उन्होंने 215 सवाल पूछे।
वहीं दिल्ली कीे मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र सांसद संदीप दीक्षित और राजस्थान से भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के पुत्र मानवेंद्र सिंह अभी तक सवाल पूछने का अपना खाता भी नहीं खोल पाए। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुनील दत्त की पुत्री प्रिया दत्त ने अब तक 20 सवाल पूछे हैं जबकि हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड््डा के पुत्र दीपेंद्र हुड््डा भी महज 12 सवाल ही पूछ पाए हैं। सपा नेता मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव ने अब तक 17 सवाल पूछे हैं। जबकि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के नाम 4 सालों में महज 3 सवाल दर्ज हैं। हालांकि विरासत की राजनीति करने वाले नौजवान सांसद जनता से जुड़े कितने मुद््दे संसद में उठा रहे हैं, इसका ब्योरा संसद ने जनता के लिए अपनी वेबसाइट पर भी उपलब्ध करा दिया है। ताकि जनता आगे सोच समझ कर अपने मत का प्रयोग कर सके।
दलालों के भरोसे देश की सीमायें
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नई दिल्ली, 19 मार्च - भारतीय सीमाओं की सुरक्षा अब दलालों के भरोसे है। सेना के तीनों अंगों के रक्षा सौदों में से 40 शक के दायरें में हैं और उनमें से सत्रह में अभी जांच अलग अलग चरणों में है। इजरायल के साथ बराक सौदे को लेकर तनातनी है, रूस मिग विमानों के लिए अगले सौदे तक कोई भी पुर्जा वर्तमान बेंडे के लिए देने पर राजी नहीं है। स्वीडन से संदेश आ गया है कि बोफर्स मामला खत्म होने के बाद ही इन तोपो के पुर्जे मिलेंगे और अब फ्र्रांस से मिराज के उन्नत संस्करण लेने को लेकर भी विवाद चल रहा है।
सबसे ज्यादा आफत में वायुसेना है। जिसका विमान बेड़ा दुर्घटनाओं के कारण घट कर आधा रह गया है। अमेरिका हॉक विमान बेचना चाहता है लेकिन यही विमान पहले से पाकिस्तान के पास मौजूद है। एयरचीफ मार्शल एफ. एच. मेजर ने जो कहा उससे यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि रक्षा सौदों के मामले की सीबीआई जांच न हो और फाइल को बंद कर दिया जाए। इसके लिए उन्होंने सैन्य बल के आधुनिकिकरण प्रक्रिया में देरी का सहारा लिया है।
एयरचीफ मार्शल एफ.एच. मेजर ने कहा कि रक्षा सौदों में सीबीआई जांच के चलते विभिन्न प्रकार के हथियारों को लेने में देरी हो रही है। इसके साथ ही सैन्य बलों के आधुनिकीकरण प्रक्रिया पर असर पड़ता है। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि बराक मामले में लगे दलाली के आरोपों और सीबीआई जांच के चलते इस्राइल के साथ भी इस तरह की कोई समस्या आ रही है तो उन्होंने कहा कि इसके चलते पड़ने वाले प्रभाव के बारे में वह नहीं कह सकते लेकिन निश्चित रूप से कह सकते हैं कि इसके चलते कुछ देर तो अवश्य होती है।
दरअसल, सीबीआई इस समय कुल 45 से अधिक रक्षा सौदों में जांच का जिम्मा संभाले हुए है। ये सौदे सेना और नौसेना से जुड़े हैं। यह रक्षा सौदे विभिन्न देशों की विभिन्न कंपनियों से हैं। भारत की नीति रही है कि जिन रक्षा कंपनियों पर दलाली की छाया मंडराती है उसे काली सूची में डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। इसके चलते उस देश की उस कंपनी से आगे के सौदों पर भी जांच होने तक ग्रहण लग जाता है।
अमर सिंह और कांग्रेस से दोस्ती की शायरी
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नई दिल्ली, 19 मार्च - कांग्रेस से शुरू से ही बहुत नाराज रहे समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह ने खुलेआम कांग्रेस नेतृत्व को साथ मिलने का निमंत्रण दिया है और वह भी शायरी के अंदाज में। शायरों की कमी कांग्रेस मे भी नहीं है। देखना यह है कि जबाव में दोस्ती का शेर सुनाया जाता है या दुश्मनी का। समाजवादी पार्टी वाम मोर्चा और तीसरे मोर्चे में शामिल दलों की ताकत का सौदा कांग्रसे के साथ करना चाहती है, मगर इनमें से ज्यादातर दल पहले ही यूपीए के घटक के तौर पर मौजूद हैं।
'रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ, (लेकिन आ तो)' सपा महासचिव अमर सिंह ने इस शेर में तीन नए शब्द जोड़ कर शिवराज पाटिल को अनायास ही नहीं सुनाया। संकेत साफ है कि सपा, अपने राजनीतिक आकलन के मुताबिक कांग्रेस के नजदीक आ रही है। सपा सांसदों की तारीफ कर पाटिल ने अमर सिंह की इस बात का खंडन नहीं किया है कि राजनीतिक विरोधी, राजनीतिक समर्थक भी हो सकते हैं।
मौका सपा सांसद मोहन सिंह की पुस्तक 'भारतीय लोकतंत्र का संकट' के विमोचन का था। इसमें सपा और कांग्रेस की बढ़ती नजदीकी साफ दिखी। सपा नेता अनौपचारिक बातचीत में यह स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस के नजदीक जाने का प्रयास पार्टी कर रही है और कांग्रेस की तरफ से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया है। समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक मौजूदा और संभावित राजनीतिक हालत के मद््देनजर कांग्रेस की तरफ बढ़ने का फैसला पार्टी ने किया है। दरअसल, लोक सभा चुनाव होने पर तीन तरह के समीकरण की संभावना दिख रही है।
पहली स्थिति यह हो सकती है कि यूपीए दोबारा सत्ता में पहुंचे तो ऐसे में सपा कांग्रेस के साथ जाकर फायदे में रहेगी। दूसरी स्थिति यह हो सकती है कि भाजपा या एनडीए बहुमत के करीब पहुंच जाए तो उसे रोकने के लिए कांग्रेस की मदद कर सपा अपना दबदबा बढ़ाए। जैसा अभी लेफ्ट कर रहा है। तीसरी स्थिति यह हो सकती है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों की सीटें कम हो जाएं। ऐसे में यूएनपीए तीसरी ताकत के रूप में उभरे, जिसमें सपा की भूमिका निश्चित रूप से अहम होगी। ऐसे में कांग्रेस से सहयोग लेने की बात यूएनपीए कर सकता है।
कार्यक्रम में अमर सिंह ने नेहरू युगीन संसदीय परंपरा की खुल कर तारीफ की। साथ ही इस बात पर अफसोस व्यक्त किया कि आज राजनीति में विरोधी को शत्रु माना जाता है, जबकि राजनीति में विरोधी होते हैं जो कभी समर्थक भी हो सकते हैं। शिवराज पाटिल ने भी संविधान के नीति निर्देशक सिद््धांतों को समाजवादी विचारधारा के नजदीक करार देकर और सपा सांसदों की तारीफ कर परोक्ष रूप से ही सही सकारात्मक संकेत सपा को दिया।
पाटिल ने भी इस मौके पर शिकायत की कि संसद में मुद््दों पर चर्चा बहुत कम होती है। मुद््दों की जगह चर्चा के केंद्र में व्यक्ति और राजनीतिक दल आ जाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। विधायिका के काम में कमजोरी आई है। ऐसा संसद की बैठकों का दिन कम होने की वजह से हो रहा है। समय कम होने की वजह से कई मुद््दे नहीं उठ पाते। कई देशों में सांसदों को यह बताया जाता है कि पूरे साल में कितने दिन की छुट्टी उन्हें है। भारत में इसका उलटा है। यहां हमें यह बताया जाता है कि कितने दिन बैठक है। कार्यक्रम में सपा और कांग्रेस के कई नेता मौजूद थे।
उत्तराखंड में आईएसआई माओवादियों के साथ
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देहरादून, 19 मार्च -उत्तराखंड के ज्यादातर जिलों में माओवादियों और आईएसआई के तथाकथित एजेंटों ने जाल बिछा लिया है। वे ज्यादातर मामलों में मिलकर काम कर रहे हैं। सबसे सनसनीखेज खबर तो यह है कि इन देशद्रोहियों ने राज्य की पुलिस के साथ भी नाता जोड़ लिया है और ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है जो वेतन सरकार से लेते हैं मगर काम आतंकवादियों के लिए करते हैं।
