आलोक तोमर को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते. उनके वारे में वहुत सारे किस्से कहे जाते हैं, ज्यादातर सच और मामूली और कुछ कल्पित और खतरनाक. दो बार तिहाड़ जेल और कई बार विदेश हो आए आलोक तोमर ने भारत में काश्मीर से ले कर कालाहांडी के सच बता कर लोगों को स्तब्ध भी किया है तो दिल्ली के एक पुलिस अफसर से पंजा भिडा कर जेल भी गए हैं. वे दाऊद इब्राहीम से भी मिले हैं और रजनीश से भी. वे टी वी, अखबार, और इंटरनेट की पत्रकारिता करते हैं.

Friday, March 7, 2008

अब भी डी कंपनी के दोस्त हैं संजय दत्त!

Dateline India News Service, 7th March, 2008


करोड़पति गुटका व्यापारी का खुलासा

अब भी डी कंपनी के दोस्त हैं संजय दत्त!
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 7 मार्च-
भारत सरकार और अदालतें संजय दत्त को चाहें जितनी राहत देने की कोशिश करें, उन्हें अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारने की आदत पड़ गई है। अब गोवा गुटका कंपनी के मालिक जगदीश जोशी के जरिए संजय दत्त के माफिया डॉन दाऊद इब्राहीम से संपर्क साबित होने ही वाले हैं। जगदीश जोशी को सीबीआई ने गुटका पैकेजिंग मशीनों के आरोप में पकड़ा है और आज दिल्ली में शुरुआती पूछताछ में ही जोशी ने जो नाम तोते की तरह बोलें, उनमें संजय दत्त का नाम सबसे आगे था।

संजय दत्त जोशी के मित्र भी हैं और एक जमाने में गोवा गुटका का प्रचार भी करते थे। इसके लिए उन्हें नकद और हवाला से रकम देने की बात जोशी ने सीबीआई से कही है। ये मशीनें जोशी के अनुसार भारत के लिए खरीदी गई थीं, लेकिन संजय दत्त की सिफारिश पर अनीस इब्राहीम को दुबई भिजवा दी गई, जहां डी कंपनी ने गुटका बेच कर मोटी कमाई की।

पहले ही टाडा वाले मामले में जमानत पर छूटे संजय दत्त को अभी तक गोवा की अदालत ने मान्यता से शादी के मामले में झूठा हलफनामा भरने के मामले पर माफी नहीं दी है। इस मामले में अगर अदालत चाहें तो उन्हें तीन साल तक की सजा दे सकती है। अब यह गोवा गुटका का मामला उन्हें और भारी पड़ने वाला है और विदेश में शूटिंग के लिए जाने की अस्थायी अनुमति जो उन्हें मिली थी, वह रद्द भी हो सकती है।

करोड़पति जगदीश जोशी पहली बार कानून के फंदे में नहीं फंसे हैं। पहले उन्हें पंचगनी में कुणाल परिहार नाम के आदमी की हत्या के आरोप में सतारा पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उस मामले में जोशी अब भी जमानत पर हैं। पंचगनी के पाइनवुड हाई स्कूल के मालिक देवेंद्र परिहार के बेटे कुणाल की लाश महाबलेश्वर रोड पर मिली थी और चार्जशीट में कहा गया है कि जोशी की बेटी हेमा और कुणाल एक-दूसरे को प्रेम करते थे, जो जोशी को पसंद नहीं था और उन्होंने कुणाल को मरवा दिया।

इसके अलावा मशीनों की तस्करी से जुड़ा मामला सीबीआई के पास एक और रूप में पहले से है और इसमें जोशी के अलावा दूसरे बड़ा गुटका निर्माता माणिकचंद धारीवाल भी शामिल हैं। माणिकचंद अपने नाम से ही गुटका बनाते हैं और इसका विज्ञापन नारा है, ऊंचे लोग, ऊंची पसंद। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने डी कंपनी के लिए पाकिस्तान में दुबई होते हुए गुटका पैकेजिंग की मशीनें अवैध रूप से निर्यात करके पहुंचाईं।

संजय दत्त इन दोनों गुटका मालिकों के दोस्त रहे हैं और इन दोनों ने अलग-अलग समय पर अपने बयानों में संजय दत्त का नाम अपने दुबई के संपर्क के तौर पर लिया है। हालांकि अब तक सीबीआई ने संजय दत्त को इस मामले में अभियुक्तों की सूची में नहीं डाला है, लेकिन अभी जोशी के बयान जारी है और नतीजा उसके बाद निकलेगा।

छिंदवाड़ा की जेल से आते थे मुंबई में हुक्म
डेटलाइन इंडिया
भोपाल, 7 मार्च-
मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा जेल में बंद एक डाकू अपने गिरोह को अपने मोबाइल से लगातार आदेश देता रहा और जब तक वह जेल में रहा और उसका मोबाइल पकड़ा नहीं गया, तब तक वह दस करोड़ रुपए कमा चुका था।

पापड़या कालिया नाम के इस डाकू के खिलाफ महाराष्ट्र में बहुत सारे मामले दर्ज हैं और छिंदवाड़ा चूंकि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है इसीलिए वह इस जिले में भी वारदातें करवाता था। ऐसे ही एक मौके पर मध्य प्रदेश पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और अदालत के आदेश पर उसे न्यायिक हिरासत में छिंदवाड़ा जेल भेज दिया गया। कालिया जेल में था और उसकी पत्नी रेखा गिरोह संभाल रही थी।

रेखा को जल्दी ही पुलिस ने गिरफ्तार किया और उस पर मकोका कानून की धाराएं लगाई गईं। मकोका विशेष अदालत के सामने दिए गए बयान में रेखा ने जो बताया, उससे तो अदालत में मौजूद सभी लोगों के होश उड़ गए। रेखा ने कहा था कि उसका पति कालिया छिंदवाड़ा की जेल से उसे और गिरोह को नियमित निर्देश देता है और उन्हीं के आधार पर गिरोह डकैतियां डालता है।

कालिया और उसके तीन साथी अगस्त, 2007 में जब पकड़े गए थे, तो उनके पास से लाखों रुपए के अलावा 18 किलो सोना बरामद हुआ था। अभी तक पुलिस कुल छत्तीस मामलों का पता लगा पाई है और कालिया तमाम दबावों के बावजूद पुलिस के सामने अपने धंधे के रहस्य खोलने पर राजी नहीं हुआ। कालिया उस गिरोह का सदस्य भी था, जिसे मुंबई के लोखंडवाला में हुए एक एनकाउंटर में मार डाला गया था और इस घटना पर एक मशहूर फिल्म शूट आउट इन लोखंडवाला भी बन चुकी है।

