आलोक तोमर को लोग जानते भी हैं और नहीं भी जानते. उनके वारे में वहुत सारे किस्से कहे जाते हैं, ज्यादातर सच और मामूली और कुछ कल्पित और खतरनाक. दो बार तिहाड़ जेल और कई बार विदेश हो आए आलोक तोमर ने भारत में काश्मीर से ले कर कालाहांडी के सच बता कर लोगों को स्तब्ध भी किया है तो दिल्ली के एक पुलिस अफसर से पंजा भिडा कर जेल भी गए हैं. वे दाऊद इब्राहीम से भी मिले हैं और रजनीश से भी. वे टी वी, अखबार, और इंटरनेट की पत्रकारिता करते हैं.

Sunday, March 16, 2008

इस साल नहीं होगी मानसरोवर यात्रा?

Dateline India News Service, 16th March, 2008

इस साल नहीं होगी मानसरोवर यात्रा?
डेटलाइन इंडिया
काठमांडू, 6 मार्च- नेपाल के इरादे भारत के साथ रिश्तों को लेकर बहुत नेक नजर नहीं आते।
सरकार में शामिल माओवादियों के दबाव में नेपाल ने पहले चीन से रेल संपर्क जोड़ा और अब तिब्बती बगावत के नाम पर एवरेस्ट का नेपाल से जाने वाला रास्ता भी पर्वतारोहियों के लिए बंद कर दिया गया है। खबर है कि इस बार चीन कैलाश मानसरोवर यात्रा भी नहीं होने देगा।

हिंदू तीर्थ कैलाश मानसरोवर चीन में आता है और इसका सबसे सहज रास्ता नेपाल होकर ही जाता है। भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार नेपाल में स्थित भारतीय दूतावास को संकेत दे दिए गए हैं कि तीर्थ यात्री अगर भारतीय आधार शिविर से रवाना भी हो जाए तो उन्हें नेपाल में ही रोक लिया जाए। अब तक हिंदू राष्ट्र की मान्यता रखने वाले नेपाल ने इससे पहले यह कदम इससे पहले कभी नहीं उठाया। हर साल पंद्रह हजार से ज्यादा तीर्थ यात्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाते हैं और इसी साल भारत सरकार ने हज यात्रियों की तरह उन्हें अनुदान देने की घोषणा की थी।

चीन ने तिब्बत पर कब्जे को लेकर भारत सरकार की तकनीकी सहमति वाजपेयी सरकार के दौरान ही ले ली थी। इसी आधार पर चीन ने अरूणांचल प्रदेश से अपना कब्जा छोड़ा था और नाथुला पास का रास्ता भारत-चीन व्यापार के लिए खोलने की अनुमति दी थी। इस फैसले से भारत में बसे लाखों तिब्बती शरणार्थी नाराज हैं और उन्होंने अपने धर्म गुरू दलाईलामा की बात मानने से भी इनकार कर दिया है। तिब्बत में चीनी दमन का दौर जारी है और यह लिखने तक सोलह लोग जान गवां चुके हैं।

चीन ने घोषित कर दिया है कि उनका देश तिब्बत में हो रही अशांति को लोक संग्राम करार दिया है और चेतावनी दी है कि इसमें शामिल किसी भी व्यक्ति को देशद्रोही माना जाएगा और सबसे कड़ी सजा दी जाएगी। भारतीय विदेश मंत्रालय इस मंत्रालय अब तक कुछ भी कहने से बच रहा है लेकिन चिंता का हाल यह है कि इतवार को भी शास्त्री भवन में विदेश मंत्रालय की चीन युनिट का कार्यालय खुला रहा। विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी कल संसद में इस संबंध में कोई बयान दे सकते हैं। उन्हें इस बात का भी जबाव देना होगा कि अमेरिका भारत और चीन के इस मामले में दखल क्यों दे रहा है?



पचौरी की एक कुर्सी गई, दूसरी का पता नहीं

डेटलाइन इंडिया
भोपाल,16 मार्च- मध्यप्रदेश की कांग्रसी राजनीति में भूचाल आ गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए केंद्रीय राज्य मंत्री सुरेश पचौरी का राज्य सभा का टिकट काट दिया गया । हालांकि श्री पचौरी राज्यसभा में रहने का विश्वव्यापी कीर्तिमान बना चुके हैं, लेकिन अभी उन्हें पार्टी ने जीत की हालत में भावी उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।

इसके अलावा केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री कमलनाथ के मित्र और मशहूर वकील विवेक तन्खा को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस का पूरा समर्थन मिलना इस बात का प्रमाण है कि जहां तक संसद का सवाल है कांग्रेस ने पचौरी को ठिकाने लगाना तय कर लिया है। भावी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सीधे सीधे और पहले पहल पचौरी का मुकाबला केंदीय मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह के बेटे राहुल सिंह से है जिन्हें पार्टी की चुनाव अभियान समिति का मुखिया बनाया गया है। जाहिर है कि टिकट वितरण और प्रत्याशियों के चयन में राहुल उर्फ अजय सिंह सबसे मुख्य भूमिका निभाएंगे।

मध्यप्रदेश के भूतपूर्व और अब तक के आखिरी कांग्रेसी मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रदेश की राजनीति से नाता एकदम से नहीं तोड़ा है। वे कांग्रेस महासचिव होने के अलावा राज्य विधान सभा के सदस्य भी हैं और हालांकि उन्हें पचौरी के शुभ चिंतकों में से गिना जाता है लेकिन श्री पचौरी का भविष्य इस बात पर भी निर्भर करता है कि वे खुद विधानसभा चुनाव लड़ते हैं या नहीं। अगर वे चुनाव लड़े और विधायक बने तो मुख्यमंत्री पद के किसी भी दावेदार को उनका सामना करना पड़ेगा।यह बात अलग है कि दिग्विजय सिंह लगातार अपने वचन तोड़ते आ रहे हैं। पिछला चुनाव हारने के बाद उन्होंने घोषणा की थी कि अगले दस साल तक वे कोई भी राजनीतिक पद नहीं लेंगे। मगर आज वे महासचिव भी हैं और विधायक भी।

विवेक तन्खा मध्यप्रदेश के भूतपूर्व अटार्नी जनरल हैं और दिग्विजय सिंह से बहुत समय तकरार के बाद उन्होंने दोस्ती की थी। श्री तन्खा के ससुर कैप्टन अजय नारायण मुश्रान मध्यप्रदेश के वरिष्ठ राजनेता थे और अर्जुन सिंह से लेकर मोती लाल वोरा तक के मंत्रिमंडल में रहे थे। विवेक तन्खा के राज्यसभा में आने का सीधा असर अर्जुन सिंह पर भी पड़ेगा क्योंकि ओबीसी आरक्षण को लेकर भारत सरकार के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में जो याचिका मौजूद है और जिस पर इसी महीने फैसला होना है उसमें याचिका कर्ताओं के वकील श्री तन्खा ही हैं।