राज्य के गुप्तचर तंत्र की इस संबंध में नाकामी के कारण दिल्ली पहुंचने वाली खबरों के आधार पर साफ हो रहा है कि राज्य का पुलिस तंत्र इस आफत से निपटने में सक्षम नहीं है। इसलिए गुप्तचर ब्यूरों ने देहरादून में अपना कार्यालय बड़ा करने ओर कई जिलों में अधिकारी नियुक्त करने का फैसला किया है। इन अधिकारियों की नियुक्ति का राज्य पुलिस ने कोई दिल खोलकर स्वागत नहीं किया है क्योंकि इससे उनकी स्थानीय स्वायतता पर अंकुश लगता है। इस सिलसिले में राज्य के पुलिस महानिदेशक ने गृह सचिव मधुकर गुप्ता को एक विस्तृत पत्र भी लिखा है।
प्रदेश के बड़े जिलों की पुलिस इन दिनों बेचैन तथा करवटें बदलती दिखाई दे रही है। इसके पीछे अपराध का ग्राफ बढ़ना नहीं बल्कि थानों में खुफिया एजेंटों की मौजूदगी है। इसके चलते थानों की पुलिस को हर पल सतर्क रहना पड़ रहा है तथा डर कर ही सही डयूटी भी मुस्तैदी के साथ देनी पड़ रही है।
देहरादून, नैनीताल, हरिद््वार और ऊधमसिंह नगर ऐसे जिले हैं, जो हर साल अपराध के मामले में बाकी पहाड़ी जिलों से बहुत आगे रहते हैं। ये जिले खास अहमियत रखते हैं। लिहाजा, पुलिस अफसर भी यहां अपनी तैनाती के लिए जुगाड़ लगाते रहते हैं। हरिद््वार का शुमार अपराध के नजरिये से शीर्ष जिले में किया जाता है।
दूसरी तरफ, पुलिस अपनी छवि को मित्र पुलिस के साथ ही मुस्तैद पुलिस के तौर पर भी स्थापित करने की कोशिश में जुटी है। पुलिस महानिदेशक सुभाष जोशी के अनुसार थानों में अपराध दर्ज न होने और मुकदमे दर्ज कराने के लिए पहुंचे लोगों को भगा दिए जाने या समझा कर लौटा दिए जाने की शिकायतें मिलती रहती हैं। इसे दूर करने के लिए चारों प्रमुख जिलों के थानों में स्थानीय इंटेलीजेंस यूनिट (एलआईयू) के जवान भी तैनात कर दिए गए हैं।
जोशी के अनुसार इनकी डयूटी थानों पर नजर रखना तथा वहां की गतिविधियों के बारे में एकदम सही तस्वीर पेश करना है। थानों में कितनी रिपोर्ट दर्ज हुई, कितनों को दबाने की कोशिश की गई, इसकी रिपोर्ट रोजाना उनके पास पहुंच रही है। सूत्रों के अनुसार थानों की गतिविधियों पर खुफिया एजेंटों की स्थाई तैनाती से काफी अंकुश लग गया है। थानों की पुलिस के सम्मुख एक दिक्कत यह भी उनके सामने आ गई है कि वे अब पहले के मुकाबले काफी मुस्तैद दिखाने की कोशिश करने लगे हैं। उनकी ऊपरी कमाई पर भी काफी हद तक अंकुश लग गया है।
उन्हें मालूम है कि खुफिया एजेंट उनकी हर तरह की रिपोर्ट रोजाना भेजेगा। डीजीपी के मुताबिक रिपोर्ट मिलने के साथ ही थानों की पुलिस में अपनी गड़बड़ियों की रिपोर्ट ऊपर तक पहुंचने का भय बैठना निश्चित रूप से बोनस है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाकी जिलों के थानों में भी ऐसी व्यवस्था बाद में अपनाई जा सकती है।
चंद्रशेखर का कर्ज उतारने में लगे मुलायम सिंह
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लखनऊ, 19 मार्च - जब जनता दल की सरकार बनी थी तो तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह देवी लाल के दबाव में अजित सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। चंद्रशेखर अड़ गए तो ताज मुलायम सिंह यादव के सिर पर सजा। अब मुलायम सिंह की बारी है कि चंद्रशेखर की विरासत को आगे बढ़ाएं।
और शायद इसलिए ही अपने नेता दिवंगत चंद्रशेखर की भावभीनी यादों में डूबते हुए सजपा नेताओं ने अपना राजनीतिक भविष्य मुलायम सिंह यादव के हाथों सौंप दिया। सजपा ने सपा में विलय की घोषणा कर दी है और इसके भी पहले मुलायम सिंह ने भी चंद्रशेखर के निधन से खाली हुई सीट पर उनके बेटे नीरज को चुनाव लड़वा और जितावाकर अपनी गुरू-दक्षिणा की एक किस्त अदा कर दी है।
श्री यादव ने भी चंद्रशेखर से अपने रिश्तों का हवाला देते हुए आश्वासन दिया कि सजपा नेताओं को सपा में पूरा महत्व मिलेगा। साथ ही यह भी कहा कि अब वह समाजवादियों को एक मंच पर लाने के लिए जुटेंगे और इस सिलसिले में जल्द ही पटना में एक जमावड़ा किया जाएगा।समारोह को संबोधित करते हुए सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा कि स्वर्गीय चंद्रशेखर से उनके रिश्ते छात्र जीवन से थे। प्रारंभिक दौर में वह खुद सजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। बाद में किन्हीं कारणों से रास्ते कुछ बदल गए पर दलीय मतभेद निजी रिश्तों को कभी प्रभावित नहीं कर पाए। लोकसभा चुनाव में सपा उनके लिए पूरी जी जान से जुटती रही है।