रेखा ने अदालत में जब यह बयान दिया तो पहले तो किसी को भरोसा नहीं हुआ। फिर मुंबई उच्च न्यायालय के जज डी जी कार्णिक ने अपने सहयोगी से उस नंबर पर डायल करने के लिए कहा, जिससे कालिया अपनी पत्नी रेखा को फोन किया करता था। अदालत के फोन में एसटीडी नहीं थी इसीलिए रेखा से ही फोन ऑन करवाया गया और अदालत के सामने उसने अपने पति कालिया से बात की। मकोका अदालत ने निर्देश तो यह दिया था कि छिंदवाड़ा जेल के अधीक्षक को कैद करके उनके सामने पेश किया जाए, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने एक सब जेलर को, जो हेड कांस्टेबल दर्जे का होता है, निलंबित करके उसके खिलाफ जांच बैठा दी। कालिया अब भी छिंदवाड़ा जेल में है और उसकी पत्नी रेखा मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में।

अकाल को कैश करवाने पहुंचे कांग्रेस के युवराज
डेटलाइन इंडिया
कालाहांडी (उड़ीसा), 7 मार्च-
बीस साल पहले जब राजीव गांधी पश्चिमी उड़ीसा के नुआपाड़ा में गए थे, तो दिन-रात काम करवा कर पांच कमरों का एक वातानुकूलित सर्किट हाऊस बनवाया गया था। कालाहांडी आज तक भूख और अकाल से जूझ रहा है और उसके विकास के लिए श्रीमती इंदिरा गांधी से ले कर आज तक सभी प्रधानमंत्रियों द्वारा घोषित योजनाओं में से एक भी पूरी नहीं हुई है, लेकिन सर्किट हाऊस जगमगाता रहता है।

राहुल गांधी ने आज सुबह इसी सर्किट हाऊस में जाग कर अपनी पहली भारत यात्रा शुरू की। उन्हें नहीं मालूम कि आसपास के पांच जिलों में उनकी दादी के शासन के जमाने से आज तक कम-से-कम दो हजार लोग भूख से मर चुके हैं और लाखों गरीबी के कारण बंधक बन चुके हैं। कुलियों को रेल मंत्री लालू यादव से रेलवे में नौकरी दिलवा कर तालियां बजवाने वाले राहुल गांधी को तो शायद यह भी पता नहीं होगा कि नुआपाड़ा में ही सिर्फ बीस किलोमीटर दूर पतोरा बांध है, जो करोड़ों रुपए लगा कर बना है, लेकिन उसके लिए नहरें कभी नहीं बनीं।

देश के सबसे पिछड़ा माने जाने वाले इस इलाके से कांग्रेस के युवराज अपनी भारत यात्रा की शुरूआत कर चुके हैं। चार दिन के इस कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी का दौरा आदिवासी और युवाओं के इर्द-गिर्द रहेगा। युवा सांसद आदिवासियों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं युवाओं से मिलकर उन्हें आगे बढ़ने का हौसला देंगे।

पार्टी महासचिव क्षेत्र के हाकी खिलाड़ियों से भी मुलाकात करने राहुल गांधी गुनुपुर भी जाएंगे। इसी जगह पूर्व प्रधानमंत्री और उनके पिता राजीव गांधी ने श्रीपेरंबदूर जाने से पहले अपना अंतिम भाषण दिया था। यह इलाका हीरे-जवाहरात के लिए भी जाना जाता है। खनिज की भी कोई कमी नहीं है। पर इस सबके बावजूद यह क्षेत्र गरीबी और पिछड़ेपन के लिए ही जाना जाता है। क्षेत्र में भूख से मौत की कई घटनाएं हो चुकी हैं। बुंदेलखंड में राहुल किसानों की आत्महत्या का मुद््दा उठा चुके हैं। कालाहांडी से भारत यात्रा की शुरुआत कर वह उसी सिलसिले को आगे बढ़ा रहे हैं। भारत यात्रा को राहुल गांधी की राष्ट्रीय स्तर पर लांचिग माना जा रहा है। अभी तक युवा सांसद ने उत्तर प्रदेश के अलावा किसी और प्रदेश में रोड शो या बड़े स्तर पर जनसभाएं नहीं की हैं।

पिता के वादे पूरे करेंगे राहुल ?
डेटलाइन इंडिया
कालाहांडी (उड़ीसा), 7 मार्च-
सिर्फ चालीस रुपए में अपनी साली को एक अंधे आदमी को बेचने पर मजबूर होने वाले बनिता से 23 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उनकी गरीबी दूर करने का वायदा किया था। 23 साल बाद अब राजीव गांधी के पुत्र राहुल गांधी अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाने यहां पहुंचे हैं, मगर उम्मीद के भरोसे जीने वाले बनिता को उम्मीद है कि शायद पिता का वायदा राहुल गांधी पूरा कर दें।

23 साल में भले ही दुनिया पूरी तरह बदल चुकी हो मगर उड़ीसा का भूख और अकाल से ग्रस्त यह बोलंगीर जिला बिल्कुल नहीं बदला है। राजीव गांधी ने 23 साल पहले यहां के लोगों से वायदा किया था कि वे उनके घरों को बिजली से रोशन कर देंगे। मगर असलियत यह है कि यहां के लोगों को आज तक बिजली का मतलब ही समझ नहीं आ पाया है क्योंकि उन्हें कभी बिजली देखने को ही नहीं मिली।

बनिता कहते हैं कि राजीव जी तो अब नहीं रहे, मगर उनके बेटे को अपने पिता का वादा जरूर पूरा करना चाहिए क्योंकि उनके लिए तो अब वही आखिरी उम्मीद हैं। उनकी राहुल से अपील है कि वे उनके सिर पर एक पक्की छत दे दें और उन्हें इस लायक बना दें कि वे अपने परिवार का पेट पाल सके। मगर बनिता शायद गलतफहमी में हैं क्योंकि राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी को तो सबसे ज्यादा चिंता इन गरीबों के कीमती वोटों की है, इनकी गरीबी की नहीं। कम-से-कम कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जयदेव जेना की बातों से तो यही लगता है। जेना का कहना है कि उड़ीसा में ऐसी कोई वजह नहीं है, जो उन्हें जीतने से रोक सके।

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी यह जाहिर करने में बिल्कुल नहीं झिझकते हैं कि उन्हें कालाहांडी से वोट चाहिए। पटनायक का कहना है कि कांग्रेस के बहुत सारे बड़े-बड़े नेता यहां आए हैं मगर इतिहास गवाह है कि यहां के मतदाताओं पर उनका कोई असर नहीं पड़ा। कालाहांडी के बाकी लोगों की अपेक्षा में कुछ पड़े लिखे माने जाने वाले छोटू कहते हैं कि गरीबी तो यहां पैदा होने वालों लोगों जन्मसिध्द अधिकार है और उन्हें यह भी पता है कि राहुल गांधी यहां सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने आ रहे हैं क्योंकि इससे पहले उनकी दादी इंदिरा गांधी और उनके पिता राजीव गांधी ने भी यही किया था।