जेल की दहलीज पर थलसेना अध्यक्ष

डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली,16 मार्च- भारतीय सेना अपने इतिहास के सबसे बड़े संकट में फंस गई है। सेना अध्यक्ष जनरल दीपक कपूर के खिलाफ आर्थिक अनिमियताओं के मामले में रक्षा मंत्रालय ने जांच बैठा दी है और रक्षामंत्री ए के एंटनी ने श्री कपूर को अनौपचारिक प्रस्ताव भेज दिया है कि जांच होने तक वे अगर चाहे तो अवकाश पर जा सकते हैं।

इसका दूसरा अर्थ यह है कि सेना अध्यक्ष कुर्सी छोड़ दे । आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि सेना के तीनों अंगो के किसी भी एक मुखिया को अवकाश पर जाने के लिए कहा गया हो। उनके अवकाश पर रहने पर उनके उत्तराधिकारी कोई और जनरल बनेंगे और सेना में असली कमान सेना अध्यक्ष के ही हाथ में होती है। दीपक कपूर को जल्दी ही हटना पड़ सकता है और उनके खिलाफ सेना की जांच में अगर सीएजी के आरोपों की पुष्टि हुई तो उनका कोर्ट मार्शल भी हो सकता है और उनसे जनरल की पदवीं और सारे पदक छीने जा सकते हैं।

सीएजी की ऑडिट रिर्पोट में आरोप है कि जनरल कपूर ने पांच और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर घास और झाड़िया काटने के उपकरण खरीदने के नाम पर लाखों रूपए की हेराफेरा की ।यह तब की बात है जब वे जम्मू कश्मीर में सेना की उत्तरी कमान के मुखिया थे। इसके अलावा श्री कपूर पर एक ऐसे ब्रिगेडियर को संरक्षण देने का भी आरोप है जो कारगिल इलाके में डीजल और मिट्टी का तेल निजी व्यापारियों को तस्करी के जरिए बेचा करता था इसी ब्रिगेडियर ने चार्जशीट मिलने पर जनरल कपूर का नाम लिया था। जनरल कपूर पर यह भी आरोप है कि उन्होंने कपूरथला सैनिक स्कूल के प्रशासक रहने के दौरान उसकी इमारत के रखरखाव के लिए पैसा तो मंजूर करवा लिया लेकिन इमारत जर्जर हालत में है। पंजाब सरकार ने यह इमारत अब वापस मांगी है।

चूंकि यह अभूतपूर्व मामला है इसलिए रक्षा मंत्रालय अभी तक यह तय नहीं कर पाया कि सेना अध्यक्ष का कोर्ट मार्शल कैसे किया जाए। नियमानुसार सेना के किसी भी अधिकारी पर मुकदमा उसके वरिष्ठ अधिकारी ही चला सकते हैं। इसका दूसरा विकल्प यह है कि मामला सिविल अदालत को सौंप दिया जाए और इसका सीधा मतलब यह है कि एफआईआर दर्ज होते ही जनरल कपूर को हिरासत में लिया जाएगा और फिर तब तक वह कैद में रहेंगे जब तक उन्हें जमानत नहीं मिल जाती। रक्षामंत्री एंटनी को इस मामले में संसदीय समिति से जांच करवाने का सुझाव दिया गया था लेकिन उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया।


कामरेड संधि मुद्रा में क्यों हैं ?

डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली,16 मार्च- वाम मोर्चा को हवाई अड्डा हड़ताल फ्लॉप हो जाने के बाद जमीनी राजनीति में अपनी हैसियत समझ मे आ गई है और इसका पहला प्रमाण यह है कि जिस एटमी करार को लेकर वह जमीन आसमान एक कर रही थी उसी संबंध में यूपीए नेतृत्व के साथ अपनी ही मांग पर होने वाली बैठक को टालने की तैयारी कामरेड कर रहे हैं।

माक्र्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के पोलित व्यूरो महासचिव प्रकाश करात ने अपनी पत्नी और पोलित व्यूरो की सदस्य वृंदा को श्रीमती सोनिया गांधी से मिलने भेजा । वृंदा ने ही श्रीमती गांधी से आग्रह किया कि फिलहाल उनकी पार्टी के नेता दूसरे कामों में व्यस्त हैं इसलिए इस बैठक को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया जाए।उन्होंने अपने पति और पार्टी की ओर से आश्वासन दिया कि जब तक यह बैठक नहीं हो जाती तब तक उनकी पार्टी के नेता इस मुद्दे पर बयानबाजी से बचेंगे।

दिलचस्प बात यह है कि विमान सेवाओं और हवाई अड्डों के निजीकरण को मुद्दा बनाकर वामपंथी मजदूर संगठन सीटू ने हड़ताल आयोजित की थी और प्रकाश करात कल ही एक निजी विमान सेवा की उड़ान से तिरूअनंतपुरम गए थे।इसके अलावा सीटू के जो नेता दिल्ली और मुबंई में हड़ताल को सफल बनाने कोलकाता से आए थे वे भी जेट एयरवेज से रियायती दरों के टिकट पर कोलकाता वापस गए ।

वामपंथियों को हासिए पर ले जाने की एक और वजह है नंदीग्राम और सिंगूर में भूमि अधिग्रहण को लेकर जो व्यापक हिंसा हुई उसकी आलोचना पहले बंगाल से निकलकर दिल्ली तक पहुंची और अब दुनिया के सभी मानवाधिकार संगठनों की ओर से मामला संयुक्त राष्ट्र संघ में पहुंच गया है। हालांकि लोकसभा के अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने इस मुद्दे पर अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश के बयान की निंदा करवा के अपना वाम धर्म निभा दिया लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत से वे कहां तक बचेंगे। इसलिए अब वामपंथी पीछे हटकर खेल रहे हैं और माकपा का पहला निशाना वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बन गई है जो असल में उसका मातृ संगठन है। राज्य सभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को एक भी सीट न देकर इस दरार को माकपा ने और बढ़ा दिया है।


