आलोक तोमर को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते. उनके वारे में वहुत सारे किस्से कहे जाते हैं, ज्यादातर सच और मामूली और कुछ कल्पित और खतरनाक. दो बार तिहाड़ जेल और कई बार विदेश हो आए आलोक तोमर ने भारत में काश्मीर से ले कर कालाहांडी के सच बता कर लोगों को स्तब्ध भी किया है तो दिल्ली के एक पुलिस अफसर से पंजा भिडा कर जेल भी गए हैं. वे दाऊद इब्राहीम से भी मिले हैं और रजनीश से भी. वे टी वी, अखबार, और इंटरनेट की पत्रकारिता करते हैं.

Wednesday, March 12, 2008

राज्य सभा में झा क्यों और शॉटगन क्यों नहीं?




Dateline India News Service, 12th March, 2008
राज्य सभा में झा क्यों और शॉटगन क्यों नहीं?
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 12 मार्च-भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और भावी प्रधानमंत्री घोषित कर दिए गए लाल कृष्ण आडवाणी के बीच वर्चस्व की लड़ाई में राज्य सभा से शत्रुघ्न सिन्हा का नाम कट गया। बिहार ही नहीं, पूरे देश में शॉटगन के नाम से लोकप्रिय शत्रुघ्न सिन्हा ने इस बारे में पहला बयान यह दिया है कि लोग तो मुझे लोक सभा में भी ले आएंगे मगर जब उनसे पूछा गया कि क्या वे भाजपा की ओर से ही चुनाव लड़ेंगे, तो उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

संकेत साफ है कि भाजपा ने अपना एक सितारा खो दिया है। केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके शत्रुघ्न सिन्हा से उनसे राज्य सभा सीट छीन कर कांग्रेस से भाजपा में आए सी पी ठाकुर को पार्टी ने मनोनीत किया है। इससे पार्टी मेें काफी नाराजगी है। ठाकुर जब भाजपा में आए थे, तब भी संघ परिवार और भाजपा के खिलाफ दिए गए उनके बयानों के दस्तावेज जारी किए गए थे। संयोग से ठाकुर भूमिहार हैं और सिन्हा कायस्थ। बिहार में कायस्थों की तुलना में भूमिहार वोट बैंक कम-से-म पच्चीस गुणा बड़ा है।

भाजपा ने राज्य सभा के लिए अपने चौदह उम्मीदवारों की जो सूची घोषित की है, वह कम चौंकाने वाली नहीं है। महाराष्ट्र से प्रमोद महाजन की उंगली पकड़ कर राजनीति में आए प्रकाश जावेड़कर को टिकट दे दिया गया है, जबकि पार्टी की राज्य इकाई प्रमोद महाजन की विधवा रेखा महाजन को राज्य सभा में लाने के पक्ष में थी। गुजरात में केशु भाई पटेल का नाम एक सोची-समझी रणनीति के तहत खुद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रस्तावित किया था और राजनाथ सिंह ने इस पर मोहर भी लगा दी थी। लेकिन इस पर चली गुजरात से ही लोकसभा के सांसद लाल कृष्ण आडवाणी की।

मध्य प्रदेश में पार्टी ने प्रभात झा को उम्मीदवार बनाया है। इसे ले कर पार्टी की तीसरी पीढ़ी में बहुत खलबली है। प्रभात झा बिहार के रहने वाले हैं और ग्वालियर से प्रकाशित दैनिक स्वदेश में पत्रकार की हैसियत से और मध्य प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता के रूप में काम कर चुके हैं। इस समय वे पार्टी के अखिल भारतीय सचिव हैं और छत्तीसगढ़ के अलावा उत्तर-पूर्वी राज्यों में उन्हें कई बार महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गईं।

यहां यह महत्वपूर्ण है कि मध्य प्रदेश से पार्टी के बुजुर्ग नेता और अटल बिहारी वाजपेयी के अंतरंग मित्र कैलाश सारंग के अलावा दैनिक स्वदेश के प्रधान संपादक राजेंद्र शर्मा भी राज्य सभा में आने की दौड़ में थे। उमा भारती की बगावत के दौरान श्री शर्मा ने अपने अखबार के जरिए भाजपा का खुल कर साथ दिया था। श्री शर्मा पत्रकारिता में अटल बिहारी वाजपेयी के गुरु रहे स्वर्गीय माणिक चंद वाजपेयी के शिष्य और उत्तराधिकारी हैं और लगता नहीं कि श्री वाजपेयी से उनके गृह प्रदेश के राज्य सभा उम्मीदवारों के बारे में पूछा भी गया हो।

ब्रिटिश किशोरी की हत्या में एक दरोगा भी
डेटलाइन इंडिया
पणजी (गोवा), 12 मार्च-ब्रिटिश किशोर पर्यटक स्कारलैट कीलिंग की हत्या के मामले में अब गोवा पुलिस का एक अधिकारी भी गिरफ्तार होगा। इस बात के पूरे सुबूत मिल गए हैं कि इस अधिकारी ने जान-बूझकर स्कारलैट की हत्या को दुर्घटना साबित करने की कोशिश की और बलात्कार को पुलिस रिपोर्ट में शामिल होने से हर तरह से रोका।

यह पुलिस अधिकारी एक सब इंसपेक्टर है और गोवा के मशहूर बीच अंजूना के थाने में तैनात है। नेरियन अलबुकर्क नाम के इस सब इंसपेक्टर ने न सिर्फ सुबूतों से छेड़छाड़ की, बल्कि स्कारलैट का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर को भी धमकाया और एक तरह से रिपोर्ट वही लिखने के लिए कहा, जो यह दरोगा चाहता था। अलबुकर्क स्कारलैट की हत्या के आरोप में गिरफ्तार डिसूजा का खास दोस्त है और पिछले वर्ष विदेशी सैलानियों के एक दल ने जब डिसूजा के खिलाफ छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज करवाई थी, तो अलबुकर्क ने उनमें से दो युवतियों को पूछताछ के लिए होटल के एक कमरे में ले जा कर उनसे छेड़छाड़ की थी।

वर्तमान मुख्यमंत्री दिगंबर कामत के निजी सुरक्षा घेरे में रह चुके इस दरोगा की गोवा पुलिस में काफी दादागीरी चलती है। गोवा के भूतपूर्व पुलिस महानिदेशक आमोद कंठ ने दिल्ली में बताया कि वहां अपराधियों और पुलिस के बीच निचले स्तर पर सांठगांठ के बहुत किस्से सामने आते हैं क्योंकि पुर्तगाली समुदाय के लोग पुलिस में भी हैं और अपराधियों में भी सबसे बड़ी संख्या उन्हीं की है।

स्कारलैट का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने लिख कर शिकायत की है कि इस लड़की को कई लोगाें ने मौके पर ही पहचान लिया था, लेकिन अलबुकर्क ने उसे लावारिस कह कर ही अस्पताल के रजिस्टर में पंजीकृत करवाया। इसके अलावा उसने डॉक्टर को धमकी दी कि इसे सिर्फ दुर्घटना का मामला मान कर जांच की जाए, वरना डॉक्टर को भी पुलिस के हाथों दिक्कत हो सकती है।

अस्पताल में मौजूद पुलिस डायरी में इस दुर्घटना की सूचना से संबंधित वायरलैस रिकॉर्ड दर्ज ही नहीं किए गए और साफ-साफ शब्दों में यह लिखा गया कि वे गवाह लाओ, जो इसे सेक्स हत्या का मामला सिध्द करने की गवाही देने के लिए तैयार हों। दरोगा ने यह भी कहा कि एक नहीं, एक दर्जन गवाह मैं इस बात के ला दूंगा। स्कारलैट के दूसरे पोस्टमार्टम में साबित हो गया कि उसके साथ बलात्कार भी हुआ था, उसने ड्रग्स और शराब पी रखी थी और उसके शरीर पर कुल मिला कर चौबीस घाव थे।