जूनियर चौटाला पर शिकंजा कसा
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 7 मार्च-
अगर हरियाणा के भूतपूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला पर जेबीटी शिक्षकों की भर्ती में घोटाले करने का आरोप साबित हो गया, तो उनसे ज्यादा मुसीबत उनके बेटे अजय चौटाला की आएगी। सीबीआई की अभी तक की जांच में साफ तौर पर बताया गया है कि इस घोटाले में अजय चौटाला ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि अजय चौटाला और उनके पिता ओम प्रकाश चौटाला इस मामले में आईएएस अफसर संजीव कुमार और कुछ दूसरे अफसरों को बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। मगर सीबीआई अपनी तरफ से चौटाला पिता-पुत्र की भूमिका की निष्पक्षता से जांच करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है और एजेंसी ने उनके खिलाफ कई महत्वपूर्ण सबूत भी जुटा लिए हैं।

सीबीआई इस घोटाले की प्राथमिक जांच की रपट सुप्रीम कोर्ट में जमा करा चुकी है और अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई को निर्देश दे दिया है कि चौटाला के खिलाफ मुदकमसा चलाया जाना चाहिए। सूत्रों के अनुसार तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के ओएसडी विद्याधर अैर प्राथमिक शिक्षा के भूतपूर्व निदेशक संजीव कुमार दोनों ने इस घोटाले में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। सीबीआई सूत्रों के अनुसार विद्याधर ने ही सही उम्मीदवारों की सूची की जगह उन उम्मीदवारों की सूची को लगाया था, जो असल में पैसे दे कर और सिफारिश से आए थे। इस घोटाले में लगभग चार हजार शिक्षकों की भर्ती की गई थी और लगभग साढ़े सात साल पहले हुए इस कांड में ज्यादातर उम्मीदवारों के नाम अजय चौटाला के कहने पर सूची में शामिल किए गए थे।

वैसे जब इस कांड का पता चला था संजीव कुमार ने तो चौटाला के खिलाफ तभी बगावत कर दी थी। कुमार ने अदालत जा कर कहा था कि चौटाला ने ही उन पर असली सूची की जगह फर्जी सूची बदलने के लिए दबाव बनाया था। जाहिर है कि सीबीआई संजीव कुमार को चौटाला और उनके बेटे अजय के खिलाफ एक मजबूत गवाह बना सकती है।

विस्थापितों की राजधानी है जम्मू
डेटलाइन इंडिया
जम्मू, 7 मार्च-
भारत के भौगोलिक नक्शे में जम्मू भले ही एक राजधानी के रूप में अंकित नहीं है, लेकिन यहां रहने वाले बहुत सारे लोग जम्मू को विस्थापितों की राजधानी कहते हैं। भारत-पाकिस्तान विभाजन पर विस्थापितों के जम्मू में आने का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह अब तक नहीं थमा है और जम्मू की जनसंख्या बढ़ाने में सबसे ज्यादा योगदान इन्हीं विस्थापितों का रहा है। आने वाले विधानसभा चुनाव में इन विस्थापितों के भी बड़ा मुद्दा बनने की संभावना है।

सबसे बड़ी विडंबना यह है कि साठ साल पहले जो लगभग पचास हजार परिवार आ कर जम्मू में बस गए थे, उन्हें आज तक भारत की नागरिकता नहीं मिली है और उन्हें अब भी रिफ्यूजी ही कहा जाता है। बंटवारे के बाद भारत-पाकिस्तान के 1965 और 71 के युध्द में भी हजारों परिवार जम्मू में आ कर बस गए थे और तब से वे यहीं हैं। सीमा पर पिछले दो दशक से होने वाली पाकिस्तानी गोलीबारी से बचने के लिए भी सीमावर्ती गांवों में रहने वाले बहुत सारे परिवार अपनी जान बचाने के लिए जम्मू आ गए थे।

लेकिन सबसे ज्यादा परेशान वे कश्मीरी पंडित हैं, जिन्हें आतंकवाद की वजह से अपने घरों और जमीन को छोड़ कर कश्मीर से पलायन करना पड़ा। लगभग दो दशक पहले आतंकवादियों के खौफ की वजह से लगभग तीन लाख कश्मीरी पंडित और लगभग नौ हजार सिख जम्मू आ गए थे। आज सरकारी आंकड़ों के अनुसार कश्मीर में हालात पहले से काफी बदल गए हैं, मगर कश्मीरी पंडितों को अब भी कश्मीर में अपने घर लौटते हुए डर लगता है।

भाजपा के नेताओं का कहना है कि गुलाम नबी आजाद और पीडीपी की सरकार को राज करते हुए लगभग पांच साल बीत गए हैं, मगर राज्य की सबसे बड़ी समस्याओं में एक विस्थापितों की समस्या अब भी पहले जैसी बनी हुई है। भाजपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वे चाहते हैं कि उनकी पार्टी विस्थापितों के मुद्दे को खासतौर पर जम्मू में महत्वपूर्ण मुद्दा बनाए, मगर अभी इस पर पार्टी आलाकमान की सहमति मिलना बाकी है।

भगवान के घर में चोरी करने वाला भक्त
डेटलाइन इंडिया
शिमला, 7 मार्च-
बहुत साधारण सा दिखने वाला सतिंदर जैन का चोरी करने का अंदाज सबसे निराला है। सतिंदर जैन को मंदिरों से प्राचीन बेशकीमती प्रतिमाओं को चुराने की आदत है और अब तक वह हिमाचल के कई मंदिरों से ऐसी प्राचीन प्रतिमाएं चुरा कर दिल्ली के प्रीत विहार इलाके में मजे से रह रहा था। लेकिन हिमाचल पुलिस भी उसका पीछा करते हुए दिल्ली तक तक पहुंच गई और उससे धर लिया।

हिमाचल में पिछले लगभग ढाई सालों में कई ऐसी प्रतिमाएं चोरी हुई हैं, जिनकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों में हैं। पुलिस के अनुसार इनमें से ज्यादातर प्रतिमाएं तो इतनी प्राचीन हैं कि उनकी सही कीमत असल में आंकी ही नहीं जा सकती हैं। मगर इन अद्भुत प्रतिमाओं को चुराने वाले सतिंदर जैन ने अभी तक पुलिस के सामने ठीक से मुंह नहीं खोला है। सतिंदर की तलाश हिमाचल पुलिस ने तब तेज कर दी थी, जब हिमाचल के सबसे ठंडे जिले किन्नौर में कुंजुंम पास के पास काजा पाल्डन लामो मंदिर से एक साथ कई बेशकीमती प्रतिमाएं चोरी हो गई थीं।