उत्तार प्रदेश में कांग्रेसी धर्मसंकट
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली,16 मार्च- मुलायम सिंह यादव अचानक ही कॉग्रेस के प्रति मुलायम नहीं हों गये हैं। जबसे मायावती ने दलितों और अनुसूचित जातियों के बाद सवर्ण वोट बैंक को साधा है और अल्पसंख्यकों को जोडने के लिये कांग्रेस से दूरी बना ली है, मुलायम सिंह यादव को फिर से कांग्रेस अपना स्वाभाविक मित्र नजर आने लगी है। अडचन सिर्फ अमर सिंह हैं जिन्हें न कांग्रेस में कोई पसन्द करता हैं और समाजवादी पार्टी में भी उनके बहुत दुश्मन बन गये हैं।

अमर सिंह काफी दिनों से दर-दर भटक रहे हैं मगर उन्हें कहीं सफलता मिलती नजर नहीं आ रही। यहाँ तक कि जिन नटवर सिंह को उन्होंने अपनी पार्टी के साथ जोडना लगभग सुनिश्चित कर लिया था, वे भी भाजपा की ओर झुके नजर आ रहे हैं। कांग्रेस असल में मुलायम सिंह यादव की इस नई दुविधा का मजा ले रही है और श्रीमती सोनिया गॉधी ने दो से ज्यादा मौकों पर अमर सिंह से मिलने से तो इंकार कर ही दिया, वे पार्टी के गम्भीर नेताओं में से एक माने जाने वाले जनेश्वर मिश्र से भी मिलने को राजी नहीं हुई। शुक्रवार को सुबह 10 जनपथ पर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में यहीं तय हुआ कि अगर कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में अपना अस्तित्व बनाये रखना है तो उसे बसपा और समाजवादी पार्टी दोनों से बराबर की दूरी रखनी पडेगी और भाजपा के खिलाफ मोर्चा अकेले खोलना पडेंगा। कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी के रिश्ते कैसे रहते हैं, इसका फैसला पार्टी के जबलपुर अधिवेशन में होगा।


लड़ाई वोट बैंक की है। कांग्रेस जानती है कि उसका जनाधार कई राजनैतिक पार्टियों में बिखर चुका है। बसपा उसके लिए सबसे बड़ा खतरा है क्योंकि उत्तर प्रदेश के अलावा वह दूसरे राज्यों में भी उसे नुकसान पहुंचा रही है। ऐसे में संघर्ष ही एकमात्र रास्ता है। पार्टी समाज के सबसे कमजोर तबके की लड़ाई लड़ते दिखना चाहती है। इसी रणनीति के तहत युवा सांसद राहुल गांधी ने अमेठी के संग्रामपुर ब्लॉक में दलित परिवार के साथ रात बिताई तो उड़ीसा में आदिवासियों को अपनी आवाज दी और इटावा में दलित परिवार के आंसू पोंछने पहुंचे। मकसद और निशाना दोनों साफ है।

बसपा को उत्तर प्रदेश में व्यस्त रखते हुए दूसरे प्रदेशों में पैर जमाने का मौका न देना।
कांग्रेस महासचिव की जिम्मेदारी संभालने के बाद राहुल ने बसपा सुप्रीमो मायावती को कई चुनौतियां दीं। आगरा के जूता उद्योग पर वैट का मामला हो या बुंदेलखंड में किसानों की बदहाली। राहुल प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़े करते नजर आए। मुख्यमंत्री मायावती ने इसका जवाब झांसी और दूसरे शहरों में अपनी ताकत का अहसास कराकर दिया। मतलब यह है कि बसपा का वोट बैंक पूरी तरह एकजुट है। कांग्रेस की यह पूरी कवायद मुख्यमंत्री मायावती को उत्तर प्रदेश में घेरे रखने की रणनीति का हिस्सा है हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस बसपा के हाथों चोट खा चुकी है।

कर्नाटक में दलित और पिछड़ी जातियों की जनसंख्या करीब 23 फीसदी है। यह चुनाव कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है इसलिए उड़ीसा के बाद राहुल गांधी ने कर्नाटक को चुना है। उनका कार्यक्रम इस तरह तैयार किया गया है कि वह दलित और पिछड़ी जाति के लोगों से ज्यादा से ज्यादा मुलाकात कर सकें। इसके बाद वह छत्तीसगढ़ और झारखंड का रुख करेंगे। इन सभी प्रदेशों में बसपा सुप्रीमो रैलियां कर कांग्रेस के लिए चुनौती पेश कर चुकी हैं।

गायक बन गया एक आतंकवादी

डेटलाइन इंडिया
सूरनकोट-जम्मू ,16 मार्च- चौबीस साल के गायक जावेद इकबाल दुर्भाग्य पूर्ण ढ़ंग से आतंक की दुनिया में जाकर पुन: षांति की राह पर लौटे। लष्करे तोयबा के एरिया कमांडर अबू वालिद ने जावेद को सितम्बर 2001 में पाकिस्तान अधिकृत कष्मीर में प्रषिक्षित किया। सन् 2002 में इकबाल ने पुलिस के आगे समर्पण कर दिया।
जावेद इकबाल को उस महकमें में भर्ती किया गया जो पहले उनकी और उनके साथियों को बंदूक लेकर खोज रहा था। अब जावेद पुलिस की मदद आतंकवादियों को पकड़वाने में करेंगे। अब पुलिस की मदद करने के साथ साथ वह युवाओं को बतायेगें कि आतंक व आतंकी गतिविधि दोनों घातक है। उन्हें लष्करे तोइबा ने पॉच महीने का प्रषिक्षण दिया, लेकिन जावेद का दिमाग नहीं बदला और उन्होंने आतंक का साथ छोड दिया।

जावेद ने गूजरी और पहाड़ी भाषा के चार म्यूजिक एलबम जारी किये। उनमें से एक एलबम में उन्होने बटवारे की कहानी पर है। इस एलबम में यह भी दिखाया गया है कि कैसे युवाओं को आतंकी राह पर लाया जाता है। यहीं युवा सीमा पर आतंक के मास्टर माइंड बन जाते है।

हालांकि पहले भी कश्मीरी आतंकवादी खूनी रास्ता छोड़ कर पुलिस और सैनिक बलों की मदद करते रहें हैं लेकिन जावेद का मामला इसलिए दुलर्भ है क्योंकि उसने आतंकवाद का प्रशिक्षण तो लिया लेकिन कभी आतंकवादी गतिविधि में सीधे शामिल नहीं रहा। पिछले रिकार्ड को देखते हुए पुलिस ने जावेद को लगातार पहरे में रखने का फैसला भी किया है क्योंकि उससे पहले आत्मसर्पण करने वाले ज्यादातर भूतपूर्व आतंकवादियों को उनके पिछले साथी ही मार डालते हैं। सूरनकोट के सब डिविजनल पुलिस अधिकारी प्रीवेत सिंह ने कहा कि जावेद इकबाल पुलिस विभाग को अच्छी सेवा देते रहेंगे और युवाओं को आतंक का रास्ता छोडकर देष मुख्य धारा से जोडने का कार्य करेगे।