मुलायम ने कहा कि आजाद हिंदुस्तान के इतिहास में चंद्रशेखर अपनी बेबाक बयानी और साफगोई के लिए सदैव याद किए जाएंगे। कांग्रेस में रहते हुए जयप्रकाश नारायण की गिरफ्तारी का विरोध करना आसान बात नहीं थी, पर चंद्रशेखर ने ऐसा किया। उनकी खास बात यह भी थी कि वह हर दम देश को केंद्र में रखकर सोचते थे। कन्या कुमारी से लेकर दिल्ली तक की उनकी पदयात्रा को कैसे भुलाया जा सकता है। मुलायम ने कहा कि अगर पदयात्रा के बाद चंद्रशेखर कोई आंदोलन छेड़ देते तो अपने समवर्ती नेताओं को बहुत पीछे छोड़ देते। मुलायम ने कहा कि लोकसभा में वह जब किसी मुद््दे पर बोलने खड़े होते थे तो स्पीकर से लेकर हर दल का सदस्य उनकी बातों को गौर से सुनता था क्योंकि वह दलीय खांचों में नहीं बंधते थे। दरअसल वह देश को दिशा देने वाले नेताओं में एक थे।
चंद्रशेखर के बेटे सपा सांसद नीरज शेखर ने अपना राजनीतिक जीवन प्रारंभ करने के दौरान उन्होंने जब मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की थी तब मुलायम सिंह ने कहा कि वह चाहे जिस दल से लड़ें, उनका सहयोग रहेगा। नीरज ने कहा कि उसी दिन उन्होंने तय कर लिया था कि वह बलिया का उपचुनाव सपा के ही टिकट पर लड़ेंगे। चंद्रशेखर के 50 साल पुराने साथी सजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि चंद्रशेखर और मुलायम सिंह के रिश्तों की गहराई को वह भली भांति जानते रहे हैं इसलिए उन्हें संतोष है कि पार्टी के लोग ऐसी जगह जा रहे हैं जहां उन्हें सम्मान मिलेगा, भविष्य भी।
सालेम के इलाके में मुलायम-माया की जंग
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आजमगढ़, 19 मार्च - आजमगढ़ के प्रतिष्ठापूर्ण लोक सभा उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा कहीं नहीं है। मुकाबला बसपा और सपा के बीच होगा।
और सबसे पहले बसपा ने संजय गांधी के दोस्त और भारत सुंदरी रहीं नैना बलसाबर के पति अकबर अहमद डंपी को उम्मीदवार बनाकर बाजी मार ली है। रही सही कसर मायावती ने मुस्लिम डंपी के पक्ष ब्रह्मण वोटों का मुहावरा देकर पूरी कर दी है। भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार का तो अभी पता नहीं लेकिन समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवार बदलकर अपने लिए अच्छी खासी आफत खड़ी कर ली है। पहले यह कहा जा रहा था कि उत्तर प्रदेश के डॉन डीपी यादव को बसपा से टिकट दिया जाएगा। जिसके लिए वह बसपा के पाले में भी गए थे। अब वह कांग्रेस उन्हें टिकट दे सकती है। वैसे भी यह डॉन अबू सलेम का इलाका है।
अबू सलेम भले ही चुनाव नहीं लड़ रहा हो मगर मुबंई की आर्थर रोड जेल में बंद रह कर भी वह आजमगढ़ में हीरो है। अगर उसने कोई राजनैतिक फतवा या फरमान जारी कर दिया तो उसकी कद्र की जाएगी। आखिर अबू सलेम ने अपने जन्मस्थान में बहुत सारे मदरसें बनाएं हैं और कई गरीब परिवारों की कई तरह से मदद की है। अबू सालेम के पैसे का असर यह था कि कि एक मल्टीनेशनल बैंक ने यहां अपनी शाखा खोली और उसमें एटीएम मशीन लगाई।
बहुजन समाज वादी पार्टी के सभी बड़े नेता और मंत्री इस सीट के मतदाताओं को लुभाने संसदीय उपचुनाव अकबर अहमद डंपी को सांसद बनाने का नहीं, ब्राह्मणों के अस्तित्व का सवाल है। अस्तित्व को बचाने के लिए बसपा प्रत्याशी को जिताकर दिल्ली भेजना आवश्यक है। इस बात को दूसरे दलों से जुड़े ब्राह्मणों को भी हाथ जोड़कर समझाना है। एक-एक ब्राह्मण के दरवाजे पर जाकर उन्हें यह समझाया जाएगा। आजमगढ़ के इस चुनाव से यह संदेश जाना चाहिए कि बसपा के प्रत्याशी की जीत में ब्राह्मणों की अहम भूमिका रही। यह बातें सूबे के स्वास्थ्य मंत्री अनंत कुमार मिश्र ने मंगलवार को गरुण होटल में मौजूद ब्राह्मण समुदाय के लोगों से कही।श्री मिश्र को पार्टी नेतृत्व ने बसपा प्रत्याशी अकबर अहमद डंपी के पक्ष में ब्राह्मणों को लामंबद करने को भेजा है।