हिमाचल पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें पक्का यकीन है कि राज्य में हुई ज्यादातर प्रतिमाओं की चोरी में सतिंदर जैन का ही हाथ है। हिमाचल पुलिस ने उसे दिल्ली के प्रीत विहार इलाके से गिरफ्तार करके रामपुर अदालत में पेश किया था और पुलिस ने इसके बाद उसे आठ दिन की रिमांड पर ले लिया। पुलिस के अनुसार यह अक्टूबर, 2006 की बात है, जब सतिंदर ने अपने साथियों के साथ मिल कर पाल्डन लामो मंदिर से एक साथ कई प्राचीन प्रतिमाएं चुराई थीं। संतिदर नवंबर, 2006 में ही पुलिस के हाथ आ गया था, मगर वह पुलिस को पागल बना कर भाग निकला था और पुलिस तभी से उसकी तलाश कर रही थी।

काजा के डीएसपी के नेतृत्व में बनाई गई टीम ने उसे दिल्ली से पकड़ा था। मगर पुलिस को अभी उसके दो और साथियों मोहन लाल वर्मा और लोकेश दत्त शर्मा की भी तलाश है। पुलिस के मुताबिक मोहन दिल्ली का और लोकेश दिल्ली के पड़ोस में हरियाणा के फरीदाबाद शहर का रहने वाला है।

त्रिपुरा की संजीवनी से वाचाल हुआ वाम
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 7 मार्च-
उधर त्रिपुरा में वाम मोर्चो को लगातार चौथी बार अपनी जीत के आसार दिखे और इधर दिल्ली में वामपंथियों के तेवर बदल गए। सीपीएम के महासचिव प्रकाश करात ने विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी को पत्र लिख कर इस मुद्दे पर यूपीए-लेफ्ट समन्वय समिति की बैठक 15 मार्च तक बुलाने की मांग कर डाली है। खबर है कि करात ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी साफ कह दिया है कि अगर उन्होेंने अमेरिका के साथ फिर से परमाणु करार करने की कोशिश की, तो सरकार गिर जाएगी।

आज शुरू हुई मतगणना के नतीजों और रुझानों के अनुसार त्रिपुरा में सत्ताारुढ़ वामपंथी मोर्चा का लगातार चौथी बार सत्ताा में आना करीब करीब तय हो चुका है जबकि मेघालय में कांग्रेस आगे बढ़ रही है। त्रिपुरा में अभी 60 सीटों में से 41 के रुझान मिले हैं और इसके अनुसार वाम मोर्चा 36 में आगे चल रहा है। कांग्रेस महज पांच सीटों पर आगे चल रही है।

सीटों के बंटवारे में विवाद के बाद फारवर्ड ब्लाम वाम मोर्चा से अलग हो गया था। मेघालय में 60 सीटों में से 59 में मतगणना प्रगति पर है। यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) को अभी तक दो सीटें मिल चुकी हैं। वह सात सीटों पर आगे है। सत्ताारुढ़ कांगेस 22 सीटों पर आगे चल रही है। पीए संगमा नीत राकांपा को एक सीट मिली है और वह सात सीटों में आगे चल रही है। अभी तक मिले रुझानों के अनुसार भारतीय जनता पार्टी एक स्थान पर आगे है जबकि चार सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने बढ़त दर्ज की है।

मेघालय के उप मुख्यमंत्री एवं यूडीपी नेता दोनकुपर राय ने शेल्ला जीत पर अपना कब्जा बरकरार रखा। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार लेस्तोन वान्सव्येत को परास्त किया। उधर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एवं कांग्रेस नेता देबोरा सी. मराक चुनाव हार गए हैं। उन्हें रोंगरेंगगिरि में राकांपा के मारकुइज एन. मराक ने परास्त किया। पूर्व मुख्यमंत्री एवं यूडीपी के नेता ईके मावलांग चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने उमरोइ चुनाव क्षेत्र में कांग्रेस के स्तानलिविस राइमबई को परास्त किया।

त्रिपुरा की जीत से पहले ही वामपंथियों के पितामाह माने जाने वाले ज्योति बसु तो पहले ही कांग्रेस को धमकी दे चुके हैं कि परमाणु करार करने की कोशिश करके मनमोहन सिंह अपनी सरकार के भविष्य को खतरे में डाल देंगे।

भाजपा की राज्य सभा सूची पूरी
डेटलाइन इंडिया

नई दिल्ली, 7 मार्च-भारतीय जनता पार्टी ने प्रभात झा को मध्य प्रदेश, प्रकाश जावड़ेकर को महाराष्ट्र, शांता कुमार को हिमाचल और महेश चंद शर्मा को राजस्थान से राज्यसभा पहुंचाना लगभग तय कर लिया है। 26 मार्च को राज्यसभा की 56 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा को सीधे सात सीटों का फायदा होगा।

राज्यसभा के लिए भाजपा अपने प्रत्याशियों की सूची ग्यारह मार्च को जारी करेगी। राज्यसभा के 56 सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होने हैं। इसके साथ ही पार्टी के अंदर बड़ी हस्तियों के बीच लाबिंग तेज हो गई है। राज्यसभा पहुंचने की दौड़ में पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर, प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर, सचिव प्रभात झा, राजस्थान के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महेश चंद शर्मा, हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार और पत्रकार एम.जे. अकबर हैं। इस चुनाव से भाजपा को सात सीटों का फायदा होगा जबकि कांग्रेस को चार सीटों का नुकसान होगा। 56 सीटों में महाराष्ट्र के कोटे से सात, तमिलनाडु से छह, आंध्र प्रदेश से छह, पश्चिम बंगाल से पांच, बिहार से पांच, उड़ीसा से चार, गुजरात से चार, मध्य प्रदेश से तीन, राजस्थान से तीन, छत्तीसगढ़ से दो, हरियाणा से दो तथा झारखंड से दो सदस्यों का चुनाव होना है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि, सचिव प्रभात झा को मध्य प्रदेश, प्रकाश जावड़ेकर को महाराष्ट्र, शांता कुमार को हिमाचल और महेश चंद शर्मा को राजस्थान से राज्यसभा पहुंचना है। पार्टी शीर्ष नेतृत्व भी इनके नाम पर अपनी मंजूरी दे चुका है, घोषणा की सिर्फ औपचारिकता बाकी है। अलबत्ता गुजरात में प्रदेश अध्यक्ष पुरुषोत्तम रूपाला और पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल को लेकर स्थिति अभी तक साफ नहीं है। यहां सब कुछ नरेंद्र मोदी की इच्छा पर निर्भर है। पत्रकार एम.जे. अकबर के नाम पर लालकृष्ण आडवाणी और जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव सहमत हैं। उम्मीद है कि उन्हें संयुक्त उम्मीदवार के रूप में प्रत्याशी घोषित किया जाए। बिहार और उड़ीसा से प्रत्याशी तय करने में भाजपा को अपने सहयोगियों से विमर्श करना अभी शेष है। 11 मार्च से पहले सहयोगी दलों से भी इस मुद््दे पर निर्णायक बातचीत हो जाएगी।