निठारी, किडनी और अब खून का बाजार
डेटलाइन इंडिया
गोरखपुर,16 मार्च-यह कुख्यात किडनी कांड से भी बडा घोटाला है और अमानवीयता के मामले में कई कदम आगे है। वह मुलायम सिंह यादव के उत्तर-प्रदेश का मामला था और यह मायावती के उत्तम प्रदेश का मामला है। दोनों जगह शिकारी वे ही गरीब हुए हैं जिनके नाम पर सरकारें बनाई और चलाई जाती हैं। इस मामले में खून चूसने के लिए शिकार मध्य प्रदेश के जबलपुर से लेकर बिहार के गया तक से लाए गये थे।

नौकरी के नाम पर गरीबों को सताना एक आम बात हो गई है। किडनी कांड के सरगना डॉक्टर अमित की काली करतूतों की चर्चा अभी समाप्त भी नहीं हुई है कि एक और घटना ने सभी का दिल दहला कर रख दिया है। गोरखपुर में यह गोरखधंधा ढाई साल से चल रहा था यानी मुलायम सिंह के कार्यकाल से ही। मगर माया मेम साहब की सरकार पिछली सरकार के सारे कदमों को ठीक करने में लगी थी लेकिन इतना बडा कांड उसे नजर नहीं आया। अगर पास पडोस के झगडें में इस कांड का खुलासा नहीं हो जाता तो नौकरी के नाम पर खून बेचने की मशीन बन गये इन गरीबों की मुक्ति भी सम्भव नहीं थी।


खून के सौदागर इनका खून निकालकर शहर के पांच पैथालॉजी केंद्रों के साथ कुछ नामी अस्पतालों को सप्लाई करते रहे। इस धंधे का सरगना पप्पू यादव है, जो फरार होने में कामयाब हो गया है। वह चोरपुरवा रामनगर बाईपास रोड बांस मंडी का रहने वाला है और वहीं निजी मकान में धंधा चला रहा था। पुलिस ने ताजा निकाले गए खून के 15 पैकेट के साथ खून निकालने के उपकरण भी बरामद किए हैं।

जहां यह धंधा चल रहा था वहीं से कुछ दूरी पर झगड़ा हो गया। सूचना मिलने पर पुलिस को पता चला कि इस धंधे में शामिल लोगों के बीच पैसे के बंटवारे को लेकर कहासुनी हो रही है। एसएसपी पीयूष मोर्डिया को इसकी जानकारी दी गई। उन्होंने एसपी सिटी देवेंद्र चौधरी, सीओ विश्वजीत श्रीवास्तव के नेतृत्व में शाहपुर एसओ बकरीदन अली, दारोगा लालजी को मौके पर भेजा। जब वे मकान के अंदर गए तो वहां का दृश्य देख एकबारगी दहल गए। उनका सामना 17 जिंदा लाशों से हुआ। सबके चेहरे पीले। शरीर में चलने की ताकत नहीं। उनकी उम्र 18 से 40 साल के बीच थी। वहीं पास में बेड लगे थे जिस पर ताजा निकाले गए खून की थैलियां पड़ी थीं।
जिन लोगों का बीते ढाई साल से वहां सप्ताह में नियमित दो से तीन बार खून निकाला जाता था इसमें सुभाष दास का ब्लड ग्रुप ओ निगेटिव था जिसकी बहुत अधिक डिमांड थी। इन लोगों को प्रति बाटल 300 रुपये देने का वादा किया जाता था मगर धेला भी नहीं मिलता था। खाने के नाम पर दो दिन का सौ रुपये देते थे। उसी में ये लोग चार टाइम का खाना अपने हाथ से बनाकर खाते थे।

अब उन अस्पतालों की तलाश चल रही है जो खून के इस कारोबार में शामिल थे। सरगना पप्पू यादव,मेडिकल कालेज का लैब टेकनीशियन आरके मिश्र, पश्चिम बंगाल का जयंत सरकार फरार हैं। जयंत सरकार ही नौकरी देने के नाम पर मजबूर लोगों को लाता था।

खोए मोबाइल से इश्क भारी पड़ा
डेटलाइन इंडिया
आजमगढ़, 16 मार्च-एक आशिक मिजाज आदमी की किस्मत अच्छी थी कि वह सिर्फ पिटकर बच गया। अगर उसकी जेब में अपना मोबाइल खो जाने की पुलिस रपट की प्रति नहीं होती तो उसका जेल जाना पक्का था।

शहर कोतवाली क्षेत्र के मुकेरीगंज डीह स्थान के पास शनिवार को महिला से अश्लील बात करने का आरोप लगाकर कुछ लोगों ने एक प्रतिष्ठित व्यक्ति को मारपीट कर घायल कर दिया। संयोग ही था कि मार खाए व्यक्ति के पास मोबाइल चोरी होने की दर्ज गुमशुदगी की कापी थी, जिससे उसकी जान बच गई। वास्तविकता का पता चलने पर पुलिस ने हमलावर और घायल के बीच सुलह समझौता कराया।

शहर कोतवाली क्षेत्र के पहाड़पुर मुहल्ले के रहने वाले और विकास भवन के कर्मचारी का मोबाइल 12 मार्च को गुम हो गया था। मोबाइल में करीब दो सौ रुपये से अधिक का बैलेंस था। मोबाइलचोरी करने वाले ने उससे किसी महिला को फोन मिलाकर अश्लील बातें की। इस घटना से महिला काफी परेशान हो गई। महिला ने घटना की सूचना अपने पति को दी। पति मऊ जिले के दोहरीघाट में रहता है। उधर मोबाइल धारक ने इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए 13 मार्च को शहर कोतवाली में तहरीर दी थी। पुलिस ने मोहर दस्तखत करके एक कापी मोबाइल के स्वामी को दे दी थी।