प्रतिभा पाटिल बंगलुरु क्यों नहीं गईं?
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, बंगलुरु 12 मार्च-कर्नाटक में भले ही फिलहाल राष्ट्रपति शासन है, मगर बंगलुरु के नए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उदघाटन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल की बजाय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से कराए जाने की संभावना है। राजभवन के सूत्रों के अनुसार राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर खुद सोनिया गांधी से उदघाटन कराना चाहते हैं और इसके लिए भाजपा के कुछ नेता उन पर दलगत राजनीति करने का आरोप भी लगा रहे हैं।

बंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के उदघाटन की अभी कोई पक्की तारीख तय नहीं है मगर इसका उदघाटन 30 मार्च को किए जाने की काफी संभावनाएं बताई जा रही है। इससे पहले हैदरबाद के हवाई अड्डे का उदघाटन 14 मार्च को ही हो जाएगा। नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संयुक्त सचिव के एन श्रीवास्तव ने बताया है कि अभी मंत्रालय की तरफ से इस हवाई अड्डे के उदघाटन के बारे में कोई अंतिम फैसला होना बाकी है।

मगर इस हवाई अड्डे के बहाने राज्यपाल पर जो आरोप लग रहे हैं, उससे कांग्रेस जरूर मुसीबत में फंस सकते हैं। इससे पहले उन पर राज्य के मुख्य सचिव को पद से बिना किसी ठोस वजह के हटाने के आरोप लगे थे और नया मुख्य सचिव चीन में भारतीय राजदूत निरुपमा रॉव के पति को बनाया गया हैं। भाजपा ने तो रामेश्वर ठाकुर पर यह भी आरोप लगाया था कि उन्होंने 10, जनपथ के इशारे पर यह बदलाव किया था। राजभवन के अधिकारियों का कहना है कि राज्यपाल पर उंगली उठाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि मुख्य सचिव के पद पर बदलाव जरूरी होने पर ही किया गया है।

उधर बंगलुरु के नए हवाई अड्डे के खुलने में लगातार हो रही देरी से नागरिक उड्डयन मंत्रालय भी कुछ हद तक परेशान है। बताया जा रहा है कि अभी हवाई अड्डे को सुरक्षा की दृष्टि से औपचारिक रूप से हरी झंडी मिलना बाकी है और ऐसा इसीलिए हो रहा है क्योंकि एयर टै्रफिक को नियंत्रित करने के लिए एटीसी में कम-से-कम बीस और लोगों की जरूरत है।
संजय-मान्यता का विवाह अवैध निकला
डेटलाइन इंडिया
मुंबई, 12 मार्च-हालांकि सुनवाई पहली अप्रैल को होगी, लेकिन संजय दत्त और मान्यता की शादी को अवैध मानने के लिए सारे सुबूत मौजूद हैं। गोवा में शादी रजिस्टर करवाने में धोखाधड़ी की पोल खुल जाने के बाद अर्जी वापस लेने पर अभी फैसला हुआ नहीं है और मुंबई में हिंदू रीति से की गई शादी कानूनी रूप से मान्य नहीं है।

हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार विवाह की तिथि को पति और पत्नी दोनों को हिंदू होना चाहिए। मान्यता ने कभी इस्लाम से हिंदू धर्म अपनाने की रस्म अदा नहीं की। यह बात वे खुद भी स्वीकार कर चुकी हैं। दरअसल मान्यता अपने वैवाहिक जीवन को ले कर एक के बाद एक झूठ बोलती आ रही हैं। पहले जब मैराजुद्दीन ने कहा कि मान्यता दरअसल उनकी पत्नी है तो मान्यता ने उन्हें पहचानने तक से इनकार कर दिया। फिर जब भूतपूर्व पति ने दावा और सुबूत पेश किए कि मान्यता जब दिलनशीं थी, तो उनके साथ बाकायदा निकाह हुआ था और कभी तलाक नहीं हुआ, तो मान्यता ने कहा कि मैंने तलाक का नोटिस भेजा था, मगर मैराजुद्दीन ने लेने से ही इनकार कर दिया।

मलतब साफ है कि तलाक कभी हुआ ही नहीं। मान्यता और मैराज का एक बेटा भी है, जो अपनी नानी के साथ रहता है। मैराज उस बेटे को अदालत में पेश करके डीएनए परीक्षण करवाने के लिए भी राजी है क्योंकि जब तलाक हो चुकने का दावा मान्यता कर रही हैं, बेटा उसके बाद पैदा हुआ। जिंदगी और शादी दोनों मामलों में अभागे साबित होते आए संजय दत्त के लिए यह एक और बड़ा झटका साबित होने वाला है। गोवा गुटका के मालिकों को डी कंपनी से मिलवाने का बयान और उस पर जांच अभी चालू है और हो सकता है कि इस सिलसिले में संजय दत्त को भी तलब किया जाए।

मान्यता ने संजय दत्त के प्रति समर्पण का चाहे जितना प्रमाण दिया हो, लेकिन दत्त परिवार को वे कभी पसंद ही नहीं आईं। उनकी शादी में भी संजय की बहनें और बहनोई भी शामिल नहीं हुए और पहले से इस रिश्ते का विरोध कर रही बेटी त्रिशला ने अमेरिका से फोन पर बयान दे कर कहा कि मेरे पिता जिसमें खुश रहें, उसमें ही मेरी खुशी है, लेकिन मुझे अपनी मां के अलावा किसी और को मां मानने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

झारखंड में डॉन बृजेश का इंतजार
डेटलाइन इंडिया
धनबाद, 12 मार्च-दिल्ली और उत्त्तर प्रदेश पुलिस के साथ-साथ झारखंड पुलिस भी माफिया डॉन बृजेश सिंह का इंतजार कर रही है। बृजेश सिंह पर झारखंड के एक विधायक और एक विधायक के बेटे की हत्या करने का आरोप है। बृजेश सिंह पर चूंकि ग्यारह राज्यों में मुकदमे दर्ज है और उसे इसी महीने की 24 तारीख को मुंबई से दिल्ली लाया जाना है, तो हो सकता है कि झारखंड पुलिस को अभी उसका और इंतजार करना पड़े।

पुलिस अधीक्षक शीतल ओरौन का कहना है कि बृजेश सिंह से झरिया से राष्ट्रीय जनता दल के विधायक रहे राजू यादव और झरिया के विधायक कुंती सिंह के बेटे राजीव रंजन सिंह की हत्या के संबंध में पूछताछ की जानी है। बृजेश सिंह के बारे में कहा जाता है कि कोयलों की खदान के लिए मशहूर झरिया में उसका काफी दबदबा था और यहां वह कोयला खदानों के मालिकों से वसूली किया करता था।

पुलिस के अनुसार बृजेश सिंह 1990 के आसपास धनबाद आया था और वह झरिया के विधायक सूर्यदेव सिंह के घर में रहा करता था। बृजेश सिंह पर झारखंड में छह हत्याओं में शामिल होने का आरोप है। यह बात अलग है कि बृजेश सिंह ने धनबाद में कांग्रेस के नेता सुरेश सिंह ने कोलकाता में राजीव रंजन को मरवाया था। झारखंड पुलिस के सूत्रों के अनुसार बृजेश सिंह ने मुंबई पुलिस को पूछताछ में आरजेडी नेता राजू यादव की 1989 में मुगलसराय में हत्या करने की बात स्वीकारी है। हालांकि इसकी पुष्टि मुंबई पुलिस ने कभी नहीं की है।