अतरौलिया के विधायक सुरेंद्र प्रसाद मिश्र और नत्थूपुर के विधायक उमेश पांडेय ने स्वास्थ्य मंत्री को अवगत कराया कि आजमगढ़ लोकसभा में सवा लाख वोट ब्राह्मणों का है। जिसमें सर्वाधिक वोट अतरौलिया विधानसभा क्षेत्र में है। इस पर श्री मिश्र ने कहा कि वे हर ब्राह्मण के दरवाजे पर जाकर बसपा प्रमुख की सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय नीति की बारे में बताकर अस्तित्व को बचाने के लिए वोट मांगेंगे। यहीं पर श्री मिश्र ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बसपा सरकार में स्वास्थ्य के क्षेत्र में दवा और सफाई की दर्ुव्यवस्था दूर हो गई है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बसपा प्रत्याशी की जीत होनी तय है, क्योंकि कोई डंपी से नाराज हो सकता है, लेकिन बसपा मुखिया से नहीं। एक सवाल के जवाब में उन्हाेंने कहा कि बलिया उपचुनाव में परिस्थितियां अनुकूल नहीं थी। इसके बाद भी वहां मत-प्रतिशत बढ़ा। जबकि आजमगढ़ के उपचुनाव में ऐसा कुछ नहीं है।
समाजवादी पार्टी की हालत अभी ठीक नहीं है। बीते आम चुनाव में बसपा के टिकट से आजमगढ़ से चुनाव जीतने वाले (बर्खास्त) निवर्तमान सांसद रमाकांत यादव टिकट की दौड़ में पिछड़ गए। समाजवादी पार्टी का टिकट उन्हें नहीं मिला। राजनीति की तीन-पांच में पूर्व मंत्री और एक जमाने में मुलायम सिंह यादव के जानी दुश्मन रहे बलराम यादव ने सपा का टिकट हासिल कर चुनाव से पहले ही उन्हें पटकनी दी। रमाकांत अब किस दल से चुनाव लड़ेंगे यह चरचा का विषय बना हुआ है। बीते आम चुनाव में रमाकांत यादव बसपा के सिंबल पर चुनाव लड़े थे और सपा प्रत्याशी को मात देकर सांसद चुने गए थे। बाद के दिनों में श्री यादव सपा में शामिल हो गए। इसी मामले में रमाकांत को अपनी सांसदी गंवानी पड़ी। आयोग द्वारा उपचुनाव की तिथियां तय होने के बाद रमाकांत सपा से टिकट पाने की होड़ में तेजी से दौड़ रहे थे। अपनी दावेदारी को पक्की मानते हुए उन्होंने 25 मार्च को नामांकन करने की तिथि भी घोषित कर दी थी। मंगलवार को टिकट के लिए लखनऊ में कई दौर की बैठकें हुईं। राजनीति की जोड़तोड़ शाम तक जारी रही। अंत में पूर्व मंत्री बलराम यादव ने बाजी मारी। सपा जिलाध्यक्ष रामदर्शन यादव ने बलराम यादव को मिलने की पुष्टि की है। चुनाव चिह्न लेने के साथ ही बलराम यादव लौट रहे हैं। दूसरी तरफ राजनीतिक हल्के में रमाकांत यादव के दूसरे दलों से चुनाव मैदान में आने की चरचाएं खूब रही। क्षेत्रीय दलों के साथ ही एक राष्ट्रीय दल का नाम लोग लेते रहे।
पाकिस्तान से दिल्ली आ रही पांच किलो हेरोइन मिली
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अमृतसर, 19 मार्च - दिल्ली के एक अज्ञात तस्कर को पाकिस्तान के जरिए लाई जा रही हेरोइन लाते हुए तीन लोग पकड़े गए हैं। यह पांच किलो हेरोइन अंतरराष्ट्रीय बाजार में पांच करोड़ की है। जो तस्कर पकड़े गए हैं वे अक्सर पाकिस्तान जाते रहते थे और दिलचस्प बात यह है कि वे हाल ही में तस्करी के मामले में ही जेल से छूट कर आए हैं।
स्पेशल नारकोटिक्स सेल (एसएनसी) ने फिरोजपुर के तीन लोगों को पांच किलोग्राम हेरोइन के साथ जंडियाला गुरु इलाके से गिरफ्तार किया है। इस दौरान भागने के प्रयास में आरोपियों ने एसएनसी की कार को टक्कर मारी, जिससे वह क्षतिग्रस्त हो गई। स्पेशल नारकोटिक्स सेल के एसएसपी तुलसी राम ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि उक्त आरोपी दिल्ली के तस्कर को पांच किलोग्राम हेरोइन की कन्साइमेंट डिलीवर करने जंडियाला गुरु की तरफ आ रहे हैं।