14 मार्च को मोबाइल स्वामी ने अपने पुराने नंबर को बंद करवा कर नया सिम प्राप्त कर लिया। साथ ही उसे एक्टीवेट भी करा लिया। आरोपी को सबक सिखाने के लिए महिला ने पति के कहने पर शनिवार की सुबह फोन मिलाया। इस दौरान फोन को असली मोबाइल के स्वामी ने रिसीव किया। महिला ने उससे कहा कि आप का मोबाइल मेरे पास है आकर ले जाइए। महिला ने उस व्यक्ति को मुकेरीगंज मुहल्ला स्थित डीह स्थान पर बुलाया। बताया जाता है कि मोबाइल धारक जैसे ही डीह स्थान पर पहुंचा, वहां पहले से मौजूद महिला और उसके साथियों ने उसके ऊपर हमला कर दिया। स्थानीय लोगों के प्रयास से कर्मचारी की जान तो बची।

इस बीच सूचना पाकर चौकी प्रभारी पहाड़पुर मौके पर पहुंच गए। पुलिस दोनों पक्षों को कोतवाली लेकर आयी। वहां पर बातचीत करने पर पुलिस को वास्तविकता की जानकारी हुई। मार खाए मोबाइल धारक द्वारा थाने में दर्ज करायी गई सूचना की प्रति दिखाने पर पुलिस ने दोनों पक्षों के बीच सुलह समझौता करा दिया। मार खाया पक्ष और मोबाइल धारक अपनी इज्जत बचाने के लिए पुलिस के हर शर्त को मानने के लिए तैयार थे। मोबाइल धारक शहर के प्रतिष्ठित परिवार का सदस्य है। पीड़ित का कहना था कि किया कुछ नहीं जो सुनेगा वह मुझे ही आरोपी समझेगा।

अतीक अहमद का एक और महल टूटा
डेटलाइन इंडिया
इलाहाबाद, 16 मार्च-सांसद अतीक अहमद पर मायावती सरकार का कहर जारी है। अतीक अहमद जेल में है और आतंक से बनाए गए उसके सामा्रज्य की एक-एक ईट तोडी जा रही है। अतीक अहमद के आलीशान के अली टॉवर की तीसरी मंजिल को ध्वस्त करने के लिए दूसरे दिन भी इलाहाबाद विकास प्राधिकरण (एडीए) का अभियान जारी रहा।

शनिवार और रविवार को दिन भर इमारत की छत पर हथौड़ा चलाने पर भी तोड़फोड़ की कार्रवाई पूरी नहीं की जा सकी। इस बीच बिल्डिंग के भूतल पर स्थित आभूषण की दुकान ध्वस्त कर दी गई। दुकान में तोड़फोड़ के दौरान दो बार विरोध भी हुआ लेकिन पुलिस ने सख्ती से दबा दिया। कार्रवाई रविवार को भी जारी रहेगी।एडीए के बुल्डोजर ने शुक्रवार को सिविल लाइंस के एमजी मार्ग पर भूखंड संख्या 22-डी सिविल स्टेशन स्थित बहुमंजिला इमारत का फ्रंट एवं साइड सेट बैक ध्वस्त कर दिया था। साथ ही 176 वर्गमीटर क्षेत्रफल में बने इमारत के तीसरे तल का भी चौथाई हिस्सा ढहा दिया गया था।

कार्रवाई पूरी करने के लिए सुबह साढ़े आठ बजे से फिर तोड़फोड़ शुरू कर दी गई। भूतल पर स्थित आभूषण की दुकान 'राणा ज्वैलर्स' को भी दो घंटे में खाली करने का अल्टीमेटम दिया गया। इस बीच अली टॉवर की ओर जाने वाले हर रास्ते पर पुलिस ने नाकाबंदी कर दी, जिससे सिविल लाइंस की मेन मार्केट पूरी तरह प्रभावित रही। दस घंटे तक इमारत की छत पर एडीए के मजदूर हथौड़ा और ड्रिल मशीन चलाते रहे जबकि बिल्डिंग के सपोर्ट पिलर्स काटने के लिए गैस कटर का उपयोग किया गया। छत का आधे से ज्यादा हिस्सा तोड़ दिया गया। इस बीच राणा ज्वैलर्स खाली होते ही दोपहर दो बजे के आसपास वहां भी तोड़फोड़ शुरू कर दी गई।

एडीए के बुल्डोजर ने जैसे ही बिल्डिंग के फ्रंट सेटबैक के अवैध हिस्से में बनी दुकान के अंदर तोड़फोड़ शुरू की, आभूषण व्यवसायी विजय सिंह और उनके साथियों ने विरोध शुरू कर दिया। वहां मौजूद एडीए की सचिव कनकलता त्रिपाठी ने पुलिस कर्मियों से उन्हें हटाने को कहा। कार्रवाई शुरू होने के कुछ देर बाद फिर विरोध होने लगा। इस बार पुलिस ने ज्यादा सख्ती की और विरोध करने वालों को कार्रवाई स्थल से दूर हटा दिया। विजय सिंह का कहना था कि दुकान का सिर्फ सात फीट हिस्सा अवैध है जबकि तोड़फोड़ उससे कहीं ज्यादा हो रही है। उधर, एडीए अधिकारियों ने बताया कि दुकान की गहराई 26 फीट है और उसका 15 फीट हिस्सा बिल्डिंग के फ्रंट सेटबैक के उस अवैध भाग में आ रहा है, जिसके ध्वस्तीकरण का आदेश किया जा चुका है। फिलहाल दुकान के अवैध हिस्से को पूरी तरह से ध्वस्त नहीं किया गया, जबकि बिल्डिंग के तीसरे तल का भी आधा हिस्सा नहीं तोड़ा जा सका। अफसरों ने बताया कि शेष कार्रवाई कल की जाएगी।

अरबों के मालिक कंगाल सड़कों पर
डेटलाइन इंडिया
आगरा,16 मार्च-झीलों के शहर भोपाल से संसद तक अपना दर्द सुनाने निकले लोगों की पद यात्रा जब ताजमहल के शहर पहुॅची तो चौबीस साल पुराने हादसे से सबका सामना हुआ। ये पदयात्री उन लाखों लोगों मे से एक हैं जिनको दिए जाने के लिए खरबों रूपये सरकारी खजाने में मौजूद हैं लेकिन इन्हें मिल नहीं पा रहे।

सन्् 1984 में भोपाल में गैस कांड के पीड़ित आज भी न्याय की तलाश में भटक रहे हैं। ऐसे पीड़ितों का एक जत्था एक बार फिर न्याय की आस में प्रधानमंत्री के दर पर फिर गुहार लगाने के लिए निकला है। शनिवार को ये लोग आगरा में थे। इस दौरान उन्होंने प्रेस-मीडिया के समक्ष अपनी पीड़ा व्यक्त की।23 साल पहले हुआ भोपाल गैस कांड आज भी मानव समाज के लिए एक डरावना अनुभव है। भोपाल में दो-तीन दिसंबर 84 की मनहूस रात में लोग सोए तो जरूर लेकिन हजारों लोगों को अगली सुबह नसीब नहीं हुई। जो सुबह उठे भी तो उनके जीवन में अंधकार था। उस रात के कहर से आज भी लोग नहीं उबर सके हैं।