मुंबई की अदालत ने माफिया बृजेश सिंह को मुंबई से दिल्ली लाने के लिए एक मामले में नया पेशी वारंट जारी किया है। अदालत ने मुंबई के आर्थर रोड जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि बृजेश को 24 मार्च को तीस हजारी अदालत में पेश किया जाए। अदालत में यूपी पुलिस की ट्रांजिट रिमांड की अर्जी को विचाराधीन रखा गया है। बृजेश को सोमवार को तीस हजारी न्यायालय स्थित अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कंवलजीत अरोड़ा की अदालत में पेश किया जाना था। मुंबई के आर्थर जेल से नहीं आने से उसे अदालत में पेश नहीं किया गया। आखिर अदालत ने पुन: प्रोडक्शन वारंट जारी किया है। बृजेश पर दिल्ली में लोधी कॉलोनी निवासी एक व्यवसायी को धमकाकर पचास लाख फिरौती मांगने का आरोप है।

भारतीय हॉकी कोच का पैसा हजम
डेटलाइन इंडिया
मुंबई, 12 मार्च-अस्सी साल में पहली बार ओलंपिक में प्रवेश पाने से चूकने वाली भारतीय हॉकी टीम के कोच जाओकिम कार्वाल्हो के लिए यह हार सबसे ज्यादा नुकसानदायक साबित हुई है। बंबई हॉकी एसोसिएशन ने तो कार्वाल्हो को दिए जाने वाला सवा लाख रुपए का पुराना इनाम भी देने से इनकार कर दिया है।

हालांकि कार्वाल्हो को एक लाख पच्चीस हजार रुपए उनकी कोचिंग में भारतीय टीम द्वारा दर्ज की गई इससे पहले की जीतों के बाद देने की घोषणा की गई थी। मगर एसोसिएश ने अब इस इनाम को इस हार से जोड़ दिया है और उन्हें यह इनामी राशि देने से साफ इनकार कर दिया है। हालांकि एसोएिशन के सचिव केहर सिंह इसके पीछे एक और वजह भी बता रहे हैं। सिंह का कहना है कि कार्वाल्हो की वजह से एसोएिशन को लगभग एक लाख रुपए का नुकसान हुआ था।

श्री सिंह के अनुसार बंगलुरु में भारतीय हॉकी टीम का कार्वाल्हो के निरीक्षण में दो दिन का शिविर चल रहा था और तब बंबई हॉकी एसोसिएशन ने 350 रुपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से लगभग तीन सौ मेहमानों के लिए एक समारोह आयोजित किया था। इस समारोह में कार्वाल्हो के साथ टीम को भी आना था। मगर श्री सिंह का कहना है कि कार्वाल्हो न तो खुद आए और न ही उन्होंने खिलाड़ियों को समारोह में शामिल होने दिया। इस वजह से मुश्किल से समारोह में सौ मेहमान जुटे और एसोसिएशन को इतना बड़ा नुकसान झेलना पड़ा। श्री सिंह का कहना है कि जब तक कार्वाल्हो अपनी इस गलती के लिए उनके पास खुद आ कर माफी नहीं मांगते, उन्हें इनाम की रकम नहीं मिलने वाली।

मतलब साफ है कि एसोसिएशन के मन में अब बेईमानी आ गई है। वैसे एसोसिएशन ने कार्वाल्हो के अलावा मुंबई के तीन खिलाड़ियों एड्रियन डिसूजा, शिवेंद्र सिंह और गुरबज सिंह को भी एक-एक लाख रुपए इनाम देने का जो वायदा किया था। इनमें से एड्रियन को छोड़ कर बाकी दोनों खिलाड़ियों को भी कार्वाल्हो की तरह ही इनाम की राशि नहीं मिली है। मगर श्री सिंह का कहना है कि वे शिवेंद्र और गुरबरज को इनामी राशि दे देंगे, मगर कार्वाल्हो इसके अब बिल्कुल हकदार नहीं हैं।
भारतीय सेना का एक तस्कर जवान
डेटलाइन इंडिया
कांगड़ा, 12 मार्च-कांगड़ा पुलिस के हत्थे भारतीय सेना का एक जवान चढ़ ही गया। जवान पिछले अरसे से तस्करी कर रहा था। चन्द सिक्कों की खातिर देश की सुरक्षा करने वाले हाथ नशे के सौदागर बन गये। मामला मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में हिरासत में लिये गये एक सैनिक का है।

हमीरपुर के बिझड़ी इलाके में राजकुतार के घर भी पुलिस ने छापेमारी की है। सेना में तैनात राजकुमार की पोल खुलने से लोग हैरान हैं। इस मामले में पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सरगना निसार अहमद को जम्मू काशमीर के अनंतनाग में हिरासत में ले लिया है। पुलिस ने उसे पकड़ने के लिये उसके साथियों का ही सहारा लिया था। निसार बड़े पैमाने पर नशे का कारोबार करता था। बताया जाता है कि पुलिस ने उसे सात मार्च को गई ढ़ाई करोड़ की खेप की रकम लेने के लिये उसके साथी के माध्यम से बुलाया गया। व वहीं पुलिस ने दबोच लिया।

कांगड़ा के एस एस पी अतुल फुलझले ने बताया कि निसार अहमद पुत्र अब्दुल गनी जो कि चकोरा अनंतनाग का बाशिन्दा है। को बीते दिन कांगड़ा जिला के डमटाल में पुलिस ने गिरफतार किया। वह पुलिस रिमांड पर है। प्रदेश में नशे के कारोबारियों को पकड़ने के लिये इनसे पूछताछ की जा रही है। पुलिस को विशवास है कि इन्ही लोगों के माध्यम से दूसरे लोगों तक पहुंचा जा सकेगा। काबिले गौर है कि पुलिस ने डमटाल में लगाये नाके के दौरान बड़ी मात्रा में एक टाटा सूमों से कोकीन,हेरोइन व ब्राउन शूगर की बड़ी खेप पकड़ी थी। इस मामले में एक फौजी सहित दो ओर लोगों को हिरासत में लिया गया। सेना का जवान राजकुमार हमीरपुर के बड़सर का है।

तो चालक संजय पखरोल का है। उनका दूसरा साथी संजस नादौन का है। पूछताछ में पता चला है कि राजकुमार भारतीय सेना में श्रीनगर में तैनात है। यहीं से इसके तार अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सरगना निसार अहमद से जुड़े। सेना की वर्दी का सहारा लेकर तस्करी करने की योजना बनाई गई। व धंधा चल निकला। यह लोग हिमाचल तक पहुंच गये। निसार के मुताबिक उसने करीब तीन करोड़ की कोकीन,स्मैक हेरोइन बेचने के लिये भेजी थी। निसार सात दिन के पुलिस रिमांड पर है। उससे कड़ी पूछताछ की जा रही है।

राजनीति में जब पत्थर चलते हैं
अवधेश कुमार
संघ परिवार एवं माकपा, बल्कि समस्त वाम दलों के बीच वैचारिक संघर्ष नई बात नहीं है, लेकिन राजधानी दिल्ली में माकपा मुख्यालय के सामने जो कुछ हुआ, उसकी किसी ने भी कल्पना नहीं की होगी। अब संसद एवं उसके बाहर माकपा एवं भाजपा आमने-सामने हैं तथा शेष दल राजनीतिक समीकरणों के अनुसार अपनी भूमिका निभा रहे हैं। जाहिर है, कांग्रेस माकपा के साथ है। संप्रग के शेष दल भी उसके साथ खड़े नजर आ रहे हैं। वास्तव में जो स्थिति बन गई है, उसमें निकट भविष्य में युध्द-विराम की संभावना दिखाई नहीं पड़ती।

केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने जो बयान दिया, उससे माकपा मुख्यालय पर प्रदर्शन करने गए संघ एवं भाजपा के नेता-कार्यकर्ता दोषी प्रतीत होते हैं। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, पर भाजपा सदस्यों के खिलाफ उनके कड़े तेवर से साफ संदेश निकल रहा था। पुलिस ने जिन पंद्रह लोगों को गिरफ्तार किया, वे सभी संघ एवं भाजपा के लोग हैं। प्राथमिकी में इन पर दंगा भड़काने, सरकारी अधिकारी के काम में बाधा डालने एवं बिना पूर्व अनुमति के प्रदर्शन करने का आरोप लगाया गया है।

इस आधार पर दोषी प्रदर्शनकारी ही दिखते हैं। किंतु कुछ टीवी फुटेज में माकपा कार्यालय से भी पत्थर चलते देखे जा सकते हैं। यदि माकपा के दस नेता-कार्यकर्ता घायल हुए, तो बारह प्रदर्शनकारी भी घायल हुए हैं। साफ है कि घटना एकपक्षीय नहीं थी। संघर्ष दोतरफा था। गिरफ्तार होने वालों में भाजपा के छह पार्षद एवं दो पूर्व विधायक हैं। जो अन्य लोग हैं, उनका भी आपराधिक या मारपीट तक का रिकॉर्ड नहीं है। इसलिए ये हमले की योजना बनाकर प्रदर्शन करने गए होंगे, यह बात गले नहीं उतरती। अव्वल तो हमला करने वाले गाड़ियों से सज-धजकर नहीं जाते! फिर किसी भी गाड़ी से ऐसी कोई आपत्तिजनक वस्तु बरामद नहीं हुई, जिनसे हिंसा की पूर्व योजना प्रमाणित की जा सके।

किंतु यह सब जो घटित हुआ, इस घटना के केवल स्थूल पहलू हैं। पहली नजर में ऐसा लगता है कि केरल के कुन्नूर की राजनीतिक लड़ाई अब राजधानी दिल्ली पहुंचकर एक विकृत मोरचेबंदी में तब्दील हो रही है। कुन्नूर में पांच मार्च से आरंभ हिंसा में सात लोगों की हत्या हुई है, जिसमें संघ-भाजपा के छह एवं माकपा का एक कार्यकर्ता शामिल हैं। दुर्भाग्य देखिए कि दिल्ली के शोर में केरल की हिंसा दब गई है या उसे दबाने की कोशिश की जा रही है।

केरल की वस्तुस्थिति को सिर्फ दो उदाहरणों से समझा जा सकता है। छह मार्च की घटना में कुन्नूर के थालास्सेरी क्षेत्र में सुमेश नामक 40 वर्षीय भाजपा कार्यकर्ता को चाकुआें से बुरी तरह जख्मी कर दिया गया था। पुलिस ने बयान दिया कि हमलावरों के माकपा कार्यकर्ता होने का संदेह है। तीन बजे दिन में यह घटना घटी और उसके बाद जगह-जगह संघर्ष आरंभ हो गया। भाजपा एवं संघ कार्यकर्ताओं ने इसके 15 मिनट बाद ही गुस्से में राजिंथ नामक एक ऑटो चालक को इतना मारा कि वह अस्पताल जाते-जाते मर गया। आठ मार्च को थालास्सेरी क्षेत्र के थिरुवंगड में एक 65 वर्षीय संघ कार्यकर्ता को घर में घुसकर चाकू घोंप दिया गया। स्थानीय लोगों ने कहा कि वे माकपा के कार्यकर्ता थे। केरल से ऐसी हिंसा की खबरें रोज आ रही हैं। ताजा क्रम पांच मार्च से आरंभ हुआ, लेकिन हमले व टकराव की लंबी सूची है।

कांग्रेस दिल्ली में माकपा के साथ अवश्य खड़ी है, किंतु प्रदेश में उसके नेतृत्व वाला युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट कुन्नूर हिंसा के संदर्भ में राज्य सरकार के विरुध्द धरना-प्रदर्शन कर रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रमेश चेन्नीथला ने नौ मार्च को कुन्नूर में आयोजित एकदिवसीय उपवास कार्यक्रम में कहा कि माकपा के नेतृत्व वाली वाम लोकतांत्रिक मोरचा की सरकार जब-जब शासन में आई है, कुन्नूर में राजनीतिक हत्याएं एवं हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ओम्मन चांडी एवं चेन्नीथला, दोनों ने माकपा पर ठीक वैसा ही तीखा हमला किया, जैसा दिल्ली में भाजपा एवं संघ के नेता कर रहे हैं। चेन्नीथला ने कहा कि वाम मोरचे के शासन में पुलिस के लिए निष्पक्ष एवं साथ-सुथरे तरीके से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन लगभग असंभव हो गया है एवं लोगों में कानून और प्रशासन को लेकर अविश्वास बढ़ा है। यही आरोप भाजपा एवं संघ का भी है। पता नहीं, कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री की बातें सुन भी रही है या नहीं। वास्तव में कुन्नूर के अलावा भी यदि हाल की कुछ खबरों पर नजर दौड़ाएं, तो ऐसी हिंसा की एक पूरी शृंखला बन जाएगी। लेकिन इससे बड़ी विडंबना क्या होगी कि दिल्ली के दु:खद प्रसंग से केरल की भयावह वस्तुस्थिति ओझल हो रही है।

माकपा के लिए दिल्ली प्रसंग को सर्वप्रमुख मुद्दा बनाए रखने में लाभ यह है कि इससे केरल की भयावह घटनाओं से ध्यान हटा रहेगा। कांग्रेस इसमें सरकार को वाम समर्थन का ऑक्सीजन कुछ दिन और मिलने की संभावना देख रही है। शवों और खून पर ऐसी ओछी राजनीति से बड़ी त्रासदी और कुछ नहीं हो सकती । माकपा भूल रही है कि केरल में उसकी सरकार होने के नाते वैचारिक विरोधी हों या समर्थक, सबकी जानमाल की रक्षा का दायित्व उसका है। आखिर खुलेआम लोग लड़ रहे हैं, संघर्ष में घायल अस्पताल पहुंच रहे हैं, हत्याएं हो रही हैं, तो यह किसकी विफलता है?

यदि माकपा के भी कार्यकर्ता मारे गए, तो यह अंतत: कानून के राज का विफल होना ही है। उसके शासन में आने के साथ हिंसा और खून का बर्बर दौर क्यों चल पड़ता है? माकपा को अपनी कार्यशैली पर आत्ममंथन करने की जरूरत है। जब माकपा कार्यालय पर संघर्ष की खबर सुर्खियों में थी, उसी समय केरल में भाजपा कार्यालयों पर हमले की खबर भी आई। आझिकोड से खबर थी कि करीब 50 माकपा कार्यकर्ता नारा लगाते भाजपा कार्यालय में घुस गए, वहां तोड़फोड़ की एवं फर्नीचर में आग लगा दी।

यह आश्चर्य की बात है कि केरल के गृह मंत्री कोडियेरी बालाकृष्णन शांति वार्ता कर रहे हैं और दूसरी ओर ये घटनाएं घट रही हैं। दिल्ली में शायद हमें पता नहीं हो, लेकिन चेंगारा में लगभग वैसा ही संघर्ष चल रहा है, जैसा नंदीग्राम में। सरकार ने कुछ ही दिनों पहले आंदोलनकारियों पर मानवाधिकार के छद््म वेश में नक्सली एवं माओवादी होने का आरोप लगाया। चूंकि सत्ता की कुत्सित राजनीति में ज्यादातर राजनीतिक दलों के लिए संघ अस्पृश्य है, इसलिए उसके समर्थन में कोई न आए, लेकिन कहीं ऐसा न हो कि केरल में भी पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम एवं सिंगूर की तरह ऐसे फोड़े सामने आएं, जिनका पक्ष लेना अन्य राजनीतिक दलों के लिए मुश्किल हो जाए। हिंसा किसी पक्ष द्वारा हो, उसका बेहिचक विरोध होना चाहिए। दिल्ली में तलवारें खींचकर केरल की हिंसा से आंखें मोड़ना वाकई दुर्भाग्यपूर्ण होगा।