कम्प्यूटर निरक्षर सांसदों की भीड़
डेटलाइन इंडिया

नई दिल्ली, 7 मार्च-मनमोहन सिंह की सरकार भले ही ई-गर्वमेंट के कितने दावे करते रहे, मगर सच्चाई यह है कि आज भी अगर आपको अपने सांसद महोदय से संपर्क करना है तो आपको उनके ई मेल की बजाय खत का ही सहारा लेना पडेग़ा। भारत के लगभग आधे सांसद ऐसे हैं जिनके ई-मेल आईडी आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं हैं। जाहिर है कि सरकार की तरफ से सांसदों को मिलने वाले मुफ्त के लैपटॉप का कोई फायदा नहीं है।

उनसे उम्मीद की जाती है कि वे इन सुविधाओं का उपयोग जनता की समस्याओं को सुलझाने में करेंगे। लेकिन अगले चुनाव की तैयारी में जुट चुके सांसदों ने इन चार वर्षों में अपने ई-मेल आईडी संसद की वेबसाइट तक को उपलब्ध नहीं कराए। लोकसभा के निर्वाचित 552 सांसदों में से 327 के ई-मेल आईडी आज तक लोकसभा सचिवालय की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। हालांकि राज्यसभा कुछ आगे है, लेकिन वहां भी 245 सांसदों में से 42 के ई-मेल आईडी वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं हैं। इससे संसद से लेकर विभिन्न मंत्रालयों को अपनी सूचना सांसदों को उपलब्ध कराने के लिए आज भी खत का सहारा लेना पड़ता है।

सांसदों के ई-मेल आईडी को लेकर ग्रामीण विकास मंत्री डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह को बाकायदा लोकसभा में अनुरोध करना पड़ा। डॉ. सिंह ग्रामीण विकास मंत्रालय की योजनाओं और उनके क्रियान्वयन को लेकर सांसदों को ई-मेल के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराना चाहते हैं। लेकिन मंत्रालय को लोकसभा के चुने 552 सांसदों में से मात्र 225 सांसदों का ई-मेल आईडी मिल पाया। मंत्रालय को सर्वोच्च पंचायत के सभी चुने जन प्रतिनिधियों के ई-मेल आईडी की तलाश है।

ई-मेल आईडी नहीं देने वाले सांसदों की सूची काफी लंबी है। इसमें ऐसे सांसद भी हैं जो सूचना प्रौद्योगिकी में काफी रुचि लेते रहे हैं। माना जा रहा है कि फिजूल ई-मेल से बचने के लिए ही उन्होंने अपने मेल आईडी उपलब्ध नहीं कराए। वैसे लोकसभा और राज्यसभा की वेबसाइट बनाने वाले राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) के अफसर मानते हैं कि दोनों सदनों में बड़ी संख्या में ऐसे सांसद हैं जिन्होंने अब तक अपने ई-मेल आईडी नहीं बनाए हैं। जबकि उनके ई-मेल आईडी बनाने में सरकारी तौर पर भी मदद देने का प्रावधान है। ई-मेल आईडी उपलब्ध नहीं कराने वालों की सूची में डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह की पार्टी राजद के प्रमुख व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी, सूचना प्रसारण मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी समेत कई मंत्री भी हैं। कांग्रेस के 'युवराज' राहुल गांधी से लेकर सुखबीर सिंह बादल, फिल्म अभिनेता धमर्ेंद्र व गोविंदा, मिलिंद देवड़ा और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा समेत 327 सांसद इस सूची में हैं।

सुखबीर बादल ने लिया आईजी से बदला
डेटलाइन इंडिया

चंडीगढ़, 7 मार्च-पंजाब में आईजी रहे राजिंदर सिंह अब अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से पंगा लेकर पछता रहे हैं। राजिंदर सिंह को अकाली सरकार ने निलंबित कर दिया है और श्री सिंह अब वह दिन याद कर रहे हैं, जब उन्होंने जूनियर बादल के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज किया था।

पंजाब सरकार द्वारा निलंबित आईजी राजिंदर सिंह अब सरकार से लंबी लड़ाई के मूड में हैं। सरकार के निलंबन के फैसले को राजिंदर सिंह जल्द ही चुनौती दे सकते हैं। इसके लिए वे कानूनी सलाह भी ले रहे हैं। राजिंदर सिंह के अनुसार वे कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लेंगे और अपने हक के लिए कानूनी रास्ता अपनाएंगे।

आईजी राजिंदर सिंह ने वीरवार को कहा कि वे निलंबन पर कानूनी सलाह ले रहे हैं। वे कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं लेंगे। उन्होंने अपने निलंबन की आशंका पहले ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जता दी है। अब आगे का फैसला वकील से सलाह लेने के बाद ही लेंगे। उन्होंने साफ कहा कि उन्हें जिन आरोपों में निलंबित किया गया है उन आरोपों में कोई दम नहीं है। जिस ट्रस्ट की जमीन हड़पने का आरोप लगाया जा रहा है वो जमीन तो हड़पी ही नहीं जा सकती। ट्रस्ट की जो भी आय हो उस पर कोई कब्जा नहीं कर सकता है। ट्रस्ट में कई सदस्य होते हैं और इनका आपसी विवाद होता रहता है। यदि उनका भाई अगर ट्रस्ट का सदस्य है तो इसमें उनका क्या दोष है।

उन्होंने कहा कि पुलिस के पास अगर कोई शिकायत आती है तो उसमें कई शिकायतें झूठी भी निकलती हैं। उनके खिलाफ जो शिकायत आई है वह पूरी तरह झूठी है। पिछली सरकार के दौरान भी यह शिकायत आई थी पर यह शिकायत पूरी तरह से गलत निकली थी। निलंबित डीजीपी एसएस विर्क की राह पर ही आईजी राजिंदर सिंह का केस चल रहा है। दोनों के निलंबन के मामले में काफी समानता है। यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि विर्क के तहत ही राजिंदर सिंह पर मामला दर्ज किया जा सकता है। विर्क को भी पहले खरड़ के पास एक फौजी विधवा की जमीन हड़पने के आरोप में निलंबित किया गया था। उसके बाद फिर विर्क के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया।

राजिंदर सिंह के खिलाफ भी एक इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट की जमीन हड़पने का आरोप है। इसके बाद उन्हें निलंबित किया गया है। दोनों अफसरों में यह भी समानता है कि दोनों पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नजदीकी अधिकारी रहे हैं। अमरिंदर सिंह के कार्यकाल में राजिंदर सिंह जहां बठिंडा रेंज के आईजी रहे हैं वहीं उन्होंने आईजी रहते हुए अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल के खिलाफ चुनाव के दौरान मामला भी दर्ज किया था। जबकि एसएस विर्क के खिलाफ भी चुनावी पक्षपात का आरोप सुखबीर बादल ने लगाया था और चुनाव आयोग ने ठीक चुनाव से पहले उन्हें हटा दिया था।

हुड्डा दूसरे हुड्डा का एहसान उतारेंगे?
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चंडीगढ़, 7 मार्च-हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कृष्णमूर्ति हुड््डा का एहसान चुकाने का मौका मिल गया है। किलोई के विधायक कृष्णमूर्ति हुड््डा ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके लिए अपनी सीट खाली की थी। अब कृष्णमूर्ति के समर्थक मुख्यमंत्री को उनका एहसान याद दिला कर उन्हें राज्यसभा भेजने के कोशिश कर रहे हैं।

हरियाणा में खाली हो रही राज्यसभा की दो सीटों पर चुनाव लड़ने वालों ने लाबिंग तेज कर दी है। यह सीटें डा. रामप्रकाश और हरेंद्र मलिक का कार्यकाल पूरा होने पर रिक्त हो रही हैं। सुमित्रा महाजन के निधन से रिक्त हुई सीट पर पिछले वर्ष डा. रामप्रकाश को राज्यसभा के लिए चुना गया था।

उनका एक वर्ष का कार्यकाल था। इसलिए उनकी सीट भी खाली हो रही है, हरेंद्र मलिक हालांकि इंडियन नेशनल लोकदल की तरफ से छह वर्ष पहले राज्यसभा के सदस्य बनाए गए थे, लेकिन बाद में उनकी आस्थाएं बदल गई और आजकल वे कांग्रेस हाईकमान के काफी नजदीक हैं। हरियाणा कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों और मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड््डा के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक डा. रामप्रकाश को दोबारा राज्यसभा में भेजना लगभग तय है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि उन्हें बतौर राज्यसभा सदस्य सिर्फ एक वर्ष ही मिल पाया है। वैसे भी वे मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड््डा के काफी नजदीकी हैं, इसलिए उन्हें राज्यसभा में दोबारा भेजने के लिए लगभग सहमति है।

दूसरी सीट पर काफी लाबिंग हो रही है। तीन वर्ष पहले जब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रोहतक के सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड््डा को मुख्यमंत्री बनाया था, तब उनके विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए किलोई के विधायक कृष्णमूर्ति हुड््डा ने इस्तीफा दिया था।
कृष्णमूर्ति हुड््डा की यह कुर्बानी मुख्यमंत्री को अभी तक याद है। आमतौर पर उनके बारे में प्रचलित है कि वे अहसान चुकाते हैं। इसलिए यह चर्चाएं हैं कि कृष्णमूर्ति हुड््डा को राज्यसभा में भेज दिया जाए। दूसरा नाम मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड््डा के बहुत नजदीकी और उनके राजनीतिक सलाहकार प्रो. वीरेंद्र का है। उन्हें 2005 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला था। हालांकि उन्हें अपना राजनीतिक सलाहकार बनाकर मुख्यमंत्री ने टिकट न दे पाने का मलाल कम किया है, लेकिन उन्हें राज्यसभा में भेजने के लिए कई विधायक जोर लगा रहे हैं।

तीसरा नाम प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कुलदीप शर्मा का है। वे करनाल से लोकसभा का चुनाव हार गए थे क्योंकि उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन अब वे मुख्यमंत्री के नजदीकी हैं और प्रदेश कांग्रेस में महत्वपूर्ण पद पर हैं। यह भी चर्चा है कि कांग्रेस हाईकमान किसी दूसरे राज्य के एक नेता को भी हरियाणा से राज्यसभा में भेज सकती है। जहां तक वन राज्यमंत्री किरण चौधरी के नाम की चर्चा का सवाल है, किरण ने साफ तौर पर मना कर दिया है कि उनका नाम चर्चा में है। जब मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड््डा से राज्यसभा के संभावित उम्मीदवारों के बारे में पूछा, तो वे जवाब टाल गए।

अतीक पर हो सकती है बहन जी की कृपा
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इलाहाबाद, 7 मार्च-हो सकता है कि समाजवादी सांसद अतीक अहमद नार्को एनालिसिस टेस्ट से बच जाए। अतीक के नार्को टेस्ट का दावा करने वाली यूपी पुलिस अब खुद अपने दावे से पीछे हटती जा रही है। अतीक ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती का भी खूब गुणगान किया था। चर्चा है कि उन्हें इस गुणगान का फल मिल सकता है।

की गिरफ्तारी के बाद उठा नारको एनालिसिस टेस्ट का शोर अब थम चुका है। टेस्ट होगा या नहीं, इस पर अब पुलिस अफसर बात करने से कतराते हैं। कारण जो भी हो, लेकिन अब लोगों को लग रहा है कि अतीक का नारको टेस्ट नहीं होने वाला क्योंकि कोर्ट में अर्जी नहीं दी गई। पर अधिकारी पूछने पर कह रहे हैं कि टेस्ट कराया जाएगा।

अतीक की फरारी के दौरान ही पुलिस महकमे में यह चर्चा जोरों पर रही कि गिरफ्तारी के बाद उनका नारको एनालिसिस टेस्ट कराया जा सकता है। ऐसा इसलिए कि पुलिस मान रही थी कि अतीक उन पर लगे आरोपों और दूसरी आपराधिक गतिविधियों के बारे में सीधे से कोई जवाब नहीं देंगे। महीने भर पहले अतीक की गिरफ्तारी के बाद नारको टेस्ट काहल्ला और भी जोर पकड़ता गया। उन्हें जेल भेजने के बाद पुलिस अफसर भी कहने लगे थे कि अतीक का नारको टेस्ट कराना जरूरी है जिससे उन पर लगे आरोपों की सच्चाई पता चले और यह भी मालूम हो सके कि उनके संबंध किन-किन अफसरों से हैं। आईजी से लेकर एसएसपी तक ने नारको टेस्ट कराने में हामी भरी पर धीरे-धीरे महीने भर से ज्यादा वक्त गुजर गया है, पुलिस अब इस बारे में शांत बैठी है।

पुलिस सूत्र तो बताते हैं कि अभी नारको टेस्ट पर शासन स्तर से हरी झंडी नहीं मिली है, इसलिए अफसर भी तेजी नहीं दिखाना चाहते। हालांकि पूछने पर एसपी सिटी उदयशंकर जायसवाल कहते हैं कि कानूनी प्रक्रिया के तहत अतीक अहमद का नारको टेस्ट कराने पर विचार हो रहा है। तो फिर अब तक कोर्ट में अर्जी क्यों नहीं दी गई। इस पर एसपी सिटी का कहना है कि नारको टेस्ट कराने पर काम चल रहा है। कोई जल्दबाजी की जरूरत नहीं है। उनके मुताबिक, सिविल लाइंस थाने के एसएसआई द्वारा विवेचनाधीन गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में नारको टेस्ट कराने के लिए अदालत में प्रार्थनापत्र दिया जा सकता है।

अलीगढ़ में रेलवे को पचास करोड़ का नुकसान
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अलीगढ़, 7 मार्च-अलीगढ़ से करीब बीस किलोमीटर दूर सोमना रेलवे स्टेशन के निकट हुए हादसे से रेलवे को तकरीबन 50 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उत्तर मध्य रेलवे के सबसे व्यस्त ट्रैक पर गुरुवार को डाउन ट्रेनों का संचालन पूरे 18 घंटे तक बंद रहा, जबकि अप ट्रैक साढ़े छह घंटे तक बंद रहा।

दर्जनों ट्रेनों के हजारों यात्रियों ने हावड़ा से नई दिल्ली के बीच के आरक्षित अनारक्षित व तत्काल टिकट वापस किए। इसके अलावा इन स्टेशनों के बीच होने वाली पार्सल बुकिंग, लीज कांट्रेक्ट बुकिंग व अन्य कारोबार भी नहीं हो सके। इसके विपरीत ट्रेनों का रूट बदलने से कहीं का पार्सल व सामन कहीं उतरने के कारण रेलवे को इस पर अतिरिक्त खर्च भी देना पड़ेगा।अकेले अलीगढ़ रेलवे स्टेशन पर सवा लाख रुपये की टिकट वापसी के साथ तकरीबन 2 लाख रुपये की माल बुकिंग प्रभावित हुई है। यही नहीं रोडवेज बसों की सेवा लेने के लिए रेलवे को 1.10 लाख रुपये का भाड़ा भी देना पड़ा। अधिकारी भी दबी जबान में इस घटना से अनुमान के आधार पर रेलवे को 50 करोड़ की क्षति आंक रहे हैं। परंतु जांच होने के कारण कोई भी इस पर खुल कर बोलने को तैयार नहीं है।

अलीगढ़ के स्थानीय रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के मोबाइल फोन लगातार घनघनाते रहे। ट्रेनों के निर्धारित समय पर न आने के कारण यात्रियों के परिजन उनसे लगातार कुशलक्षेम पूछते रहे। कुछ लोगों ने इस हादसे का फायदा उठाते हुए खाने-पीने की वस्तुओं के रेट बढ़ा दिए। उधर, रेल प्रशासन ने यात्रियों के लिए चाय की व्यवस्था कराई। सोमना रेलवे स्टेशन पर बुधवार को हुए हादसे के बाद ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से लड़खड़ा गया। टे्रनों के समय पर निर्धारित स्टेशनों पर न पहुंचने के कारण यात्रियों के परिजन चिंतित हो गए।

यात्रियों के परिजन और परिचितों के टेलीफोन कुशलक्षेम पूछने के लिए घनघना उठे। परिजनों और परिचितों को उस समय शांति मिली जब उन्हें यह जानकारी हुई कि हादसा मालगाड़ी के साथ हुआ है न कि किसी यात्री ट्रेन के साथ।उधर, इस हादसे के कारण ट्रेनें घंटों जहां की तहां रुकी रहीं, जिसके कारण यात्रियों ने खाने-पीने की वस्तुओं की खरीदारी शुरू कर दी। जिससे सामानों का अभाव होने लगा। इस मौके का कुछ लोगों ने फायदा उठाते हुए खाद्य पदार्थों के मूल्यों में वृध्दि कर दी। इस बात का अहसास जब रेलवे अफसरों को हुआ तो उन्होंने आनन-फानन में चाय की व्यवस्था कराई। स्टेशन अधीक्षक जीडी सिंह ने बताया कि चाय के तीन कंटेनर दाउद खां और अलीगढ़ में करीब आधा दर्जन की व्यवस्था कराई।

तांत्रिक ने बच्चे को मौत के मुंह में धकेला
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मथुरा, 7 मार्च-बलि से बचे एक मासूम की जिंदगी अब प्लास्टिक सर्जरी के भरोसे है, लेकिन गरीबी की मार ने उसे इससे भी वंचित कर रखा है। दिल्ली के एक अस्पताल में मौत से जूझ रहे इस मासूम के परिजन पल-पल उसके बचने की दुआएं कर रहे हैं, लेकिन गरीबी ने उनका हर रास्ता बंद कर दिया है।

नटवर नगर निवासी लेखराज के दस माह के नाती हंसते-खेलते नाती को पड़ोसन सुमन अपना मन बहलाने का बहाना बनाकर अपने घर ले गई। परंतु, इससे पीछे उद््देश्य उसकी बलि देना था। तांत्रिकों के कहने पर बलि भी इसलिए ताकि पति के नि:संतान दोस्त के घर में चिराग रोशन किया जा सके। इसके लिए मासूम को घर लाकर उसके मुंह में खौलती हुई दाल डाली गई। इतना ही नहीं गरम सरिया से उसके नाजुक अंगों को दागा गया। इसके चलते मासूम अचेत हो गया, जिसे पड़ोसन चुपके के लेखराज के घर छोड़ आई।

गरीबी का दंश झेल रहा लेखराज नाती को लेकर मथुरा और आगरा के चिकित्सकों के यहां उपचार के लिए भटका। कोई राहत नहीं मिली तो उसने 18 फरवरी को एसपी (सिटी) संजय कुमार के समक्ष दुखड़ा रोया। तब कहीं जाकर मुकदमा दर्ज हो सका। इसके बाद किसी तरह लेखराज उसे दिल्ली के सफदरगंज हास्पीटल ले गया। यहां चिकित्सकों ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी से मासूम को बचाया जा सकता है। इसमें करीब ढाई लाख का खर्चा आएगा।

यह सुन लेखराज के पांव तले जमीन खिसक गई। उसके पास फूटी कौड़ी तक नहीं है। अंतत: पीड़ित ने डीएम अनीता सी. मेश्राम के सामने जाकर दुखड़ा रोया। डीएम ने पूरे मामले की जांच कराई। सीएमओ को निर्देश दिए गए कि वे मदद प्रदान कराएं, लेकिन सरकारी तौर पर किसी फंड का इंतजाम नहीं हो सका। अंतत: डीएम व अन्य अफसरों ने अपने वेतन से पचास हजार रुपये एकत्र किए। यह धनराशि लेखराज को दे दी गई, लेकिन मासूम की जिंदगी अभी भी मदद की ओर मुंह ताक रही है।

दिल्ली के मालिक दिल्ली में बेइज्जत
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नई दिल्ली, 7 मार्च-दिल्ली के जिन इशांत शर्मा की बदौलत टीम इंडिया ने कंगारूओं को उन्हीं की धरती पर पीटा, उन्हीं के परिजनों को फिरोजशाह कोटला में घुसने नहीं दिया गया। और तो और आईपीएल में दिल्ली की टीम खरीदने वाले जीएमआर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को तो किसी ने पहचानने से भी इनकार कर दिया।