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ, भोपाल गैस पीड़ित महिला-पुरुष संघर्ष मोर्चा, भोपाल ग्रुप फार इन्फारमेशन एंड एक्शन के संयुक्त तत्वावधान में पीड़ित पदयात्रा कर दिल्ली जा रहे हैं। 600 किमी की यात्रा पूरी कर यहां पहुंचे इन पीड़ितों का कहना है कि 23 साल हो गए लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। सरकारें मदद के नाम पर आश्वासन ही देती रही। इलाज और पुनर्वास की योजनाएं महज कागजों तक ही सिमटी हैं। यूनियन कार्बाइड और उसके वर्तमान मलिक के विरुद््ध कार्यवाही तक नहीं कर रही है। उनकी मांग है कि भोपाल गैस पीड़ितों के पुनर्वास के लिए एक विशेष आयोग का गठन सबसे बड़ी जरूरत है। सतीनाथ षडंगी, सैय्यद एम. इरफान का कहना था कि आयोग भी ऐसा हो जो काम करवा सके। महज गठन मात्र से कुछ होने वाला नहीं।

उनका कहना था कि सरकारों ने घटना के बाद बहुत से कदम उठाए लेकिन उनका लाभ लोगों तक नहीं पहुंचा। अस्पताल और डिस्पेंसरी खुली लेकिन न वहां डाक्टर हैं और न दवाएं। जहरीला कचरा अब भी वहां पड़ा है लेकिन उसे हटाने के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है। वहां की हवा, पानी, मिट््टी, शरीर और यहां तक कि माताओं के दूध में भी कंपनियां जहर घोल रहीं है। उन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण है कि डाव केमिकल जैसी जहरीली कीटनाशक निर्माता कंपनी को लाइसेंस दिया जा रहा है, जो कि भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।

पिता पत्नी का, बेटा बहन का हत्यारा
डेटलाइन इंडिया
चांदपुर (बिजनौर),16 मार्च-यह एक ऐसी कहानी है जिस पर आसानी से विश्वास नहीं होता। एक बाप-बेटे ने मिलकर एक मॉ-बेटी की हत्या कर दी। आरोप के अनुसार पिता ने अपनी पत्नी को मारा और बेटे ने अपनी बहन को। फिलहाल बेटा फरार है।

चांदपुर को चकरा देने वाले दोहरे हत्याकांड में कई अनसुलझे सवाल परिजनों की ओर शक की सुई घुमाते हैं। पुलिस सहित मोहल्ले वाले भी गृहस्वामी तथा उसके पुत्र को संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। क्योंकि पुलिस से बातचीत करता हुआ कय्यूम को पुलिस चकमा देने के बाद मौके से खिसक गया जबकि उसका बेटा पहले से ही फरार हो चुका था। हाजी कय्यूम अंसारी की बात पर यकीन करें तो उसका कहना था कि पत्नी बीमार थी और रात में उसकी मौत हो गई थी और बेटी मां की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी। उसकी बेटी गजाला परवीन को दिल का दौरा पड़ा और उसकी मौत हो गई।

उसने बताया कि वह बेगुनाह है। उसने कुछ नहीं किया। उसके बयान पर न तो पुलिस यकीन कर रही है और न मुहल्ले वाले। उनका कहना है कि यदि उनका घटना से उनका कोई लेना देना नहीं था, तो फिर उन्होंने इस घटना की सूचना अपने ससुराल (पास के ग्राम अज्जू नंगली) में अपने सालों को क्यों नहीं दी। क्यों उन दोनों का अंतिम संस्कार करना चाहता था। इतना ही नही वह घर से क्यों भागा? क्यों किसी भी व्यक्ति को घर में आने से रोक रहा था। यह तमाम सवाल ऐसे हैं जो कय्यूम व परिजनों की ओर शक की सुई घुमाते हैं। मृतका के छोटे पुत्र गुलाम हुसैन का कहना है कि उसकी मां तथा बहन कैसे मर गई, वह नहीं जानता। वह नीचे के कमरे में सोया हुआ था तथा उसकी मां तथा बहन ऊपर कमरे में थी।

नगर में हुए दोहरे हत्याकांड की यह घटना कोई नई नही है इससे पूर्व भी दो तिहरे हत्याकांड हो चुके हैं। एक पुत्र ने अपने मां-बाप तथा भाई की हत्या कर तिहरे हत्याकांड को अंजाम दिया था। तीन फरवरी 2003 को नगर के मुहल्ला पतियापाडा में रईसा, उसके बेटे नबील (19) तथा पुत्री अनीसा ( 20 ) साल की बदमाशों ने सामूहिक हत्या कर दी थी। इसका आज तक खुलासा नहीं हो पाया है। मामले की सीबीआई जांच कर रही है। 1992-93 में मुहल्ला काजीसराय में हाजी अब्दुल वहीद, उनकी पत्नी जमीला बेगम और पुत्र बब्बू की सामूहिक हत्या कर दी गई थी। इस कांड में मृतक का पुत्र मुहम्मद उर्फ कल्लन हत्या में प्रयुक्त छुरी सहित गिरफ्तार किया गया था परंतु साक्ष्य के अभाव में वह बरी हो गया था और अब नगर में मां-बेटी की हत्या से एक बार पुन: सनसनी फैल गई है।

चाय पिलाकर नर्स से बलात्कार
डेटलाइन इंडिया
छेहरटा (अमृतसर),16 मार्च-एक डॉक्टर को अपनी एक युवा नर्स पसन्द आ गई और उसने नर्स को चाय पेश की। यहॉ तक तो गनीमत थी मगर पुतलीघर स्थित शंकर आयुर्वेदिक अस्पताल के इस डॉक्टर कुलदीप राय को 18 वर्षीय कंपाउंडर के साथ बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है।

शनिवार सुबह मामले की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय लोगों ने आरोपी की जमकर धुनाई की। पीड़ित युवती का आरोप है कि शुक्रवार शाम चाय में नशा पिलाकर बेहोश करने के बाद उससे कुकर्म किया गया।गुस्साए लोगों ने अस्पताल में तोड़फोड़ की और दवाइयां सड़क पर फेंक दीं। पुलिस की तरफ से कार्रवाई में देरी होने पर लोगों ने दो घंटे तक ट्रैफिक जाम रखा। बड़ी मुश्किल से आरोपी को वहां से निकाल कर पुलिस थाने ले गई।