पकड़े गए आरोपियों पहचान फिरोजपुर के गल खुर्द थानातंर्गत करमूवाल गांव निवासी कुलबीर सिंह उर्फ कीरू, मालांवाला थानांतर्गत रत्तोके बहकां गांव निवासी जगीर सिंह उर्फ जग्गा और कुख्यात तस्कर बलकार सिंह उर्फ बारा उर्फ निहंग के रूप में हुई है। निहंग हथियारों की तस्करी मामले में कुछ दिन पहले ही जेल से जमानत पर छूट कर आया है। इसी आधार पर उन्होंने सब-इंस्पेक्टर हरविंदर सिंह और सब-इंस्पेक्टर बलबीर सिंह के नेतृत्व में पुलिस पार्टी को घटनास्थल की तरफ रवाना कर दिया।
एसएनसी के अधिकारियों ने टी-प्वाइंट तरनतारन रोड पर नाकेबंदी कर दी और संदिग्ध परिस्थितियों में सिल्वर रंग की एसेंट कार आती देख रुकने का इशारा किया। लेकिन आरोपी फरार हो गए। पीछा करने पर आरोपियों ने अपनी कार से एसएनसी की कार को टक्कर मार दी जिससे कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई। लेकिन पुलिस पार्टी ने आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से पांच किलो हेरोइन बरामद कर ली।
कश्मीर में अभियुक्त मिले आरोप गायब
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जम्मू, 19 मार्च - कश्मीर पुलिस इतनी ढीली निकली कि हवाला के जरिए आतंकवादियों को पैसा पहुंचाने के एक पूरे धंधे का पर्दाफाश कर लिया मगर जो लोग पकड़े गए उनके खिलाफ सुबूत जुटाने में पुलिस ने कोई खास मेहनत नहीं की और अदालत को उन्हें छोड़ना पड़ा। हाईकोर्ट ने स्थानीय विंग ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन को हवाला राशि पहुंचाने के मामले में पीएसए के तहत गिरफ्तारी के आदेश को खारिज कर दिया। जस्टिस बशीर अहमद किरमानी ने आरोपी तारिक हुसैन नजर की याचिका पर यह फैसला सुनाया।
हवाला राशि के मामले में रामबन के जिला मजिस्ट्रेट ने 17 अक्तूबर, 2007 को तारिक हुसैन नजर पर पीएसए लगाने का आदेश जारी किया था। अन्य मामले में जस्टिस किरमानी ने जान मोहम्मद तरगवाल पर लगाए गए पीएसए को भी खारिज कर दिया। दोनों मामलों में जस्टिस किरमानी ने गिरफ्तार किए गए कथित आरोपियों को रिहा करने का आदेश भी जारी कर दिया।तारिक हुसैन नजर पर हिजबुल मुजाहिदीन के लिए हवाला की रकम पहुंचाने का आरोप था। पुलिस द्वारा पेश कि गए मामले के मुताबिक नजर हिजबुल के कमांडर कारी की हिदायत पर 17 जुलाई, 2007 को अवंतिपूरा स्थित नूरपूरा मार्केट में रवाना हुआ। जहां पर नजर ने 19 जुलाई, 2007 को फारूक अहमद से 6.69 लाख रुपए की रकम हासिल की। इस दौरान पुलिस की नाका पार्टी ने नजर के वाहन को रोक कर जांच की। जांच में 6.69 लाख रुपए की धन राशि बरामद की गई। पुलिस ने इस सिलसिले में नजर के खिलाफ आरपीसी की धारा 120 और 121 के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया।
एक और मामले में रामबन के जिला मजिस्ट्रेट ने भी जुलाई, 2007 को आदेश जारी कर जान मोहम्मद तरगवाल पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप पर पीएसए लगाया था। जान मोहम्मद इस समय कोट बलावल जेल में बंद है। इस पीएसए को जस्टिस किरमानी ने खारिज करते हुए जान मोहम्मद को रिहा करने का आदेश जारी किया। दोनों मामलों में पीएसए को खारिज किए जाने का हाईकोर्ट ने दोनों आरोपियों के पहले से ही पुलिस गिरफ्त में होने को आधार माना। दोनों आरोपियों के वकीलों ने भी यह तर्क हाईकोर्ट में समक्ष दिया था।
पत्नी की आज्ञा से दूसरा विवाह हुआ
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लखनऊ, 19 मार्च -शादीशुदा युवक को कम उम्र महिला से प्रेम विवाह महंगा पड़ गया। युवक ने पहली पत्नी की रजामंदी से दूसरी पत्नी से आर्य समाज रीति रिवाजों से शादी कर ली। दूसरी पत्नी के परिजनों को ये बात नागवार गुजरी। बेटी की हरकत से नाराज परिजनों ने पुलिस की मदद से युवक के कई रिश्तेदारों को उठवा लिया। इससे परेशान युवक दोनों पत्नियों के साथ मंगलवार को एसएसपी आवास पहुंचा। वहां उसने पुलिस कर्मियों को आपबीती सुनाई और एसएसपी से मदद की गुहार लगाई है।