बहन जी की कर्नाटक में दिलचस्पी

डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 12 मार्च-कर्नाटक में पहले से ही विधानसभा चुनाव को देर से कराने पर तुली कांग्रेस को अब इस मामले में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती का साथ भी मिल गया है। मायावती ने तो कांग्रेस से भी एक कदम आगे बढ़ते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिख कर अपील की है कि कर्नाटक में जल्दबाजी में चुनाव कराने की घोषणा न की जाए।

मायावती ने उनका कहना है कि वहां कई लाख मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं। इसलिए तसल्ली से मतदाता पहचान पत्र और मतदाता सूची की समीक्षा की जाए। दरअसल मायावती सवर्ण-दलित गठजोड़ के जरिए अब दक्षिण भारत के राज्यों में भी अपना जनाधार बढ़ाने की सोच रही हैं। माना जा रहा है कि ऐसे में कर्नाटक जहां अगला विधानसभा चुनाव होना है उसे वह इम्तिहान के तौर पर ले रही हैं। कर्नाटक ऐसा राज्य हैं जहां अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति और आदिवासी समुदाय की आबादी 23 फीसदी है। इस लिहाज से कर्नाटक में होने वाला चुनाव दक्षिण भारत के राज्यों में बसपा का जनाधार बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है। नए परिसीमन के हिसाब से राज्य में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति कोटे की 13 सीटें बढ़ी हैं। जाहिर है बसपा बढ़ी हुई सीटों का राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है।

दूसरी तरफ कांग्रेस भी यही चाहती है कि चुनाव नए परिसीमन के हिसाब से हो। मकसद साफ है एससी-एसटी के लिए बढ़ी सीटों का फायदा उठाने की कोशिश। उसका मानना है कि कर्नाटक में जल्द चुनाव होने से भाजपा को सहानुभूति वोट मिल सकता है। क्योंकि, जनता दल (से) की हिमायत से बनी येदियुरप्पा सरकार एक सप्ताह में गिर गई थी। पार्टी की कोशिश है कि वहां राष्ट्रपति शासन के जरिए इस लहर को खत्म किया जाए। दूसरे नए परिसीमन से चुनाव की मांग कर वह खुद को दलित हिमायती साबित करना चाहती है। जबकि भाजपा बार-बार चुनाव आयोग से यह मांग कर रही है कि कर्नाटक में तय समयानुसार मई में ही विधानसभा चुनाव कराए जाएं।

अब नौसेना का सेतुसमुद्रम को समर्थन
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली, 12 मार्च-सेतुसमुद्रम का भविष्य तो अब सुप्रीम कोर्ट के हवाले है, मगर नौसेना प्रमुख एडमिरल सुरीश मेहता ने पहले ही साफ कर दिया है कि नौसेना को इस परियोजना पर कोई आपत्ति नहीं है।

नौसेना प्रमुख एडमिरल सुरीश मेहता ने पाकिस्तान के साथ समुद्री सहयोग पर चल रही बातचीत को संतोषजनक बताया है। एडमिरल ने कहा कि हॉटलाइन स्थापित होने से समस्याओं को हल करने में मदद मिल रही है। विमानवाहक पोत गोर्शकोव के गतिरोध पर उन्होंने कहा इसके लिए हमें थोड़ी अधिक कीमत देनी पड़ सकती है। इसके अलावा सेतुसमुद्रम परियोजना को उन्होंने देश के हित के साथ भी जोड़ा।

एडमिरल मेहता ने कहा कि सेतुसमुद्रम परियोजना नौसेना के लिए कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा इस कैनाल के बनने के बाद जहाजों को कम दूरी भी तय करनी पड़ेगी। इससे समय की भी बचत होगी। नौसेनाध्यक्ष का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे पहले नौसेना के शीर्ष अधिकारियों ने इस परियोजना को सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील बताया था। उन अधिकारियों ने कहा था कि कैनाल के आरंभ हो जाने के बाद क्षेत्र में पोतों की गतिविधियां बढ़ जाएंगी। सभी पोतों पर नजर रखना आसान नहीं होगा और इससे समस्याएं बढ़ेंगी।

एडमिरल सुरीश मेहता ने गोर्शकोव पर भी अपनी पहले से अलग राय रखी। जब उनसे विमानवाहक पोत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा इसके लिए कुछ और राशि देनी होगी। इस राशि को तय करने के लिए सरकार ने एक समिति गठित कर दी है। जबकि इससे पहले एडमिरल गोर्शकोव की राशि बढ़ाए जाने से बिल्कुल सहमत नहीं थे। इसके बाबत वह रूस के साथ रक्षा संबंधों की समीक्षा किये जाने तक की बात कह चुके हैं। वहीं पाकिस्तान के साथ समुद्री सहयोग के मद््देनजर उन्होंने संतोष जताया। कहा हम मिलकर धीरे-धीरे सभी गतिरोध दूर करेंगे। नौसेना अध्यक्ष ने कहा सहयोग प्रक्रिया के तहत जब से हॉटलाइन स्थापित हुई है दोनों देशों को काफी आसानी हुई है। इसके चलते हर साल जब्त हो जाने वाली नौकाओं की संख्या में कमी आई है।

राज्य सभा की चिंता में सोनिया गांधी
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नई दिल्ली, 12 मार्च-मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास ज्यादातर नेता इस उम्मीद में पहुंचे थे कि श्रीमती गांधी उनकी लोकसभा चुनाव तय समय से पहले कराने की अपील मान लेंगी। मगर इससे पहले कि ये नेता कुछ कह पाते, सोनिया गांधी ने घोषणा कर दी कि चुनाव तय समय ही होंगे और यह भी साफ हो गया कि पार्टी आलाकमान को फिलहाल राज्य सभा चुनावों की चिंता ज्यादा है।

चुनाव तैयारियों में जुटने की हिदायत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी सांसदों को डिनर दिया। इसमें प्रधानमंत्री और कई केंद्रीय मंत्रियों सहित ज्यादातर सांसदों ने हिस्सा लिया। पार्टी आलाकमान संसद सत्र के दौरान सांसदों को खाने पर बुलाती रही हैं पर इस बार इस डिनर को कई राज्यसभा सांसदों का फेयरवेल माना जा रहा है क्योंकि उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है। महाराष्ट्र से केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा, राज्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान और छत्तीसगढ़ से मोतीलाल वोरा को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। राजस्थान से महिला सांसद प्रभा ठाकुर भी अपनी दोबारा दावेदारी कर रही हैं।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल खुद को चुनाव के लिए तैयार मानते हैं। बकौल उनके, कांग्रेस अध्यक्ष की रैली से पूरे उत्तर प्रदेश और खुद उन्हें काफी फायदा होगा। बिहार से चुनाव जीतकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह पाने वाले शकील अहमद भी मैदान में उतरने को तैयार हैं। वह कहते हैं कि यूपीए सरकार की उपलब्धियां जीत की दहलीज तक पहुंचाने के लिए काफी हैं। नए परिसीमन में अपनी सीट गंवा चुके जतिन प्रसाद अलाकमान के भरोसे हैं, जहां से चुनाव लड़ाये। ये सांसद चुनाव लड़ने को तैयार हैं, पर पार्टी अध्यक्ष का मानना है कि तैयारी अभी से करो, चुनाव अगले साल होंगे।

कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में कई सांसद यह सोचकर पहुंचे थे कि पार्टी अध्यक्ष चुनाव को लेकर नसीहत देंगी और वे अपनी-अपनी परेशानियां बताएंगे लेकिन इसकी नौबत ही नहीं आई। कांग्रेस अध्यक्ष ने शुरू में ही साफ कर दिया कि लोकसभा चुनाव अगले साल होंगे। लेकिन साथ में यह भी जोड़ा कि तैयारी अभी से करो तभी सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जो नीतियां बनाईं और उन पर अमल किया उसका भरपूर प्रचार-प्रसार होना चाहिए। इस सिलसिले में कांग्रेस मुख्यालय में महाराष्ट्र, पूर्वोत्तर, कर्नाटक सहित कई राज्यों के पदाधिकारियों की बैठक हुई।


भाजपा में अब किताब युध्द शुरू

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नई दिल्ली, 12 मार्च-खुद को भावी प्रधानमंत्री मानने वाले लालकृष्ण आडवाणी आजकल बहुत उत्साहित हैं। आडवाणी के इस उत्साह का राज असल में उनकी एक हजार पन्नों और डेढ़ किलो की किताब है, जिसमें वे एक साथ कईयों को निपटाने वाले हैं। आडवाणी की आत्मकथा 'माई कंट्री माई लाइफ' का इंतजार सबसे ज्यादा उन जसवंत सिंह को हैं, जिन्होंने अपनी किताब में कांधार के कई सवाल उठाए थे और अब आडवाणी की किताब से उन्हें जवाब मिल सकते हैं।

लालकृष्ण आडवाणी की शीघ्र प्रकाशित होने वाली पुस्तक राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष जसवंत सिंह को एक नए विवाद में घसीट सकती है। विमान अपहरण और कंधार कांड पर जो शिगूफा 'ए कॉल टू ऑनर' के जरिए छोड़ा गया था, उसकी कलई आडवाणी की आत्मकथा 'माई कंट्री माई लाइफ' खोल सकती है। आडवाणी की आत्मकथा 'माई कंट्री माई लाइफ' इसी महीने प्रकाशित होने वाली है।

एक हजार पृष्ठ और डेढ़ किलो वजन वाली इस किताब में देश के विभाजन, आडवाणी के 60 सालों के राजनीतिक जीवन, आपातकाल, अयोध्या आंदोलन, आगरा वार्ता, कारगिल युद््ध, आतंकवाद, विमान अपहरण आदि से जुड़े अध्याय हैं। वाजपेयी और आडवाणी की मित्रता का जिक्र भी इस पुस्तक में है। इस पुस्तक का प्रकाशन रूपा पब्लिकेशन कर रहा है।

सूत्रों का कहना है कि आडवाणी की आत्मकथा राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष जसवंत सिंह को एक नए विवाद में घसीट सकती है। जसवंत सिंह ने जुलाई 2006 में अपनी पुस्तक ए कॉल टू ऑनर-एन सर्विस ऑफ इमरजेंट इंडिया के जरिए काफी विवाद पैदा कर दिया था। पुस्तक में विमान अपहरण और छोड़े गए तीन दुर्दांत आतंकवादियों के बारे में जो बातें थीं उन्हें लेकर यूपीए ने भाजपा पर जम कर प्रहार किए थे। साथ ही पीएमओ में मोल की बात भी किताब में की गई थी और बाद में राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने इस मुद््दे पर जसवंत सिंह को बैकफुट पर ला दिया था। उस पुस्तक से भाजपा की काफी छीछालेदर हुई थी।

सूत्रों के मुताबिक आडवाणी की पुस्तक माई लाइफ माई कंट्री में इन मुद््दों पर भी तर्क सहित लिखा गया है। विमान अपहरण और फिर दुर्दांत आतंकवादियों को कैसे और किन शर्तों के साथ छोड़ना पड़ा था इस पर आडवाणी ने जसवंत सिंह से अलग व्याख्या की है। इसी तरह पीएमओ में मोल के मुद््दे पर भी आडवाणी की अलग राय है। पुस्तक का प्राक्कथन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लिखा है। उन्होंने, आडवाणी को राष्ट्रीयता के मुद््दे पर अपने विचारों से समझौता नहीं करने वाला और राजनीतिक संकेतों और जरूरतों के लिहाज से लचीले रुख और उदार विचार का धनी बताया है। पुस्तक का विमोचन पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम करेंगे। माना जा रहा है कि इस किताब के जरिए एनडीए के पीएम इन वेटिंग उन रहस्यों से पर्दा उठाएंगे जिसकी वजह से उनकी कट््टर हिंदूवादी छवि बनी हुई है।

मुख्यमंत्री से टकराया एक आईजी
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चंडीगढ़, 12 मार्च-पंजाब के भावी मुख्यमंत्री कहे जाने वाले सुखबीर सिंह बादल से पंजा लड़ा कर फंसने वाले पंजाब के आईजी राजेंद्र सिंह गिरफ्तार होने से पहले ही अग्रिम जमानत लेने अदालत पहुंच गए हैं। राजेंद्र सिंह का कहना है कि उन्हें बादल सरकार झूठे मामले में फंसा कर कभी भी जेल भिजवा सकती है।

पठानकोट में आईजी काउंटर इंटेलिजेंस के पद पर रहे राजेंद्र सिंह की तरफ से कहा गया कि उन्हें रोपड़ जिले के भद््दल स्थित आईईटी भद््दल के प्रबंधन में हस्तक्षेप करने की शिकायत पर निलंबित किया गया है। उनका इस संस्थान से कोई लेना देना नहीं है। उनका भाई इस संस्थान का सदस्य है। पहले भी उनके खिलाफ इस मामले में जांच हुई थी लेकिन कुछ नहीं पाया गया था। इस बारे में उन्होंने पहले ही हाईकोर्ट में याचिका दायर कर किसी झूठे मामले में फंसाए जाने की आशंका जताई थी।

उन्होंने तीन आईजी स्तर के अधिकारियों सुरेश अरोड़ा, सुमेध सिंह सैनी और संजीव गुप्ता को पदोन्नति देकर एडीजीपी बनाने के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने इन पदोन्नतियों पर रोक लगाने का निर्देश दे रखा है। इसी रंजिश के चलते उन्हें निलंबित कर झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। ऐसे में उनकी इस मामले में गिरफ्तारी पर रोक लगाने के निर्देश दिए जाएं।

कश्मीर तक अब क्रिकेट का जलवा
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श्रीनगर, 12 मार्च-नई पीढ़ी के क्रिकेट देखने वाले लोगों को शायद यही पता होगा कि भारत का सबसे खूबसूरत क्रिकेट स्टेडियम कोलकाता का ईडन गार्डन है। लेकिन भारत और संभवत: दुनिया का सबसे खूबसूरत स्टेडियम धरती के स्वर्ग और हिमालय की गोद कश्मीर में है और अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो अगले दो सालों में यह स्टेडियम फिर से 24 सालों बाद अंतर्राष्ट्रीय मैचों का आयोजन कर सकेगा।

बीसीसीआई ने जम्मू क्रिकेट एसोसिएशन को 50 करोड़ रुपए देने का मन बनाया है, ताकि श्रीनगर के क्रिकेट स्टेडियम का कायाकल्प हो सके। जाहिर है, स्टेडियम का कायाकल्प होते ही वहां फिर से अंतरराष्ट्रीय मैच आयोजित हो सकेंगे। हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम बनाने में कम से कम दो साल लगेंगे। उसके बाद कश्मीर के लोग अपने चहेते खिलाड़ियों को कश्मीर में फिर से देख सकेंगे। श्रीनगर का शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम, शहर के बीचोंबीच होने के बावजूद नजारा ऐसा मानो प्रकृति की गोद में इसे बनाया और बिठाया गया है। चारों तरफ से ऊंचे-ऊंचे चिनार के पेड़ से घिरे स्टेडियम को देखकर लगता है, जैसे प्रकृति की देवी ने यहां पर अपना आंचल बिछा दिया है। लेकिन, पिछले कई सालों से यहां पर ना तो चौके और छक्के लगे हैं और ना ही तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई पड़ी है। अब दिन बहुरने की उम्मीद की जा रही है। पूर्व रणजी खिलाड़ी मंजूर अहमद डार ने बताया कि इस