उधर, सिविल अस्पताल में मेडिकल जांच में बलात्कार की पुष्टि हो गई है। दूसरी तरफ, आरोपी का दावा है कि उसे फंसाया जा रहा है। लड़की दफ्तर से निकलकर बसंत एवेन्यू निवासी राजू सुनियारा के पास गई थी। पास के ही , इस्लामाबाद थाने की पुलिस ने कोट खालसा निवासी मंदीप सिंह के बयान पर उनकी बेटी रंजीत कौर (दोनों काल्पनिक नाम) से बलात्कार के आरोप में डा. राय के खिलाफ मामला दर्ज किया है। रंजीत एक साल से आरोपी के पास 1500 रुपये महीना पर नौकरी कर रही थी। वह रात में बार-बार डा. राय को फोन पर बेटी के घर नहीं पहुंचने बारे पूछते रहे, लेकिन सुबह अस्पताल पहुंचे तो वहां अर्ध्दबेहोशी की हालत में मिली। मंदीप सिंह के मुताबिक शुक्रवार शाम बेटी अस्पताल के रजिस्टर पर बाहर निकलने का हस्ताक्षर कर निकल ही रही थी कि आरोपी ने चाय के लिए बुला लिया तथा नशा मिलाकर पिला दिया था।

दलाई लामा खतरे में, बगावत जारी
डेटलाइन इंडिया
बीजिंग, धर्मशाला 16 मार्च-इधर तिब्बती मूल के भिक्षुओं ने अपने धर्मगुरू दलाईलामा के खिलाफ बगावत कर दी और उधर चीन में सरकार ने वहॉ भी पनपी बगावत को देशद्रोह करार दे दिया। और इस झमेले में अब तक बारह लोगों की जान जा चुकी है। चीन ने तो साफ कह दिया है कि वह हर कीमत पर और हर तरीके से इस बगावत से निपटेगा मगर दलार्इ्र लामा के शिष्यों का आरोप अब भी यही है कि जो हो रहा है उसके जिम्मेदार खुद दलाई लामा हैं। दलाई लामा ने हालाकि शान्ति की एक नपुसंक सी अपील की है लेकिन अब अमेरिका भी इस विवाद में कूद पडा है।

चीन की सरकारी एजेंसी शिंहुआ के हवाले से तिब्बत सरकार ने कहा है कि विरोधी सोमवार आधी रात तक खुद को प्रशासन के हवाले कर दे। आत्मसमर्पण किए लोगों के साथ नरमी बरती जाएगी। उल्लेखनीय है कि चीन और तिब्बत की स्वायत्त सरकार ताजा विरोध प्रदर्शनों और हिंसा के लिए दलाई लामा को जिम्मेदार ठहरा रही है। तिब्बत सरकार ने चेतावनी देते हुए साफ कहा है कि 'अलगाववादियों की साजिश कामयाब नहीं हो पाएगी।'

शिंहुआ के मुताबिक मरने वाले 10 लोगों में कई व्यापारी भी शामिल हैं जिन्हें जिंदा जला दिया गया। मरने वालों में दो दुकान मालिक और होटल के दो कर्मचारी हैं। तिब्बत प्रशासन ने दावा किया है कि अभी तक किसी पर्यटक के मारे जाने की खबर नहीं है। अधिकारियों ने बताया है कि हिंसक विरोध में फंसे कई पर्यटकों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है। दूसरी ओर निर्वासित तिब्बती नेताओं का कहना है कि मरने वालों की संख्या सरकारी आंकड़ों की तुलना में बहुत ज्यादा है।

भारत में निर्वासित जीवन बीता रहे बौध्द भिक्षुओं ने कहा है कि कम से कम 100 लोग मारे गए हैं। राजधानी ल्हासा समेत कई इलाकों में शनिवार को भी कर्फ्यू जारी रहा। वर्ष 1959 में चीनी शासन के खिलाफ हुए संघर्ष की बरसी पर सोमवार को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे लेकिन शुक्रवार को हिंसा भड़क उठी। ऐसा माना जा रहा है कि 1989 के बाद तिब्बत में हुई यह सबसे बड़ी हिंसक घटना है। तिब्बत की आजादी की मांग कर रहे बौध्द भिक्षुओं ने अगस्त में होने वाले ओलंपिक के पहले व्यापक विरोध प्रदर्शन कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। इस बीच दुनियाभर के मानवाधिकार संस्थाओं ने पहले से मानवाधिकार के मामले में चीन के खराब रिकॉर्ड का जिक्र करते हुए कहा है कि जल्द से जल्द पूरे मामले पर चीन की कम्युनिस्ट सरकार को ध्यान देना चाहिए और भिक्षुओं पर जुल्म करने से बाज आना चाहिए।

तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र की सरकार ने कहा कि ल्हासा की ताजा, संगठित और पूर्व नियोजित तोड़-फोड़ में दलाई लामा के गुट का हाथ है और इसे सिध्द करने के लिए उसके पास पर्याप्त प्रमाण हैं। स्वायत्त सरकार के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी शिंहुआ से साक्षात्कार में कहा कि हिंसा, तोड़-फोड़, आगजनी, और लूटपाट की घटनाओं ने कानून व्यवस्था भंग करने के साथ ही लोगों के जीवन और सार्वजनिक संपत्ति को खतरे में डाल दिया था। कानून व्यवस्था को स्थापित करने के लिए ही सरकार ने आवश्यक कदम उठाए। तिब्बत में सभी समुदायों की सुरक्षा बनाए रखने में सरकार पूरी तरह सक्षम है। कुछ लोगों को मनमानी करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

हॉकी वाले खेल की जगह बैठक करेगें
डेटलाइन इंडिया
नई दिल्ली,16 मार्च-हॉकी के मैदान में मिले तमाचे के बाद अब भारत की हॉकी फेडरेशन कमाल कर रही है। फेडरेशन के अध्यक्ष कंवरपाल सिंह गिल ने संसद में गालियॉ खाने के बाद सांसदों से ही पूछा है कि वे खुद बताए कि हॉकी की हालत ठीक कैसे होगी। ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम के क्वालीफाई न कर पाने की असफलता और तकनीकी सलाहकार रिक चार्ल्सवर्थ को टीम के साथ चिली न भेजने के कारण भारी दबाव में आया आईएचएफ पिछली गलतियां सुधारने जा रहा है।