आलमबाग के समरविहार कालोनी निवासी राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि उसने इसी वर्ष की 15 मार्च को फर्रुखाबाद निवासी प्रियंका से आर्य समाज रीति से शादी की है। उसने शादी अपनी पहली पत्नी अलका की मर्जी से की है। शादी से नाराज प्रियंका के परिजनों ने उसके परिवार वालों को तंग करना शुरू कर दिया है। प्रियंका के नाराज परिजनों ने शनिवार की रात में उसके पिता सुरेश चंद्र श्रीवास्तव, छोटे भाई अमित और सुमित को घर में घुस कर मारा पीटा। पुलिस उन्हें जबरन थाने उठा ले गई और प्रियंका के घर लौटने पर ही उन्हें छोड़ने की बात कह रही है। जब प्रियंका ने पुलिस की शर्त मानने से इनकार कर दिया तो पुलिस मंगलवार को पहली पत्नी की आठ वर्षीय बेटी हनी को जबरदस्ती अपने साथ फतेहपुर ले गई। पुलिस राकेश के कानपुर निवासी बहन मंजू श्रीवास्तव की तीन वर्षीय बेटी को भी उठा ले गई।
अपने परिजनों को पुलिस और प्रियंका के परिजनों के चुंगल से छुड़ाने के लिए राकेश दोनों पत्नियों को लेकर एसएसपी आवास पहुंचा। वहां उसने बताया कि उसकी शादी वर्ष 1999 में अलका से हुई थी। उसकी फतेहपुर में वैष्णवी नाम से ब्यूटी पार्लर है। वहीं उसकी मुलाकात प्रियंका से हुई थी। फिर दोनों प्रेम करने लगे और बात शादी तक पहुंच गई। प्रियंका के परिजनों को इसकी भनक लगी तो उन्होंने उसे समझाया और शादी का विरोध किया, लेकिन प्रियंका ने एक न सुनी।
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नई दिल्ली, 19 मार्च- धर्मशाला में तिब्बतियों के बीच छिड़ा संग्राम अब खतरनाक मोड़ पर आ गया है। गृहमंत्रालय ने कल अपनी एक विशेषज्ञ टीम एक विशेष उड़ान से धर्मशाला भेजी और टीम से जो उसे पता चला उससे उसके होश उड़ गए। पक्की जानकारी यह मिली है कि तिब्बत में इस समय बड़ी संख्या में संदिग्ध विदेशी मौजूद हैं और वे इस आंदोलन को लगातार हवा दे रहे हैं। उन्हें हवाला या अन्य चैनलों से मोटी रकम मिल रही है और जल्दी ही यह लड़ाई हथियार के साथ लड़ी जानी शुरू हो सकती है।
पुलिस ने तिब्बतियों-के आंदोलन में सक्रियता से भाग ले रहे विदेशी सैलानियों-की पहचान कर ली है। तिब्बती संगठनों के आंदोलन में साठ विदेशियों के शामिल होने के साक्ष्य जुटाए गए हैं। पुलिस इन विदेशी पर्यटकों के खिलाफ राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने के आरोप में रिकार्ड तैयार कर रही है। यह रिपोर्ट गृह मंत्रालय सहित इन विदेशी नागरिकों के संबंधित दूतावासों को भी भेजी जाएगी। इस रिपोर्ट के जरिये ये विदेशी अपने दूतावासों के तहत की जाने वाली कार्रवाई से भले ही बच जाएं, मगर इसके कारण उन्हें भारत में दोबारा प्रवेश के लिए वीजा मिलने में दिक्कत आ सकती है।
यहां तक कि उन्हें भारत में प्रवेश से प्रतिबंधित भी किया जा सकता है।दस मार्च को तिब्बत के राष्ट्रीय विद्रोह की 49वीं-वर्षगांठ पर निर्वासित तिब्बतियों-के स्थानीय पांच संगठनों ने तिब्बत तक पैदल यात्रा के जरिए चीन की सीमा पार करने का आंदोलन शुरू किया था। इसमें वैसे तो सौ तिब्बती ही भाग ले रहे थे, मगर उनके साथ दर्जन भर विदेशी पर्यटक भी तिब्बती झंडा उठाए आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। सौ तिब्बतियों-को पुलिस ने कार्रवाई करते हुए हिरासत में ले लिया था, मगर ये विदेशी पर्यटक कार्रवाई से बचे रहे। इसके बाद भी उन्होंने न केवल ज्वालामुखी में अस्थाई जेल में बंदी तिब्बतियों-के पक्ष में आंदोलन जारी रखा, बल्कि बाद में भड़के तिब्बती आंदोलन में भी शामिल रहे।
पुलिस ने इन विदेशियों पर शिकंजा कसने के लिए उनकी गतिविधियों की वीडियो फिल्म बनाने के साथ ही अन्य रिकार्ड भी जमा किया है। यह रिपोर्ट उनके दूतावासों को भेजी जा रही है। साथ ही उनके राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने के चलते भारत में दोबारा प्रवेश या वीजा अवधि बढ़ाने से प्रतिबंधित करने की अनुशंसा भी की जाएगी। एसपी कांगड़ा डा.-अतुल फुलझेले-ने माना कि पुलिस ने आठ के करीब विदेशी पर्यटकों के तिब्बत के राजनीतिक आंदोलन में शामिल होने के साक्ष्य जुटाए हैं। उन्होंने कहा कि इन्हें उनके दूतावासों को उन पर लगाम कसने को भेजा जाएगा। साथ ही इसके जरिए इन विदेशियों को भारत में आने से प्रतिबंधित करने की अनुशंसा भी की जाएगी।
प्र्रीति जिंटा की पूरी टीम बनी
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चंडीगढ़, 19 मार्च-इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के लिए प्रीति जिंटा की टीम में उनके सबसे प्रिय क्रिकेट हीरो युवराज सिंह को सबसे बड़ा सितारा बनाया गया है। प्रीति जिंटा के अंतरंग मित्र और संभावित भावी पति नेश वाडिया ने नीलामी की रकम के अलावा जीतने की स्थिति में युवराज को एक करोड़ रूपए का नकद इनाम देने का वादा भी कर दिया है।
मोहाली की पूरी टीम का चयन कर लिया गया है। 23 सदस्यीय मोहाली की टीम आईपीएल के पहले टूर्नामेंट में चंडीगढ़ के स्टाइलिश बल्लेबाज युवराज सिंह की कप्तानी में उतरेगी। टूर्नामेंट का पहला मैच 18 अप्रैल को बंगलोर के चिन्नस्वामी स्टेडियम में बंगलोर रॉयल चैलेंजर्स और कोलकाता नाइट राइडर्स के बीच खेला जाएगा। टीम अपने अभियान की शुरुआत 19 अप्रैल को चेन्नई सुपर किंग्स के विरुद्ध पीसीए स्टेडियम में करेगी।प्रीति जिंटा और नेस वाडिया की मोहाली टीम में 14 भारतीय और आठ विदेशी खिलाड़ी शामिल हैं। खास बात यह है कि मोहाली की टीम में आस्ट्रेलियाई कोच टॉम मूडी की हिस्सेदारी भी साफ नजर आती है, क्योंकि टीम में चार कंगारुओं को भी शामिल किया गया है। इनमें अनजान आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी लुके पॉमरसबेक का नाम प्रमुख है। शायद ही कोई लुके पर बोली लगाने की हिम्मत करता, लेकिन मूडी ने लुके को अपनी टीम में जगह दी है। मूडी श्रीलंका के कोच रह चुके हैं, जिस कारण टीम में दो श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने भी जगह हासिल की है। इसके अतिरिक्त एक खिलाड़ी वेस्टइंडीज का है, जबकि एक न्यूजीलैंड का।
युवराज सिंह (भारत), पियूष चावला (भारत), उदय कौल (भारत), रमेश पोवार (भारत), श्रीसंथ (भारत), अजितेश अग्रवाल (भारत), इरफान पठान (भारत), विक्रम राजवीर सिंह (भारत), तन्मय श्रीवास्तव (भारत), पंकज धर्माण्ाी (भारत), सनी सोहल (भारत), साइमन कैटिच (आस्ट्रेलिया), जेम्स होप्स (आस्ट्रेलिया), ब्रेट ली (आस्ट्रेलिया), लुके पॉमरसबेक (आस्ट्रेलिया), कुमार संगाकारा (श्रीलंका), महेला जयवर्धने (श्रीलंका), रामनरेश सरवन (वेस्टइंडीज), काइली मिल्स (न्यूजीलैंड), टॉम मूडी (कोच)। मंगलवार को साहिल कुकरेजा, विल्किन मोटा और यश गांधी ने मोहाली की टीम में अपना स्थान पक्का किया। ये तीनों मुंबई रणजी टीम के सदस्य हैं।
नील मैक्सवेल को इंडियन प्रीमियर लीग के लिए मोहाली टीम का सीईओ नियुक्त किया गया है। 40 वर्षीय नील मैक्सवेल इससे पहले न्यू साउथ वेल्स और आस्ट्रेलियन डोमेस्टिक क्रिकेट की विक्टोरिया काउंटी के साथ आस्ट्रेलिया-ए की ओर से खेल चुके हैं। नील मैक्सवेल पूर्व आस्ट्रेलियाई आलराउंडर और ब्रेट ली के भाई शेन ली के साथ 'इनसाइट ऑर्गनाइजेशन' नाम से मार्केटिंग एजेंसी भी चला चुके हैं।
युवा खिलाड़ियों को प्लेटफॉर्म देने के मकसद से टीम में तीन रणजी और दो अंडर-19 विश्वकप विजेता टीम के खिलाड़ियों को भी जगह दी गई है। पंजाब की रणजी टीम से उदय कौल ने विकेटकीपर बल्लेबाज की हैसियत से जगह बनाई है। अन्य रणजी खिलाड़ियों में करण गोयल और विक्रम राजवीर सिंह के नाम भी शामिल हैं। अंडर-19 टीम में शामिल तन्मय श्रीवास्तव और अजितेष अरगल भी मोहाली की टीम में जगह हासिल करने में कामयाब रहे हैं।
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