दिल्ली जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के लिए रणजी मैच तक ठीक से आयोजित कराना ही हमेशा टेढ़ी खीर साबित हुई है। ऐसे में उसे आस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय सीरीज जीत कर लौटी टीम के सम्मान समारोह की जिम्मेदारी देना बोर्ड की सबसे बड़ी भूल थी। इस आयोजन की पूर्वसंध्या पर भरोसा दिलाया था कि कई सालों की मेहनत के बाद तैयार फिरोजशाह कोटला के मैदान को नुकसान नहीं होगा। लेकिन कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही डीडीसीए के अधिकारियाें के बच्चे और रिश्तेदार भारी संख्या में बीच मैदान पर थे। इस के बीच क्रिकेट से जुड़े लोगों को बदइंतजामी के कारण जलालत झेलनी पड़ी। इनमें सबसे उपर रहे इंडियन प्रीमियर लीग में दिल्ली की टीम 'दिल्ली डेयरडेविल्स' खरीदने वाली कंपनी जीएमआर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और भारतीय क्रिकेट के नए सितारे इशांत शर्मा के चाचा।

जीएमआर ने दिल्ली की टीम को खरीदने के लिए 331 करोड़ बोर्ड को दिए हैं। लेकिन इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने और अपनी टीम के खिलाड़ियाें से मिलने के लिए दिल्ली डेयरडेविल्स के मुख्यकार्यकारी अधिकारी योगेश शेट््टी को आईपी इस्टेट थाने के हेड कांस्टेबल कैलाश कुमार के सामने हाथ तक जोड़ने पड़े। लेकिन उन्हें मंच के पास से दौड़ा दिया गया। शेट््टी ने कैलाश से कहा कि वह दिल्ली टीम के मालिक हैं। इस पर उसका जवाब था, 'मैं नहीं जानता। आप यहां से हट जाइए।' कैलाश डयूटी के लिहाज से सही थे। असल में शेट््टी को ठीक से न्योता नहीं भेजा गया था।

अंत में भारतीय टीम के पूर्व मैनेजर अमृत माथुर और डीसीसीए के मीडिया कॉर्डिनेटर रवि जैन ने उन्हें फोन से इंतजार करने को कहा। लेकिन वह पूरे कार्यक्रम के दौरान मंच केपास दिखाई ही नहीं दिए। पंजाब रणजी टीम के कोच गुरुशरण सिंह के साथ भी लगभग कुछ ऐसा ही हुआ। इशांत शर्मा के जीवन में उनके चाचा का अहम योगदान है। जिन दिनों इशांत छोटा था, वही उन्हें विभिन्न मैदानों में खेलने के लिए लेकर जाते थे। इस युवा को कामयाबी मिली तो यह काम उनके पिता से शुरू कर दिया। लेकिन फिर भी चाचा इस यादगार क्षण के गवाह बनने के पूरे हकदार थे। गेट पर दिल्ली पुलिसवालों ने उन्हें भाग जाने के लिए कह दिया। गाली गलौज पर उतारू गुस्साए चाचा ने मंच पर बैठे इशांत को फोन किया। इसके बाद इशांत डीडीसीए के अधिकारियाें के सामने गुजारिश करते नजर आए कि उनके चाचा को अंदर लाया जाए। लेकिन इस सारी कवायद के बीच कार्यक्रम ही निपट चुका था।

शिवरात्रि भी नहीं मना पाए नेपाल नरेश
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काठमांडू, 7 मार्च-नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र के राजनीतिक अधिकार पहले ही छीन लिए गए हैं, अब उन्हें महाशिवरात्रि पर साधुओं और नागाओं को भेंट देने से भी रोक दिया गया है।

अंतरिम सरकार ने पिछले साल ही उनके 'सांस्कृतिक अधिकारों' पर रोक लगा दी थी। इसी रोक के चलते वह महत्वपूर्ण धार्मिक समारोहों जैसे भोतो जात्रा और इंद्रा जात्रा की अध्यक्षता नहीं कर सकते हैं। शताब्दियों से नेपाल नरेश कई धार्मिक और पारंपरिक मौकों पर आयोजित समारोहों और आयोजनों में हिस्सा लेते थे। यह नरेश का अधिकार माना जाता था। 2006 में नेपाल में राजशाही का विरोध शुरू हुआ। बृहस्पतिवार को नरेश के स्थान पर पशुपतिनाथ मंदिर के प्रबंधन ने सरकार की तरफ से वहां आने वाले साधुओं, नागाओं और जोगियों को दान दिया।

इसके लिए मंदिर की प्रबंधक समिति ने बुधवार को ही प्रधानमंत्री गिरजा प्रसाद कोइराला से मुलाकात की थी। नेपाल न्यूज ऑन लाइन रिपोर्ट के मुताबिक, आधिकारिक तौर पर पशुपतिनाथ मंदिर आने वालों को कई चीजें भेंट की गई। कई वर्ष से चली आ रही इस परंपरा के तहत नरेश द्वारा इस पर्व पर एक जोड़ी वस्त्र ,कंबल और कुछ पैसे आदि दिए जाते थे। इस अवसर पर हजारों संत इस प्रसिध्द शिव मंदिर पर एकत्रित होते हैं। उल्लेखनीय है कि नेपाल सरकार इससे पहले भी नरेश को कई धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेने से रोक चुकी है। कुछ महीनों पहले नरेश द्वारा जीवित देवी के दर्शन का मामला भी काफी सुर्खियों में रहा था। नेपाल की अंतरिम सरकार माओवादियों के साथ हुए एक समझौते में राजशाही खत्म करने की बात कह चुकी है। अप्रैल में होने वाले संविधान सभा के चुनाव के बाद नेपाल का नया संविधान निर्मित होगा और तभी
राजशाही पूरी तरह से खत्म करने का फैसला भी लिया जाएगा।

बाप ने बेटी को द्रौपदी बनाया
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मूरतगंज, 7 मार्च-उधार की रकम नहीं चुका पाने पर एक व्यक्ति ने अपनी शादीशुदा बेटी को दूसरे के साथ भेज दिया। जानकारी पर जब उसकी सास वहां पहुंची तो उसकी जमकर पिटाई कर दी गई।

शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी दी जा रही है।कोखराज के मितवापुर गांव के एक युवक की शादी छह वर्ष पहले सैनी के भैरवपुर गांव की युवती के साथ हुई थी। शादी के बाद युवती के पिता ने अपने दामाद से दस हजार रुपये उधार लिए। तीन साल तक विवाहिता अपने ससुराल में रही। बीते दिनों जरूरत पड़ने पर दामाद ने अपना रुपया वापस मांगा तो उसके ससुर ने बेटी को घर लिवा ले गया। काफी प्रयास के बाद उसने अपनी बेटी को ससुराल नहीं भेजा।

बीते दिनों उसने चुपके से अपनी विवाहिता बेटी को दूसरे के साथ विदा कर दिया। यह बात जब वर पक्ष को पता चली तो वे दंग रह गए। बहू के मायके आकर उसकी सास ने जब लड़की के बाप से अपने रुपये मांगा तो वह बिफर पड़ा। उसने उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी। इसकी शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी भी दी। दहशतजदा परिजन खामोश है। चर्चा है कि शादी के बाद दूसरे दामाद से भी उसने पैसे लिए हैं। इस घटना से इलाके में चर्चा का बाजार गर्म है।


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