लगातार आलोचनाओं का शिकार बना भारतीय हॉकी महासंघ अब आस्ट्रेलियाई दिगग्ज चार्ल्सवर्थ को भारतीय हॉकी में एक बड़ी भूमिका देने की तैयारी कर रहा है। अपनी इसी सोच को अमली जामा पहनाने के इरादे से आईएचएफ ने चार्ल्सवर्थ को सोमवार को होने वाली बैठक के लिए दिल्ली बुलाया है।

इस पूर्व महान आस्ट्रेलियन खिलाड़ी और कप्तान चार्ल्सवर्थ को अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन (एफआईएच) ने भारतीय हॉकी के उत्थान के लिए नियुक्त किया था लेकिन बावजूद इसके आईएचएफ ने उन्हें सीनियर टीम से दूर रखा। आईएचएफ ने अपनी सफाई में कहा था कि अभी चार्ल्सवर्थ के साथ करार फाइनल नहीं हुआ है इसलिए उन्हें टीम के साथ चिली नहीं भेजा गया। वहीं चार्ल्सवर्थ को इस बैठक में बुलाने का निर्णय खेल मंत्रालय ने आईएचएफ के अध्यक्ष केपीएस गिल से मश्विर करने के बाद लिया है।

खेल मंत्रालय के सूत्रों ने बताया, 'सोमवार को होने वाली इस बैठक में चार्ल्सवर्थ के करार पर अंतिम मोहर लगाई जाएगी। चाल्सवर्थ खेल मंत्रालय और आईएचएफ के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के बाद नियुक्त होंगे।' यह मसला पिछले चार महीने से लंबित पड़ा है जब चार्ल्सवर्थ ने अपनी नियुक्ति पर कोई जवाब नहीं दिया था। जब इस अनुबंध के बारे में गिल से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'हां, अब यह मसला कुछ दिनों में सुलझ जाएगा। चार्ल्सवर्थ के जवाब न देने के कारण यह मामला लंबित पड़ा हुआ था।' बकौल गिल, 'खेल मंत्रालय के अधिकारी कह रहे थे कि जब चार्ल्सवर्थ उनके प्रस्ताव का जवाब नहीं दे रहे हैं तो वे कैसे उन्हें आमंत्रित कर सकते हैं। जब तक वह कोई जवाब नहीं देते उन्हें भारत नहीं बुला सकते।'
साथ ही गिल कहा कि चार्ल्सवथ की नियुक्ति पर हुई देरी के मामले में ना तो खेल मंत्रालय और ना ही आईएचएफ को दोषी ठहराया जाना चाहिए। क्योंकि यह मामला चार्ल्सवर्थ के जवाब न देने की वजह से लंबित हुआ है। गिल ने कहा, 'यह मामला काफी लंबे समय से लंबित पड़ा था। हम चार्ल्सवर्थ और एफआईएच के बॉब डेविडजोन से एक ही ईमेल बार-बार प्राप्त कर रहे है।' उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि अब चाल्सवर्थ ने अपना जवाब भेज दिया है जिसके बाद स्पोट््र्स अथारिटी ने हमसे चार्ल्सवर्थ को भारत बुलाने के लिए हवाई टिकट की व्यवस्था करने को कहा।

इस बीच गिल और खेल मंत्रालय के अधिकारियों को इस बैठक के दौरान चार्ल्सवर्थ के अनुबंध और वित्तीय मामलों पर अंतिम मोहर लगने की उम्मीद है। वहीं दूसरी और चार्ल्सवर्थ ने भी खेल मंत्रालय से मिले पत्र को प्राप्त कर भारत आने की पुष्टि कर दी हैं। चार्ल्सवर्थ ने कहा, 'मैं इस बैठक में उपलब्ध रहूंगा लेकिन यदि सिस्टम में कोई बदलाव नहीं हुआ तो वहां मेरे लिए कुछ नहीं होगा। यहां सभी प्रक्रियाओं में देरी हुई और मुझे लगता है कि सैंटियागो में मेरी उपस्थिति से भारतीय टीम को फायदा हो सकता था। बीजिंग ओलंपिक क्वालीफाई के लिए टीम की तैयारियां अपर्याप्त थी। तैयारी किसी भी टूर्नामेंट के लिए काफी अहम होती है।'


खिलाड़ियों के लिए खेल हैं सारे नियम
डेटलाइन इंडिया
पटियाला, 16 मार्च इंडियन वेटलिफ्टिंग फेडरेशन (आईडब्लूएफ) ने खेल के सारे नियम कानून बदलकर रख दिए हैं। खबर दिल्ली तक पहुॅची है और खेल मंत्रालय को इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कहा गया है। साई के डायरेक्टर जनरल की ओर से सभी कैंपरों का कैंप में शामिल होने के समय डोप टेस्ट अनिवार्य किए जाने के बावजूद ट्रायल में बाहरी वेटलिफ्टरों को उतरने की मंजूरी दे दी गई। सिर्फ मंजूरी ही नहीं दी बल्कि उनका टीम में भी चयन किया गया। पी. शैलजा और वीएस राव ऐसे ही वेटलिफ्टरों में शुमार हैं।
वहीं, टीम के चयन के बाद साई ने जापान में होने वाली एशियाई चैंपियनशिप के लिए कैंप 25 अप्रैल तक बढ़ा दिया है। साई की ओर से 19 फरवरी को शुरू हुए कैंप में पी. शैलजा के अलावा वीएस राव व कुछ अन्य वेटलिफ्टरों को कैंप में शामिल नहीं किया गया। जब 13 मार्च को ट्रायल आयोजित किए गए तो कैंप में देर से शामिल हुई ईनू रानी और रेणु बाला को ट्रायल में भाग लेने से यह कहकर रोक दिया गया कि वे कैंप में देर से शामिल हुई हैं और उनकी परफारमेंस नहीं है। ठीक इसके विपरीत 19 फरवरी के बाद दो साल का प्रतिबंध झेलकर हटीं पी. शैलजा को न केवल ट्रायल में शामिल होने की अनुमति दी गई बल्कि उन्हें टीम में भी शामिल कर लिया गया।

राव को भी इसी तरह से शामिल किया गया। कैंप में नहीं शामिल आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोट््र्स के वेटलिफ्टरों को भी ट्रायल में उतारा गया। इसके पीछे तर्क यह था कि वे वहां अच्छी तैयारी कर रहे थे। इनमें से किसी भी वेटलिफ्टर का डोप सैंपल नहीं लिया गया। फेडरेशन के इस दोहरे रवैये से कुछ वेटलिफ्टरों में जबरदस्त रोष पनपा है। वे इस संबंध में फेडरेशन से बात करने का भी मन बना चुकी हैं।


No comments: