आलोक तोमर को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते. उनके वारे में वहुत सारे किस्से कहे जाते हैं, ज्यादातर सच और मामूली और कुछ कल्पित और खतरनाक. दो बार तिहाड़ जेल और कई बार विदेश हो आए आलोक तोमर ने भारत में काश्मीर से ले कर कालाहांडी के सच बता कर लोगों को स्तब्ध भी किया है तो दिल्ली के एक पुलिस अफसर से पंजा भिडा कर जेल भी गए हैं. वे दाऊद इब्राहीम से भी मिले हैं और रजनीश से भी. वे टी वी, अखबार, और इंटरनेट की पत्रकारिता करते हैं.

Monday, March 10, 2008

पवार के भतीजे को हड़काया उध्दव ने



पवार के भतीजे को हड़काया उध्दव ने
डेटलाइन इंडिया
मुंबई, 10 मार्च-
बाला साहब ठाकरे और शरद पवार की बरसों पुरानी दोस्ती पर अब खतरा मंडराने लगा है। यह खतरा बाल ठाकरे के बेटे उध्दव और पवार के भतीजे अजीत के बीच हुए वाक् युध्द के बाद पैदा हुआ है।

शिव सेना के कार्यकारी अध्यक्ष उध्दव ने इस जंग की शुरुआत की थी। उन्होंने ने यूपीए सरकार द्वारा किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा पर सवाल उठाया था और इसके बाद विलासराव देशमुख की सरकार में कैबिनेट मंत्री अजीत पवार ने पलटवार करते हुए सवाल किया कि क्या किसी ठाकरे ने कभी खेती की है, जो उनको किसानों की पीड़ा समझ आए? इसके बाद उत्तरी महाराष्ट्र के चालीसगांव में किसान सभा को संबोधित करते हुए उध्दव ने पूछा कि क्या अजीत पवार के खानदान में से कोई कभी क्रिकेट के मैदान पर पैदा हुआ है?

उध्दव ने अजीत पवार से पूछा है कि अगर उनके खानदान में कोई किसान नहीं रहा है तो आपके खानदान में से भी कभी किसी ने क्रिकेट नहीं खेली, फिर आप क्रिकेट में क्यों टांग अड़ाते रहते हो? यहां यह भी याद किया जा सकता है कि कुछ दिन पहले जब बीसीसीआई ने इंडियन प्रीमियर लीग के लिए खिलाड़ियों की करोड़ों रुपए में नीलामी की थी, उसके अगले ही दिन शिव सेना सुप्रीमो ने अपने पुराने मित्र और बीसीसीआई अध्यक्ष शरद पवार की क्रिकेट को आईपीएल के जरिए धंधा बनाने के लिए आलोचना की थी।

जबकि कुछ महीने पहले ही शरद पवार खुद बाल ठाकरे के घर मातोश्री आ कर उनसे मिले थे और तब यह संभावना भी जता रही थी कि अगले विधानसभा चुनाव में या विधानसभा चुनाव से पहले ये दोनों नेता गठबंधन कर सकते हैं। लेकिन अब उध्दव और अजीत पवार के बीच जंग छिड़ जाने के बाद हालात बिल्कुल बदल गए हैं। यह बात और है कि शिव सैनिक और शरद पवार के एनसीपी के नेता इस जंग को ठाकरे और पवार की सालों पुरानी दोस्ती के लिए खतरा नहीं मानते हैं। शिव सेना के एक नेता का कहना है कि एनसीपी और शिव सेना दोनों की प्रतिद्वंद्वी है, तो इस तरह की जंग तो चलती रहती हैं, मगर ठाकरे और पवार की दोस्ती इससे अलग है।

बजट चिदंबरम का और श्रेय पवार को
डेटलाइन इंडिया

नई दिल्ली, मुंबई, 10 मार्च-किसानों के कर्ज माफी के मसले पर सिर्फ एनसीपी और शिव सेना में ही नहीं ठनी है, बल्कि कांग्रेस और एनसीपी भी आमने-सामने आ गई है। दरअसल एनसीपी ने कई अखबारों में पूरे पन्ने के विज्ञापन छपवा कर कर किसानों का कर्ज माफ करने का सारा श्रेय केंद्रीय कृषि मंत्री और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार को दिया था और यह बात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी नहीं पचा पाई।

सोनिया गांधी ने खुद तो पवार को कुछ नहीं कहा, मगर अपनी पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह के हाथों यह संदेश जरूर भिजवा दिया कि उन्होंने किसानों का कर्ज माफ करने का सारा श्रेय अकेले ले कर मंत्री धर्म नहीं निभाया। दिग्विजय सिंह ने सोनिया गांधी की तरफ से कहा कि उनके विज्ञापनों में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी इसका श्रेय दिया जाना चाहिए था। मगर पवार ने यह कह कर इस मामले को टालने की कोशिश की कि इस विज्ञापन के बारे में उन्हें बाद में पता चला क्योंकि यह विज्ञापन उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और किसान नेताओं ने उनका धन्यवाद करने के लिए उन्हें बिना बताए छाप दिया।

सूत्रों के अनुसार पवार ने सोनिया गांधी को दिग्विजय सिंह के माध्यम से यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस ने भी किसानों का कर्ज माफ करने का सारा श्रेय खुद ही लेने की कोशिश की, जबकि कृषि मंत्री होने के नाते इसका श्रेय उनको भी दिया जाना चाहिए। इस मामले को ले कर जितनी खींचतान दोनों पार्टियों के बीच दिल्ली में चल रही है, उससे कहीं ज्यादा महाराष्ट्र में हो रही है और इसके बावजूद हो रही है कि एनसीपी और कांग्रेस दोनों सरकार में सहयोगी हैं।

पवार से पहले से छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले कांग्रेस के नेता और भूतपूर्व शिव सैनिक नारायण राणे का कहना है कि किसानों का कर्ज माफ कराने में शरद पवार का कोई योगदान नहीं है और कांग्रेस के बाकी नेता भी यही कह रहे हैं कि पवार बेगानी शादी में अबदुल्ला दीवाना, बनने की कोशिश कर रहे हैं।

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