स्टेडियम में अगर सुविधा उपलब्ध हो तो ये दुनिया का सबसे खूबसूरत स्टेडियम बन सकता है। यहां पर मीडिया सेल, ड्रेसिंग रूम, बाथरूम समेत अन्य सुविधाएं बहाल करने की जरूरत है। जम्मू कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन के महासचिव सलीम खान ने बताया कि स्टेडियम में निर्माण कार्य पिछले साल ही शुरू हो जाना था, सीआरपीएफ का कब्जा होने के कारण काम शुरू करने में बाधाएं आ रही थी। कश्मीर के मंडलायुक्त और क्रिकेट एसोसिएशन के चेयरमैन महबूब इकबाल ने सीआरपीएफ को स्टेडियम के बाहर बंकर बना कर दे दिया। अब स्टेडियम फ्री है और पिछले तीन महीनों से यहां मैदान बनाने का काम चल रहा है। मैदान को पूरी तरह खोद दिया गया है। चारों पिच से मिट््टी हटा दी गई है। दस दिनों के अंदर नई मिट््टी डालने का काम शुरू हो जाएगा।

इसके अलावा पिच की संख्या को बढ़कर पांच हो जाएगी। पिच और मैदान का निर्माण क्यूरेटर और पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी अब्दुल कयूम और बीसीसीआई के ग्राउंड एवं पिच निर्माण के चेयरमैन दलजीत सिंह की देखरेख में हो रहा है। मैदान पर एक हजार ट्रक मिट््टी डाली जाएगी। इसके अलावा अंडरग्राउंड सिंचाई के लिए पाइप लगाया जाएगा। इस काम के बाद जमीन पर घास बिछाई जाएगी, जो इंग्लैंड से मंगवाया जाना है। इतना काम तो एक से डेढ़ महीने के अंदर हो जाएगा। सलीम खान कहते हैं डेढ़ महीने में मैदान का काम पूरा हो जाएगा। उसके बाद दर्शक क्षमता 22 हजार से बढ़ाकर 30 हजार करने की योजना है। इसके अलावा क्रिकेट एसोसिएशन के लाइफ टाइम अध्यक्ष और नेकां पेट्रन डा. फारूक अब्दुल्ला ने दस लाख रुपए सांसद फंड से दिए हैं, जिससे ड्रेसिंग रूम, बाथरूम और डाइनिंग हाल ठीक किया जा रहा है। निकट भविष्य में यहां पर जिम और स्वीमिंग पुल भी बनाया जाएगा। इन सब कामों के बाद स्टेडियम में बैठने और दूसरी सुविधाओं पर काम शुरू होगा।

एक भव्य और खूबसूरत क्रिकेट स्टेडियम, जहां लोगों ने बिवियन रिचड््र्स और महानायक कपिल देव को खेलते देखा है। एक दौर वो भी था, जब तालियों के शोर से स्टेडियम गूंजता रहता था, लेकिन आतंकवाद ने स्टेडियम को चुप कर दिया। हंसता-खेलता स्टेडियम वीरान हो कर रह गया।लाल चौक निवासी मुश्ताक कहते हैं कि यहां कपिल देव, सुनील गावस्कर, बिवियन रिचड््र्स और लैरी गोम्स को खेलते देखा है। अचानक सब कुछ शांत हो गया। स्टेडियम देखकर तो लगता ही नहीं है कि यहां कभी अंतरराष्ट्रीय मैच खेला गया था। पूर्व रणजी खिलाड़ी मंजूद अहमद डार कहते भी उन दिनों को भुला नहीं पाते। 1986 के अंतरराष्ट्रीय मैच के बाद यहां कोई बड़ा मैच नहीं खेला गया है। 1990 तक क्लब स्तर के मैच होते थे, लेकिन आतंकवाद शुरू होने के बाद वो भी बंद हो गया। 1990 से पहले बैट और बाल लिए खिलाड़ी दौड़ते थे, उसके बाद बंदूक लिए सेना के जवान दौड़ने लगे। उन्होंने बताया कि दुनिया भर के दर्शकों की तरह कश्मीर के लोग भी क्रिकेट के दीवाने हैं। मैच के दौरान यहां मैदान खचाखच भरा रहता था। एक बार फिर उम्मीद जगी है, सब कुछ ठीक हो सकता है।

दूल्हा मंडप में बेहोश, दुल्हन उठ गई
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गोरखपुर, 12 मार्च-दूल्हे को शादी के मंडप में मिर्गी का दौरा पड़ा और दुल्हन मंडप से ही उठ गई। दूल्हे का यही मिर्गी का दौरा उसकी शादी टूटने की वजह साबित हुआ और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में बारात बिना दुल्हन के ही वापस लौट गई।

हुआ यह कि शादी के मंडप में ही दूल्हे को मिर्गी का दौरा पड़ गया। इस बात की खबर मिलते ही दुल्हन शादी के मंडप से उठ गई। कुछ देर बाद जब दूल्हा होश में आया तो उसके घर वाले शादी की जिद करने लगे। दुल्हन के इंकार पर उसके बाबुल ने शादी से इंकार कर दिया है। देर रात तक बंदूक के बल पर शादी कराने की कोशिश की जाती रही। विरोध करने पर बारातियों ने दुल्हन को उठा ले जाने की भी धमकी दी। हालांकि ग्रामीणों के विरोध में आने और पुलिस को इसकी सूचना देने की बात पर बारात बिन दुल्हन ही बैरंग लौट गए।रकौली बाजार प्रतिनिधि के मुताबिक जगतबेला निवासी स्वर्गीय प्रमोद यादव की बेटी कुसुम यादव की सोमवार को शादी थी।

प्रमोद यादव की मौत कुसुम के बचपन में ही हो गई थी। कुसुम के मामा उसे बचपन से ही अपने गांव खजनी थाना क्षेत्र कुआं बुजुर्ग में ले गया। वहीं उसे पढ़ाया लिखाया और उसकी शादी तय की। शादी संत कबीर नगर जिले के मेहदावल थाना क्षेत्र स्थित मटवा बिरार गांव में बुझारत के बेटे रमेश से तय की। सोमवार की रात में रमेश की बरात कुआं गांव में आई। द्वारपूजा हुआ बराती नाश्ता पानी किए। मंडप में शादी की तैयारी हुई। दूल्हा वहां पहले पहुंचा कुछ ही देर बाद दुल्हन भी आ गई। अभी शादी शुरू ही हुई थी कि अचानक दूल्हा अचेत हो गया। मंडप में भगदड़ मच गई।

बेटे के उध्दार में लगे राजनाथ सिंह
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वाराणसी, 12 मार्च-भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर ली है। पंकज पूर्वांचल के चंदौली लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि पंकज चंदौली से टिकट न मिलने की स्थिति में बनारस या भदोही से भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं।

स्वयं पंकज ने भी बातचीत में स्वीकार किया है कि यदि पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ाने का निर्णय किया तो वे अपने कदम पीछे नहीं खींचेंगे। समय आ गया है। अब किसी भी जिम्मेदारी के लिए वे तैयार हैं। जानकारों का कहना है कि चंदौली के अलावा बनारस तथा भदोही सीट पर भी पंकज की संभावनाएं तलाशने में उनके सिपहसालार जुटे हुए हैं। फिलहाल चंदौली को सबसे महफूज सीट माना जा रहा है। जातिगत समीकरण तथा नए परिसीमन में बनारस के कुछ नए इलाके जुड़ने से (जिसमें ठाकुर बिरादरी के लोगों का दबदबा है) यह सीट पंकज समर्थक अपने पक्ष में मान रहे हैं।

पंकज के मैनेजर माने जाने वाले यूथ ब्रिगेड के कुछ सदस्यों का मानना है कि उनके पिता राजनाथ सिंह का कद इतना बड़ा है कि बनारस, चंदौली तथा भदोही में मेहनत कर परिणाम अपने पक्ष में किया जा सकता है। हर लोकसभा में उनके लिए अनुकूल वातावरण है। सबसे बड़ा लाभ उनके युवा होने का है। लोग हाथों हाथ लेंगे। यूथ ब्रिगेड के साथ-साथ पुरनिए भी उनके साथ हो लेंगे। हालांकि, जिस विधानसभा चकिया में उनका पैतृक आवास है वह विधानसभा क्षेत्र इस चुनाव में चंदौली से कटकर अलग हो गया है। अब यह राबर्ट््सगंज लोकसभा के तहत है। मंगलवार को शहर में मौजूद पंकज का कहना था कि राजनीति से कभी उन्होंने मुंह नहीं मोड़ा। एक कार्यकर्ता के रूप में हमेशा कार्य करते रहे हैं। विधानसभा चुनाव तथा उत्तर प्रदेश भाजयुमो अध्यक्ष पद छोड़ने को उनके अनिर्णय की स्थिति में रहने से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि उन्होंने एक कार्यकर्ता के रूप में अपने को और परिपक्व करने के लिए यह कदम उठाया था। कहा कि राजनीति में अपराधियों को कतई नहीं लाया जाना चाहिए। अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए और कठोर कानून बनाए जाने चाहिए।

हिमाचल और हरियाणा का आपराधिक रिश्ता
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कुल्लू, 12 मार्च-हिमाचल और हरियाणा के फरीदाबाद के बीच एक आपराधिक रिश्ता कायम हो गया है। हिमाचल के बजौरा में पकड़ी गई 12 किलो चरस फरीदाबाद के दो तस्करों तरुण शर्मा और नितिन लाए थे। इससे पहले हिमाचल के मंदिरों से प्राचीन बेशकीमती प्रतिमाएं चुराने के कांड में भी फरीदाबाद के दो तस्कर शामिल बताए गए थे।

सोमवार देर शाम पारला भुंतर का रहने वाला चरस का एक और आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़ गया है। पुलिस को अभी मामले से जुड़े कुल्लू के ही कुछ और लोगों की तलाश है। पुलिस चरस डील की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। अभी कुल्लू के अलावा फरीदाबाद, दिल्ली, गुड़गांव तथा देश के अन्य कुछेक शहरों में बैठे गोरखधंधे के मास्टर माइंड पुलिस के हत्थे चढ़ सकते हैं। मामले के तार दिल्ली और मुंबई समेत कई बड़े शहरों से जुड़े हैं।पुलिस के अनुसार 12 किलो चरस मामले में पारला भुंतर के अमित को एनडीपीएस एक्ट की सेक्शन 29 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है। इससे पहले इसी मामले में पारला भुंतर के ही विनोद कुमार को पुलिस ने धर दबोचा है।

फरीदाबाद के तस्कर तरुण शर्मा, नितिन और विनोद कुमार को न्यायालय ने 11 मार्च तक पुलिस रिमांड पर भेजने के आदेश दिए थे। मंगलवार को पुलिस ने तीनों तस्करों समेत सोमवार को धरे गए तस्कर अमित को न्यायालय में पेश किया। अब न्यायालय ने चारों तस्करों को चौदह मार्च तक पुलिस रिमांड पर रखने के आदेश दिए हैं। पुलिस चारों आरोपियों से पूछताछ कर रही है। तस्करों ने चरस, स्मैक और कोकीन समेत अन्य नशीले पदार्थों के कारोबार से जुड़े सनसनीखेज रहस्यों के बारे में पुलिस को बताया है। तस्करों ने पुलिस को कुल्लू के उन होटलों के बारे में भी बताया है, जिनमें इससे पहले भी कई बार नशीले पदार्थों की डील हुई है।

गोरखधंधे से जुड़े कई बड़े मगरमच्छों के नाम भी पुलिस को पता चल गए हैं। पुलिस सूत्रों की मानें तो इनमें कई सफेदपोशों के नाम भी शामिल हैं। जिला अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरदेश विष्ट ने बताया कि चारों तस्करों को चौदह मार्च तक पुलिस रिमांड पर रखने के आदेश हुए हैं। उन्होंने संकेत दिए हैं कि जल्द कुछ और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। आरोपियों से पूछताछ में इस बात की पुष्टि हुई है कि चरस की डील को यहीं के एक होटल में अंजाम दिया गया था। इधर, बारी-बारी तस्करों के धरे जाने के कारण मामले से जुड़े बड़े मगरमच्छों के पसीने छूटने लगे हैं। वहीं होटल संचालकों में भी हड़कंप मचा हुआ है।

पाकिस्तान ले सकता है कैदियों से बदला
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इस्लामाबाद, 12 मार्च-भारतीय जेल में मारे गए पाकिस्तानी खालिद मोहम्मद की मौत का परिणाम पाकिस्तान की जेल में बंद उन सैंकड़ों भारतीयों को भुगतना पड़ सकता है, जो कश्मीर सिंह की रिहाई के बाद अपने रिहा होने की उम्मीद लगाए बैठे थे। खालिद मोहम्मद का शव पाकिस्तान पहुंचने के बाद पाकिस्तान में भारतीय तिरंगे झंडे जलाए गए और पाकिस्तानी सरकार भी इस मामले पर जल्द ही कड़ा बयान जारी कर सकती है।

भारत में हिरासत के दौरान एक पाकिस्तानी की हुई मौत के बाद उसके शव को मंगलवार को पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया गया। बाघा सीमा पर खालिद मोहम्मद के शव पाक अधिकारियों को सौंपा गया। आरोप लगाया जा रहा है कि भारतीय अधिकारियों द्वारा पूछताछ के दौरान दी गई यातना से खालिद की मौत हुई है। बाघा सीमा पर शव लेने पहुंचे पीड़ित के परिजन ने आरोप लगाया है कि भारतीय खुफिया अधिकारियों ने हिरासत के दौरान बेवजह खालिद को सताया और तरह-तरह के यातनाएं दी। इसके कारण ही खालिद की मौत हुई।

खालिद के भाई ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया था कि वर्ष 2005 में खालिद मोहाली में होने वाले क्रिकेट मैच देखने भारत गया था जिसके बाद वह लापता हो गया। लेकिन वर्ष 2006 में खालिद ने जेल से एक चिट््ठी भेजी थी। चिट््ठी में उसने लिखा था कि मैच देखने के बाद उसका पासपोर्ट खो गए। इसकी सूचना भारत स्थित पाकिस्तान हाई कमिशन को देने जाने के क्रम में भारतीय खुफिया अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया। खालिद के परिजनों ने बताया कि चिट््ठी मिलने के बाद उसे रिहा कराने के लिए उसके परिजन भारत गए थे और हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया था।

लेकिन भारतीय खुफिया अधिकारियों ने उन्हें पाकिस्तान वापस जाने पर विवश कर दिया। उन्होंने पाकिस्तान और भारतीय हाई कमीशन दोनों पर आरोप लगाया कि पोस्टमार्टम में 12 फरवरी को मरने की पुष्टि की गई जबकि उन्हें 4 मार्च को इसकी सूचना दी गई। खालिद की मौत की सूचना मिलते ही भारत सरकार के खिलाफ लाहौर में विरोध प्रदर्शन किया गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने भारतीय झण्डा जलाये और खालिद के परिजनों को उचित मुआवजा देने की मांग की।

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